मुख्यमंत्री की तरफ से टिकाऊ कृषि और किसानी की खुशहाली की जरूरत पर जोर

चंडीगढ़, 11 जूनः
‘कामयाब किसान, खुशहाल पंजाब’ मिशन के तहत पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों की आमदन में निरंतर आधार पर सुधार लाने और भविष्य के लिए वातावरण संतुलन को कायम रखने की जरूरत पर जोर दिया है।
जिक्रयोग्य है कि पंजाब सरकार ने तीन सालों के लिए 3780 करोड़ की लागत के साथ ‘कामयाब किसान, खुशहाल पंजाब’ मिशन की शुरुआत की है।

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कृषि, बागबानी और भूमि और जल संरक्षण विभागों के कामकाज का वर्चुअल तौर पर जायजा लेते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह जिनके पास कृषि विभाग भी है, ने कृषि सैक्टर में विभिन्न सरकारी स्कीमों को जोड़ने की महत्ता पर जोर दिया जिससे किसानों को पूरा फायदा मिल सके।

 

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रिवायती खेती के साथ किसानों की आमदन पर प्रभाव पड़ने पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने बागबानी विभाग को मौजूदा सिटरस अस्टेटों को और मजबूत करने के लिए कहा जिससे किसानों की आमदन बढ़ाने के लिए किसानों को बड़े स्तर पर फलों का उत्पादन करने के लिए उचित जानकारी मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि किन्नू, अमरूद, लीची जैसी अधिक कीमत वाली बागबानी फसलों के उत्पादन से किसानों को गेहूँ -धान के फसली चक्कर की तरफ मोड़ा जा सकेगा। इसी दौरान उन्होंने कृषि विभाग और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी को सांझे तौर पर किसानों के लिए प्रसार प्रोग्रामों की शुरुआत करने के लिए कहा जिससे उनको फसली विभिन्नता के हिस्से के तौर पर सब्जियों के उत्पादन के लिए उत्साहित किया जा सके।

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मुख्यमंत्री ने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के उप कुलपति को वैज्ञानिकों, माहिरों के इलावा प्रगतिशील किसानों के प्रतिनिधिमंडल को कृषि विकास और जल प्रबंधन के माडल का अध्ययन करने के लिए इजराइल भेजने के आदेश दिए क्योंकि वहाँ की जलवायु परिस्थितियों भी पंजाब जैसी ही हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कृषि विभाग की तरफ से धान की सीधी बीजाई की प्रौद्यौगिकी को प्रफुल्लित करने के लिए कृषि विभाग के यत्नों की सराहना की क्योंकि इस विधि से सिंचाई पानी को बचाने के अलावा प्रवासियों के परतने से मजदूरों की कमी की कमी से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि विभाग की तरफ से मौजूदा खरीफ की फसल सीजन के दौरान सीधी बीजाई के तहत एक मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल लाने का लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरा होगा।
बासमती में कीटनाशकों की गुजायंश की रोकथाम के लिए बासमती उत्पादकों के दरमियान जागरूकता लाने की महत्ता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को व्यापक मुहिम चलाने के लिए अपने यत्न तेज करने के लिए कहा जिससे उनको कीटनाशकों के सुरक्षित और उचित प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस कदम से बासमती की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा जिससे इसके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास को कहा कि बासमती के निर्यात की खेपें में जिनमें कीटनाशकों की गुजायंश पाई गई है, उन कीटनाशकों पर तुरंत पाबंदी लगाने के लिए भारत सरकार के समक्ष मामला उठाया जाये।
मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को बिजली विभाग के साथ सलाह करके ‘पानी बचाओ, पैसा कमाओ स्कीम ’ का दायरा बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा जिससे तेजी से गिर रहे भूजल को बचाया जा सके। मीटिंग के दौरान यह भी बताया गया कि यह स्कीम साल 2019 -21 में पायलट प्रोजैक्ट के आधार पर छह फीडरों पर शुरू की गई थी और इस स्कीम के साथ जुड़े 972 किसानों को 8.19 लाख रुपए अदा किये गए। अब स्कीम का विस्तार करके 11 जिलों में 250 फीडरों को इसके तहत लाया गया है।
पराली जलाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को न्योता दिया कि किसानों को अपने खेतों में ही फसलों के अवशेष के प्रबंधन के लिए प्रेरित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई जाये जिससे हवा प्रदूषण से वातावरण को बचाया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को किसानों के लिए फसलों के अवशेष के प्रबंधन की मशीनरी की आसान पहुँच और उपलब्धता को यकीनी बनाने के लिए कहा जिससे धान की पराली के साथ कारगर ढंग से निपटा जा सके। मुख्यमंत्री ने पराली न जलाने के एवज में किसानों को मुआवजा देने की जरूरत पर दिया और भारत सरकार से अपील की कि पराली न जलाने वाले किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल अदा करना चाहिए।
इस दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने विभागीय अधिकारियों को कहा कि वह किसानों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग के द्वारा सेवाऐं मुहैया करवाने को यकीनी बनाएं जिससे अलग-अलग विकास योजनाओं का लाभ हर किसान को मिले सके।
विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुये पंजाब राज किसान कमिशन के चेयरमैन अजेवीर जाखड़ ने सुझाव दिया कि धान की सीधी बीजाई शुरू करने और पराली जलाने को रोकने के लिए कार्बन क्रेडिट का लाभ लेने के लिए एक प्रोग्राम बनाया जाना चाहिए जिससे उन किसानों की सहायता की जा सके जिन्होंने पहले ही इन नवीन तकनीकों को अपना लिया है। उन्होंने शुरुआती प्रशिक्षण और मिड-कॅरियर प्रशिक्षण के जरिये कृषि विभाग के स्टाफ के सामर्थ्य निर्माण की जरूरत पर जोर दिया।
कृषि विभाग की बड़ी प्राप्तियों और पहलकदमियों के बारे संक्षिप्त पेशकारी देते हुये अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवारी ने बताया कि विभाग का ध्यान उत्पादकता और उत्पादन से लेकर किसानों की खुशहाली की तरफ तबदील हो गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को एक छत के नीचे विस्तार सेवाऐं प्रदान करने के लिए विभाग कृषि विकास ब्यूरोज के नेतृत्व में कृषि और सम्बन्धित विभागों की गतिविधियों को मिलाने की तैयारी में है।
इससे पहले मुख्य सचिव विनी महाजन ने मुख्यमंत्री को पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए कृषि विभाग की तरफ से उठाये गए प्रभावी कदमों के बारे अवगत करवाया। उन्होंने कृषि विभाग की तरफ से रासायनिक खादों और कीटनाशकों के सही प्रयोग के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए किये गए कदमों की सराहना की।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बागबानी विभाग की एक पुस्तक भी जारी की जिसका शीर्षक ‘बागबानी, किसानों के लिए खुशहाली’ का एक रोड मेप है।
मीटिंग में अन्यों के अलावा मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, प्रमुख सचिव वित्त के.ए.पी. सिन्हा, सचिव मंडी बोर्ड रवि भगत, सचिव बागबानी गगनदीप सिंह बराड़, एम.डी. पंजाब एग्रो मनजीत सिंह बराड़, कमिशनर कृषि डा. बी.एस. सिद्धू, पी.ए.यू. के उप कुलपति डा. बी.एस. ढिल्लों, डायरैक्टर कृषि डा. एस.एस. सिद्धू, डायरैक्टर बागबानी शैलेंद्र कौर और एम.डी. पंजाब वेयरहाऊसिंग कोर्पोरेशन जशनजीत सिंह मौजूद थे।
—Nav Gill

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