-कृषि मंत्रालय द्वारा पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के 265 मशीनरी उत्पादकों से कीमतों संबंधी चर्चा
-मशीनरी उत्पादक लगाएंगे किसान प्रशिक्षण कैंप
-सब्सिडी पर मशीनरी के लिए पहले पड़ाव में 32 हज़ार आवेदन पहुंचे
चंडीगढ़:फसलों के अवशेष को जलाने की बड़ी समस्या से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के कृषि मशीनरी के उत्पादकों के साथ अवशेष का निपटारा करने वाली मशीनरी की कीमत संबंधी चर्चा की। यहां किसान भवन में हुई इस मीटिंग की अध्यक्षता भारत सरकार के मकैनिकल और प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने की। मीटिंग में पंजाब के 165 और अन्य राज्यों के तकरीबन 100 मशीनरी उत्पादकों ने भाग लिया।
संयुक्त सचिव ने सभी मशीनरी उतपादकों को कहा कि वह इस स्कीम अधीन यंत्रों की गुणवत्ता तय मापदंडों के मुताबिक यकीनी बनाएं। उन्होंने किसानों के लिए प्रशिक्षण कैंप लगाने के लिए भी कहा जिससे किसानों को संबंधित यंत्रों के सही प्रयोग का पता लग सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विश्वजीत खन्ना ने कहा कि राज्य सरकार को पहले पड़ाव में कृषि और सहकारिता विभाग को हैप्पी सिडर के लिए 7436, पैडी स्टरा चौपर /मलचरज़ के लिए 5490 और रोटावेटर के लिए 19 हज़ार आवेदन प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में दूसरा पड़ाव शुरू होगा, जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में और आवेदन मिलने की संभावना है।
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही इस स्कीम के अंतर्गत पंजाब के कृषि विभाग के लिए वर्ष 2017-18 और 2018 -19 के लिए 665 करोड़ रुपए रखे गए हैं, जिसमें से पहली किश्त के तौर पर 269.38 करोड़ रुपए प्राप्त हो गए हैं। इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को निजी तौर पर मशीनरी लेने के लिए 50 प्रतिशत और किसान ग्रुपों को 80 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।
इस स्कीम के अधीन समुची प्रक्रिया की निगरानी कृषि विभाग के सचिव श्री काहन सिंह पन्नू कर रहे हैं। किसानों /किसान ग्रुपों के आवेदनों को स्वीकृति देने के लिए समय सीमा पहले ही तय कर दी गई है और यह मंज़ूरी ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर मिलेगी, जब कि जिला कृषि कार्यालयों ने पहले ही स्वीकृत प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है। धान की कटाई से पहले इन यंत्रों की मैन्यूफ़ेक्चरिंग और सप्लाई को नियमबद्ध करने के लिए उप्पादकों और डीलरों को आर्डर देने के लिए डिप्टी कमीशनरों को हिदायतें जारी कर दी हैं।
डायरैक्टर कृषि, पंजाब डा. जे.एस. बैंस ने बताया कि इस स्कीम अधीन 7.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्र आते और 52.8 लाख टन पराली का निपटारा होने की संभावना है, जिससे प्रत्येक सीजन में नये यंत्रों के प्रयोग से पराली के कुदरती तरीकों के द्वारा निपटारे की सामथ्र्य 70 प्रतिशत का आंकडा छू जायेगी।