धर्मेन्द्र संधू
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी ने मानव को कई प्रकार की बीमारियां दी हैं। इन सभी बीमारियों को मानसिक तथा शारीरिक दो तरह की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। मुख्य रूप से हमारी जीवन शैली व खानपान की आदतों और प्रदूषण ने हमें एलर्जी जैसी समस्याएं दी हैं। एलर्जी आज की आम समस्या बनती जा रही है। हर तीसरा व्यक्ति किसी ना किसी तरह की एलर्जी से ग्रस्त है। किसी को धूप से, किसी को मिट्टी से, किसी को विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ या दुर्गंध से एलर्जी है।
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एलर्जी क्या है ?
एलर्जी वास्तव में एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति कुछ असहज महसूस करता है। कुछ लोग सोचते हैं कि एलर्जी केवल बाहरी होती है जिससे शरीर पर खारिश, छोटे-छोटे दाने, लाल चकत्ते या किसी भी तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं आती हैं। इन सबके अलावा एलर्जी आंतरिक भी हो सकती है जैसे गेहूं से एलर्जी होना। इस तरह की एलर्जी वाले व्यक्ति को गेहूं से बने पदार्थ खाने से लीवर में इन्फेक्शन, खून की कमी या पाचन तंत्र में गड़बड़ी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी विशेष प्रकार की स्थिति या खाद्य पदार्थ के प्रति प्रतिकूलता रखती हो तो व्यक्ति को उससे एलर्जी हो जाती है।
कितने प्रकार की होती है एलर्जी ?
एलर्जी के कई प्रकार और विभिन्न कारण हो सकते हैं।
अनुवांशिकता
अनुवांशिकता से हमारा अभिप्राय जन्मजात से है। कुछ लोगों में कुछ विशेष प्रकार की चीजों से एलर्जी होती है, जो उन्हें अपने मां-बाप या दादा-दादी से जन्मजात ही मिलती है।
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मौसम के अनुसार भी होती है एलर्जी
गर्मी के मौसम में अक्सर लोग एलर्जी का शिकार हो जाते हैं, लेकिन गर्मी में खुद पर थोड़ा सा ध्यान देकर एलर्जी से बचा जा सकता है। गर्मी के मौसम में धूप से या पसीने से एलर्जी हो सकती है। इससे बचने के लिए घर से निकलने से पहले चेहरे को अच्छी तरह से ढक लें। पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें। ज्यादा तले पदार्थों खाने से बचें और ज्यादा से ज्यादा सलाद को अपने आहार में शामिल करें। घर लौटते ही अच्छी तरह से हाथ- पांव धो लें और अगर हो सके तो कुछ समय बाद नहा भी लें।
इसके अलावा बरसात के मौसम में भी त्वचा की एलर्जी हो जाती है। जैसे दाद व खाज-खुजली। इससे बचने के लिए शरीर को ज्यादा देर तक गीला न रहने दें। बरसात में भीगने के बाद घर आकर नहा लें क्योंकि सड़कों पर खड़ा गंदा पानी बरसात के पानी के साथ मिलकर एलर्जी का कारण बनता है।
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एलर्जी के अन्य कारण
कई तरह के खाद्य पदार्थ, दवाईयां, तेज धूप, मिट्टी, प्रदूषण आदि भी एलर्जी के कारण बन सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 6 फीसदी से अधिक बच्चे फूड एलर्जी का शिकार हैं। कई लोगों को गेहूं, अंडे, मछली, मूंगफली व सोयाबीन के दूध से बने पदार्थों से एलर्जी होती है। इसके उल्ट कुछ लोगों को किसी फल, ड्राई फ्रूट या किसी सब्जी से एलर्जी होने की संभावना बनी रहती है।
एलर्जी के लक्षण
अलग-अलग प्रकार की एलर्जी के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। बाहरी एलर्जी में मुंह, गला, आंख, त्वचा आदि की खुजली व लाल चकत्ते आदि होते हैं। जबकि आंतरिक एलर्जी यदि किसी खाद्य पदार्थ से हो तो उल्टी, दस्त या पेट में दर्द या मरोड़ की समस्याएं आम तौर पर देखी जाती हैं।
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कैसे करें बचाव ?
एलर्जी से बचाव के लिए सबसे पहले आपको एलर्जी के कारण का पता होना बहुत जरूरी है। अगर एलर्जी बाहरी है तो शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान देकर इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा अगर आपने घर में कुत्ता या बिल्ली पाली है तो यह भी एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इनके ज्यादा संपर्क में ना आएं और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
एलर्जी की जांच
अगर एलर्जी की समस्या गंभीर होती दिखाई दे तो समय रहते डॉक्टर से जांच करवाएं क्योंकि एलर्जी एक लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका उपचार संभव है। एलर्जी का पता लगाने के लिए सबसे पहले खून की जांच की जाती है और बाद में दवाई से इसका उपचार किया जाता है। खासकर एलर्जी का पता लगने के बाद जिस पदार्थ से एलर्जी होती है, वही पदार्थ शुद्ध करके लगातार व्यक्ति को दिया जाता है। धीरे-धीरे शरीर उस पदार्थ के प्रति एलर्जिक से नॉन एलर्जिक हो जाता है। इसे एलर्जन इम्यूनो थैरेपी कहा जाता है।
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