-सावन में है भगवान शिव की बेटियों के पूजन का विधान
प्रदीप शाही
देवों के देव भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्रों के रुप में भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय का नाम प्रमुख तौर से जाना जाता है। परंतु बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि भगवान शंकर की पांच पुत्रियां भी थी। जी हां, यह पूर्ण तौर से सत्य है। सावन माह में भगवान शिव की इन पांच बेटियों का पूजन करने का विधान है। यह प्रसंग बेहद रोचक है। आईए, आज आपको बताएं कि शिव शंकर की इन पांच पुत्रियों ने कैसे जन्म लिया।
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भगवान शिव और माता पार्वती
देवी देवताओं में सबसे अधिक पूजे जाने वाले भगवान शिव को देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, त्रिशूलधारी, शिव शंकर के नाम से भी जाना जाता है। गले में नाग देवता, सिर पर माता गंगा, चंद्रमा, हाथों में डमरु और त्रिशूल धारण किए शिव की अर्धांगिनी देवी पार्वती है। मां सती के रुप माता पार्वती को उमा, गौरी, काली, आदिशक्ति के नाम से भी पूजा जाता है। मां पार्वती का जन्म हिमनरेश के घर में हुआ था। जो कि हिमालय के अवतार थे। हिमपुत्री पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।
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कैसे जन्मी भगवान शिव की पांच बेटियां
कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एक सरोवर में जल क्रीडा कर रहे थे। तभी भगवान शिव का वीर्य स्खलन हो गया। तब महादेव ने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। उस वीर्य से पांच कन्याओं का जन्म हुआ। सबसे खास बात यह थी कि यह सभी लड़कियां इंसानी रुप में न हो कर सर्प रुप में थी। माता पार्वती को इस घटना के बारे कोई भी जानकारी नहीं हुई। परंतु भगवान शिव को यह ज्ञात था कि वह पांच नाग कन्याओं के पिता बन गए हैं। बेटियों के पिता बनने पर भगवान शिव के मन में भी अपनी बेटियों संग खेलने की इच्छा बलवती होने लगी। पुत्रियों के मोह में बंधे भगवान शिव अब रोजाना कैलाश पर्वत से उस सरोवर पर जाकर अपनी बेटियों संग दुलार लड़ाते। उनके साथ खेल कर अपना दिल बहलाते। यह सिलसिला लंबे समय़ तक जारी रहा।
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माता पार्वती को पुत्रियों के जन्म बारे कैसे मिली जानकारी
देवी पार्वती के मन में अपने स्वामी शिव शंकर के रोजाना कई घंटों तक पर्वत पर न रहने से शंका उत्पन्न हुई। उन्होंने इस रहस्य से पर्दा उठाने का फैसला किया। एक दिन जब भोले बाबा सरोवर की तरफ जाने लगी। तो मां पार्वती भी शिल शंकर के पीछे-पीछे चलते-चलते सरोवर पहुंच गई। वहां पर उन्होंने अपने स्वामी शिव शंकर को नाग कन्याओं से खेलते देखा। तो वह क्रोधित हो गई। क्रोधित मां पार्वती ने नाग कन्याओं को मारना चाहा। तो भगवान शिव ने देवी पार्वती को रोकते हुए कहां कि देवी, यह तो आपकी पुत्रियां हैं। देवी पार्वती अपने स्वामी के इस कथन को सुन कर आश्चर्यचकित हो कर बोली यह कैसे हुआ स्वामी। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती को नाग कन्याओं के जन्म लेने की समूची जानकारी प्रदान की।
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क्या नाम है इन नाग कन्याओं के
भगवान शिव ने बताया कि इन पांचों नाग कन्याओं के नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि हैं। उन्होंने कहा कि जो भी इंसान सावन के माह में मेरी इन पुत्रियों की पूजा करेगा। उन्हें कभी भी सांप का भय नहीं रहेगा। इतना ही नहीं इन मेरी इन बेटियों का पूजन करने से उस परिवार के सदस्यों को सांप भी कभी नहीं डसेगा। यही वजह है कि सावन के माह में भगवान शिव की इन पांच बेटियों का पूजन करने का विधान है।
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