-महिलाओं के विरुद्ध किए गए जुर्मों सम्बन्धी मामलों में रोज़ाना की जा रही कार्यवाहियों की रिपोर्ट पेश करेंगे डीएसपी-डीजीपी
चंडीगढ़, 23 अप्रैल: कफ्र्यू / तालाबन्दी के शुरू होने से अब तक महिलाओं विरुद्ध घरेलू हिंसा की शिकायतों में भारी वृद्धि के मद्देेनजऱ पंजाब पुलिस ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की है, जिसके अंतर्गत रोज़ाना डीएसपी को महिलाओं के विरुद्ध अपराध (सी.ए.डब्ल्यू) सम्बन्धी रोज़ाना की जा रही कार्यवाहियों की रिपोर्ट पेश करनी होगी।
आंकड़े दर्शाते हैं कि फरवरी से 20 अप्रैल के दरमियान महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में (4709 से 5695 तक) 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और इसी समय के दौरान महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा के मामले भी इसी प्रतीशत से (3287 से 3993 तक) बढ़े हैं।
दूसरी ओर इसी समय के दौरान दहेज उत्पीडऩ, बलात्कार और ईव्-टीजि़ंग के मामलों में काफ़ी कमी आई है, संभवत: इसलिए क्योंकि पुरूष और महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल रहीं हैं और पुलिस की मौजुदगी में वृद्धि हुई है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि पिछले 3 महीनो में 20 मार्च 2020 तक डायल 112 और प्रतिदिन आने वाली कॉलों की संख्या 133 हो गई है, इस तरह घरेलू हिंसा के मामले कुल 34 प्रतिशत हो गए हैं, जो कि औसतन 99.33 है। इस समय सीमा में कुल मामलों में प्रतिदिन वृद्धि 30 प्रतिशत है।
स्थिति का जायज़ा लेने और इस वृद्धि से निपटने के लिए उपायों सम्बन्धी विचार-विमर्श के लिए, डीजीपी ने गुरूवार को सी.ए.डब्ल्यू सैल के सभी डीएसपी और महिला हेल्प डैस्क के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ््रेंस की। वीडियो कान्फ््रेंस के दौरान श्रीमती गुरप्रीत दिओ, ए.डी.जी.पी. कम्युनिटी अफेअरज़ डिविजऩ (सी.ए.डी.) द्वारा जारी की गई विस्तृत रणनीति के अनुसार पुलिस के प्रतिक्रिया तंत्र को तैयार करने के लिए एस.ओ.पी. को लगाया गया है।
मीटिंग में यह फ़ैसला किया गया कि ऐसी सभी शिकायतों का पता लगाने और की गई कार्यवाही की निगरानी करने के लिए डीएसपी एक निर्धारित फॉर्मेट में रोज़ाना रिपोर्ट भेजेगा। ज़रूरत पडऩे पर पुलिस वन स्टॉप सैंटरों के साथ तालमेल करेगी, जिनका प्रबंधन सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नामांकित किए गए काऊंसलरों द्वारा किया जाता है। इन काऊंसलरों की सेवाओं का प्रयोग जहाँ भी ज़रूरत हो, पीडि़तों, अपराधियों को सलाह देने और बच्चों के मामलो में अपेक्षित सुरक्षा प्रदान करने के लिए की जाएगी।
प्रतिक्रिया तंत्र के अनुसार सीएडब्ल्यू कॉल 112 पर प्राप्त होने के बाद जि़ला नियंत्रण कक्ष (डीसीसी) को भेज दी जाती है और कॉल सम्बन्धी विवरण डीएसपी सीएडब्ल्यू और जि़ला महिला सहायता डैस्क को भी दिए जाते हैं। वुमैन हेल्प डैस्क / वुमैन रिस्पांस टीम सम्बन्धी लोगों से तालमेल करता है और मुश्किल में फंसी महिला को मिलता है। थाने में तैनात महिला कांस्टेबल, थाना-डब्ल्यूएलओ के तौर पर नामांकित होती है, फिर शिकायतकर्ता को भरोसे में लेकर थाना और जि़ला स्तरीय हेल्पडैस्क के साथ तालमेल करती है।
यह फ़ैसला लिया गया है कि यह टीमें मुसीबत में फंसीं महिलाओं के साथ तुरंत ताल- मेल करेंगी, टेली -काऊंसलिंग प्रदान करेंगी और ज़रूरत पडऩे पर सलाह देंगी। यह टीमें सम्बन्धित जोड़े / परिवार को सलाह भी देंगे, और पीडि़त महिला यदि मायके घर या पनाह घर जाना चाहती है तो उसमें पीडि़त की मदद करेंगी। शारीरिक शोषण के मामले में डॉक्टरी जांच भी की जाती है। अगर कोई केस बन जाता है तो एसएचओ के साथ संपर्क करके टीम आपराधिक कार्यवाही शुरू करेगी।
डीजीपी ने सख्त चेतावनी दी कि ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।