घर में लगा हो यह पेड़ तो संजवीनी तलाशने की जरूरत नहीं…. 100 बीमारियों का कर देगा अपने आप इलाज

-वंदना

एक ऐसा पेड़ जो प्रकृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य का संरक्षक है | जिसका औषधीय महत्व होने के साथ पौराणिक महत्व भी है | जो सालभर सुगंधित फूलों से हरेभरे रहते है | तेजी से बढ़ने वाले इस विशाल पेड़ की ठंडी -ठंडी छावं होती है| पुराणों में कहा जाता है कि इस पेड़ के नीचे कृष्ण बासुंरी बजाया करते थे| ब्रज में कदम्ब के पेड़ की बहुत ही महिमा है| भगवान श्रीकृष्ण इसी पेड़ के नीचे अनेक लीलाएं किया करते थे | इस वजह से कदम्ब के पेड़ का वर्णन ब्रजभाषा की अनेक कविताओं में मिलता है । 

इस पेड़ की ऊँचाई 20-40 फ़ीट तक और इसके पत्ते महुवा के पत्तों से मिलते जुलते तो होते हैं, पर आकार में थोड़े छोटे और चमकीले होते हैं। इसके फल नींबू की भांति गोल होते है। वर्षा ऋतु आने पर इसमें फूल आते हैं। इसके फूल पीले गुच्छे के रूप में बहुत छोटे-छोटे और सुगन्धित होते हैं। कहा जाता है कि बादलों की गर्जना से भी इसके फूल खिल उठते हैं। इसे ‘हरिद्र’ और ‘नीप’ भी कहा जाता था। इस पेड़ से निकलने वाली गोंद ओषधि के रूप में काम आती है |

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जहर और एलर्जी का असर करे ख़तम
कदम्ब के पेड़ जहरशामक भी होता है किसी भी दवाई से एलर्जी होने पर या किसी प्रकार का जहरीला कीड़ा काटे और जहर का असर होने लगे तो इसकी सूखी छाल, फल, पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्रण को 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर, सुबह शाम पीने से ना ठीक होने वाली एलर्जी भी ठीक हो जाती है और यह काढ़ा शरीर में उपस्थित जहर को भी खत्म कर देता है इसलिए इसे जहररोधक औषधि के नाम से भी जाना जाता है।

पशुओं को रोगों से करे ठीक
कदम्ब की पत्तियों और फूलों को पशुओं के बाड़े में रखने से पशुओं को बाहरी रोग नहीं लगते हैं और यदि पशुओं को कोई रोग हो भी जाता है तो इसको रखने से फैलता नहीं है, साथ ही जल्द आराम भी मिलता है । इसकी पत्तियां गाय के लिए पौष्टिक भोजन भी होती हैं ।

माताओं के दूध आने में करे बढ़ोतरी
जिन माताओं को दूध कम आने की समस्या है वो शतवार के चूर्ण के साथ कदम्बिका के चूर्ण को मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें तो इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है |

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शरीर की दुर्बलता करे दूर
आयुर्वेद के अनुसार वात का प्रकोप भी दुर्बलता का एक कारण है। कदंब वात को कम करता है। इसके फलों से बने चूर्ण को प्रतिदिन पानी के साथ सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है ।

पैरों की चोट व सूजन करे दूर
कदम्ब की छाल और पत्तों को धोकर , साफ़ पानी में उबाल लें|और फिर उसमें थोड़ा नमक मिला लें और उससे पैरों की नियमित रूप से सिकांई करने पर पैरों की चोट व सूजन ठीक हो जाती है।

घाव करे ठीक
अगर कोई घाव ठीक नहीं हो रहा हों तो कदम्ब की पत्तियों और छाल को पानी में उबालें।
उसके बाद उसे गुनगुना होने पर उससे घावों को साफ करें | घाव जल्दी ठीक हो जाएगें।

बुखार करे दूर
बुखार होने पर पांच तुलसी के पत्तों के साथ पांच ग्राम कदम्बिका की छाल को मिलाकर काढ़ा तैयार कर रोज़ सुबह शाम पीने से लाभ होता है | इसे पांच से सात दिनों तक पीने से बुखार जल्दी ठीक हो जाता है। 

पाचन की समस्या करे दूर
पाचन शक्ति कमजोर होने पर नियमित रूप से धूलिकदम्ब के फल या रस का सेवन करने से पाचन प्रणाली मजबूत होती है |

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मुंह के छाले करे दूर
राजकदम्ब के पत्तों को कुछ देर तक चबाकर इससे बनने वाली लार को थूकते रहें। दिन में पांच बार इस उपाय को करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं। यदि यह उपाय ना कर पाएं तो राजकदम्ब के फलों को सुखाकर चूर्ण बना कर रख लें | दिन में दो बार चूर्ण का सेवन करने से छाले ठीक हो जाते हैं।

कीडे के डंक का प्रभाव करे काम
शरीर के किसी अंग पर कीडे ने काट लिया हो तो उस जगह पर धूलिकदम्ब की छाल को रगड़ने से कीड़े के डांक का प्रभाव कम हो जाता है।

डायाबिटीज करे ठीक
इसकी पत्ती,छाल,फल समान मात्रा में लेकर काढा पीने से टाईप २ डायाबिटीज ठीक होता है।

इत्र बनाने में
इसके फूलों से इत्र बनाया जाता है। जिसकी भीनी भीनी महक होती हैं। जो बरसात के मौसम में अधिक काम में लाया जाता है ।

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कदम्ब के पेड़ के अन्य उपयोग
कदम्ब के पेड़ की लकड़ी का प्रयोग प्लाइवुड के मकान, लुगदी, कागज के बक्से, क्रेट, नाव और फर्नीचर बनाने के काम आती है । कदम्ब के पेड़ से बहुत ही अच्छे किस्म के चमकदार कागज बनाए जाते है इसके बीजों से तेल निकाल कर उस तेल का दीपक जलाया जाता है | जिससे मच्छर और अन्य कीड़े भी दूर भागते है | इस वृक्ष का जितना धार्मिक महत्व है उससे कई ज्यादा इसके औषधीय लाभ है जो आपको सेहतमंद रखने में सहायक है ।

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