पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को राज्य के किसानों द्वारा 2.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को खरी$फ के मौजूदा बुवाई सीजन के दौरान धान के परंपरागत फ़सलीय चक्र में से फ़सलीय विभिन्नता के द्वारा बाहर निकालने के किये उद्यम की सराहना की है। इसके साथ ही उन्होंने खरी$फ 2020 सीजन के दौरान फसलों की सफलतापूर्वक बुवाई के लिए भी किसानों की तारीफ़ की है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद किसानों द्वारा फ़सलीय विभिन्नता अपनाए जाने के किये उद्यम की केंद्र सरकार के कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय ने भी खूब प्रशंसा की है और 31 जुलाई, 2020 को प्रैस सूचना ब्यूरो के जारी एक बयान में भी इसका जि़क्र किया गया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि 2.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फ़सलीय विभिन्नता को अपनाए जाने से जहाँ 2.7 बिलियन क्यूबिक मीटर तक के भूजल की बचत होगी वहीं इस कदम से राज्य में 200 करोड़ रुपए तक की बिजली खपत की भी बचत होगी। इससे पंजाब सरकार द्वारा अपने जल स्त्रोतों को बचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
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सोमवार को राज्य की बुवाई सम्बन्धी गतिविधियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा खरी$फ सीजन के दौरान प्रवासी कामगारों की कमी के बावजूद राज्य ने न केवल खरी$फ की बुवाई सफलतापूर्वक ढंग से पूरी की है बल्कि इसके साथ ही इन कठिनाई भरे हालातों में भी फ़सलीय विभिन्नता को अपनाकर मार्गदर्शक बने हैं।
मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) को निर्देश दिए कि कृषि में विभिन्नता को अपनाने पर ख़ास तौर पर ज़ोर दिया जाये क्योंकि किसानों की फसलों से आय घटती जा रही है। इसका कारण यह है कि जहाँ एक तरफ़ न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं हो रही है वहीं कृषि यंत्रों की कीमतों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। किसानों को उत्साहित किया जाये कि वह गन्ना, बासमती, दालें, फल और सब्जियाँ जैसी फसलों की तरफ रूख करें और फ़सलीय विभिन्नता को अपनाते हुए राज्य के कृषि प्रधान अर्थचारे को मालीय तौर पर लाभप्रद स्थिति में पहुँचाएं।
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अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) अनिरुद्ध तिवारी ने इस मौके पर मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि बीते बरस 6.30 लाख हेक्टेयर की जगह इस बरस 6.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बासमती की बुवाई पूरी कर ली गई है। इस बरस राज्य में बासमती अधीन क्षेत्रफल का दायरा 6.75 लाख से बढक़र 7 लाख हेक्टेयर हो जाने की उम्मीद है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) ने आगे बताया कि राज्य सरकार द्वारा धान की सीधी बुवाई की तकनीक को अपनाने पर ज़ोर देने से जहाँ भूजल और बिजली की खपत पक्ष से भी बचत होगी। इस बरस धान की सीधी बुवाई के द्वारा 5.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुवाई की गई है। इससे विकासमुखी कृषि का लक्ष्य पूरा होगा जिससे कुदरती संसाधनों की बचत के साथ-साथ यंत्रों की लागत घटने से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने आगे बताया कि पिछले बरस 3.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास की काश्त की गई थी जो इस बार 1.09 लाख हेक्टेयर बढ़ती हुई 5.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल तक पहुँच गई है। बीते बरस राज्य में सबसे अधिक कपास की काश्त 806 किलो झाड़ (लिंट) प्रति हेक्टेयर रिकार्ड की गई थी।
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मक्का अधीन क्षेत्रफल में भी बीते बरस के मुकाबले 0.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार हुआ है। बीते बरस मक्का की बिजाई 1.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गई थी जोकि इस बरस 2.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गई है। जि़क्रयोग्य है कि कपास और मक्का की फसलों में पानी बचाने की अच्छी क्षमता है। इसी तरह दालों की काश्त अधीन क्षेत्रफल में 5000 हेक्टेयर और गन्ने की काश्त अधीन क्षेत्रफल में 1000 हेक्टेयर का विस्तार हुआ है।