विभाग ने म्युंसीपल वित्तीय सुधारों के लिए पारदर्शिता, मज़बूत वित्तीय प्रबंधन और भावी विकास संबंधी सलाहकार वर्कशाप करवाई

स्थानीय निकाय विभाग द्वारा 01 अक्तूबर से कागज़ रहित प्रशासन के लिए मुहिम की जायेगी शुरू

शहरों और ट्रस्टों के लेखाकारों, डी. सी. एफ. एज़, और सी. एज़ ने लिया भाग

शहरी स्थानीय सेवाओं में पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन को मज़बूत करने के लिए म्युंसीपल वित्तीय सुधारों की शुरुआत : प्रमुख सचिव

चंडीगढ़ : लोगों को ई-गवर्नेंस के द्वारा निर्विघ्न सेवाएं प्रदान करने सम्बन्धी मुख्यमंत्री भगवंत मान के अभिलाषी मिशन को पूरा करने की तरफ कदम बढ़ाते हुये स्थानीय निकाय विभाग 01 अक्तूबर से कागज़ रहित प्रशासन हेतु मुहिम शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुये स्थानीय निकाय विभाग और पी. एम. आई. डी. सी. द्वारा आज यहाँ ‘‘म्युंसीपल वित्तीय सुधारों के लिए पारदर्शिता, मज़बूत वित्तीय प्रबंधन और भावी विकास’’ संबंधी सलाहकार वर्कशाप करवाई गई।
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कान्फ़्रेंस में उपस्थित विभाग के अधिकारियों, पंजाब के शहरों और ट्रस्टों के लेखाकारों, डी. सी. एफ. एज़ और सी. एज़, को संबोधन करते हुये प्रमुख सचिव स्थानीय निकाय श्री विवेक प्रताप सिंह ने कहा कि स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. इन्दरबीर सिंह निज्जर ’डबल एंट्री बेसड ऐकरूअल अकाऊंटिंग’( डी. ई. बी. ए. ए.) के लागू करने के लिए तत्पर हैं, इसलिए विभाग ने शहरी स्थानीय सेवाओं में पारदर्शिता, वित्तीय प्रबंधन को मज़बूत करने, वित्तीय कमियों को दूर करने और भावी विकास के लिए म्युंसीपल वित्तीय सुधारों की शुरुआत की है।
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उन्होंने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम डी. ई. बी. ए. ए. को लागू करने के बाद विभाग और राज्य भर में इसके विंगों का आसानी के साथ ऑडिट किया जा सकेगा, पूर्व बजट प्रस्ताव आसानी से तैयार किया जा सकेगा और दो स्थानों पर तैनात अधिकारी अपने दोनों स्थानों पर आसानी से काम कर सकेंगे। इसके साथ ही म्युंसीपल वित्तीय सुधार शहरी स्थानीय सेवाओं में पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन को और मज़बूत करेंगे।

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उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में डी. ई. बी. ए. ए. को सही ढंग से लागू करने के बाद; रोज़मर्रा के अकाउँट बंद करना लाज़िमी होगा, सभी शहरों के ओपनिंग बैलेंस को एकत्रित किया जायेगा और नये और नवीनतम साफ्टवेयर पेश किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली शहरी प्रशासन में पारदर्शिता लाएगी, शहरों को कर्ज़े के योग्य बनाऐगी, म्युंसीपल जायदादों के दुरुपयोग की संभावनाओं को घटाऐगी और प्रशासकों के लिए बजट निर्माण और वित्त प्रबंधन को और ज्यादा कुशल बनाऐगी। इसके साथ ही सॉफ्टवेयर की ज़रूरतों संबंधी जानने के लिए ई-जी. ओ. वी., एन. आई. सी. और निरीक्षक स्थानीय फंड ऑडिट (ई. एल. एफ. ए.) के अधिकारियों ने कान्फ़्रेंस में भाग लिया।

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कान्फ़्रेंस के दौरान, पी. एम. आई. डी. सी. और स्थानीय सरकारों के अधिकारियों ने फील्ड अफसरों और सी. एज़ की ज़रूरतों और माँगों को भी सुना जो रोज़मर्रा के आधार पर म्युंसीपल फाईनांसिंग का कामकाज संभालते हैं। इसके इलावा, कान्फ़्रेंस के दौरान पंजाब के शहरों में डब्ल एंट्री बेसड ऐकरूअल अकाऊंटिंग (डी. ई. बी. ए. ए.) की शुरुआत, पंजाब म्युंसीपल अकाऊंटिंग मैनुअल के बारे संक्षिप्त जानकारी, फील्ड स्टाफ से फीडबैक लेकर शहरों में डी. ई. बी. ए. ए. को लागू करने की योजना, एम-सेवा सम्बन्धी सॉफ्टवेयर प्रबंधन; एन. आई. सी. और ई-जी. ओ. वी. फाउंडेशन के साथ साफ्टवेयरों की नयी सीमाओं के बारे चर्चा की गई। इसके इलावा पूर्व सी. ए. ओ., वडोदरा एम. सी., श्री रविकांत जोशी, जो मौजूदा समय विश्व बैंक और सी. आर. आई. एस. आई. एल. के म्युंसीपल अकाउंटिंग सलाहकार हैं, ने कुंजीवत भाषण दिया।
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इस मौके पर श्रीमती ईशा कालिया, एम. डी., पी. एम. आई. डी. सी. और श्री अभिजीत कपलिश, अतिरिक्त सचिव, स्थानीय निकाय और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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