रामायण काल के महाभारत काल में भी मौजूद थे यह पौराणिक पात्र

प्रदीप शाही

रामायण औऱ महाभारत काल इन दोनों का समय बेहद अलग है। रामायण का समय त्रेता युग का माना जाता है। जबकि महाभारत काल का समय द्वापर युग से संबंधित है। बावजूद इसके रामायण काल के कई पौराणिक पात्र भक्त श्री हनुमान, भगवान श्री परशुराम, जांम्ववंत, मयासुर, महर्षि दुर्वासा महाभारत काल के दौरान भी इस धरती पर विद्यमान थे। आईए जानते हैं कि इन सभी प्रमुख पात्रों के बारे।

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श्री राम भक्त हनुमान जी

रामायण काल में माता सीता का लंकापति रावण की ओर से हरण किए जाने के बाद उत्पन्न स्थिति के बाद भगवान श्री राम और रावण के मध्य भयानक युद्ध हुआ। जिसमें रावण का वध हुआ। परंतु इस सारे घटनाक्रम में श्री राम भक्त, हनुमान जी की अहम भूमिका रही। हनुमान जी रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक विशेष पात्र थे। हनुमान जी को भगवान शिव का अंशावतार माना गया है। पवन पुत्र हनुमान जी को कई जगह पर महाबली भीम का भाई भी कहा गया है। रामायण के अलावा हनुमान जी का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। पांडव जब बनवास में थे। तब हनुमान जी ने महाबली भीम की ओऱ से उनकी पूंछ को न हटा पाने पर उसका अंहकार तोड़ा था।

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भगवान परशुराम जी

भगवान श्री परशुराम जी का उल्लेख रामायण काल में प्रमुख तौर से माना जाता है। सीता स्वयंवर के दौरान भगवान श्री राम की ओर से भगवान शिव के धनुष को तोड़े जाने पर भगवान परशुराम गुस्से में आ गए थे। परंतु भगवान ऱाम के असल रुप का जब भगवान परशुराम को पता चला तो वह उन्हें प्रणाम कर जंगल में तप करने चले गए थे। वहीं दूसरी तरफ महाभारत काल की बात की जाए, तो भीष्म पितामह के गुरु भगवान परशुराम जी ही थी। महाभारत काल में एक प्रसंग दौरान भगवान परशुराम व भीष्म पितामह के मध्य भयानक युद्ध होने का भी उल्लेख मिलता है।

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जाम्बवंत

रामाय़ण काल में लंका पर चढ़ाई के लिए जब समुद्र पर राम सेतू का निर्माण किया गया था। उस दौरान जाम्बवंत ने राम सेतू बनाने में भगवान श्री राम की मदद की थी। इतना ही नहीं युद्ध के दौरान भी उन्होंने भगवान श्री राम का साथ दिया था। वहीं दूसरी तरफ महाभारत काल की बात की जाए। तो जाम्बवंत औऱ भगवान श्री कृष्ण के मध्य युद्ध होने का भी उल्लेख मिलता है। जिसमें श्री कृष्ण जी की जीत हुई थी। जाम्बवंत ने युद्ध में पराजित होने के बाद अपनी बेटी जाम्बवंती का विवाह श्री कृष्ण संग कर दिया था।

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 राक्षस मयासुर

रामायण काल में मयासुर का उल्लेख मिलता है। राक्षस मयासुर, लंकापति रावण के ससुर थे। मयासुर रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता थे। मयासुर विद्वान होने के साथ-साथ एक प्रकांड ज्योतिषी व वास्तुशास्त्री थे। वहीं दूसरी तरफ महाभारत में भी मयासुर का उल्लेख मिलता है। महाभारत काल में मयासुर ने युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण किया था। जो मयसभा के नाम से जाना जाता है। या यूं कहें कि यह सभाभवन भी महाभारत के युद्ध में एक बड़ा कारण बना था।

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महर्षि दुर्वासा

रामायण काल हो या महाभारत काल महर्षि दुर्वासा के गुस्से से हर कोई डरता था। रामायण काल में महर्षि दुर्वासा, भगवान श्री राम के पिता दशरथ के भविष्यवक्ता था। महर्षि दुर्वासा ने रघुवंश के लिए कई भविष्यवाणिया भी की थी। जबकि महाभारत काल में महर्षि दुर्वासा, बनवास के दौरान द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए वन में अपने 10 हजार शिष्यों के साथ भोजन करने के लिए उनकी कुटिया पहुंच गए थे। जहां पर द्रोपदी की ओर से भगवान श्री कृष्ण को की गई प्रार्थना के बाद सभी को भोजन करवाने की सही ढंग से व्यवस्था हो पाई थी।

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