चंडीगढ़, 1 मई:
प्रधानमंत्री को पहले की अपनी विनती की पैरवी करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, सार्वजनिक वितरण संबंधी मंत्री राम विलास पासवान को पत्र लिखा, जिसमें गेहूँ के सिकुड़े और चमक गवा चुके दानों के कारण नियमों में ढील के बदले किसानों पर लगाई ‘ग़ैर वाजिब कीमत कटौती को तुरंत वापस लेने की माँग की गई।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर इस मुश्किल समय में राज्य के किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए इस फ़ैसले की समीक्षा करने की माँग की थी।
किसानों की कमाई के हितों की रक्षा के लिए इस कीमत कटौती के मुद्दे पर फिर से विचार करने के लिए श्री पासवान के तत्काल दख़ल की माँग करते हुये मुख्यमंत्री ने इसको किसानों के नियंत्रण से बाहर के कारणों के कारण किसानों की कमाई पर कटौती लगाने को नाजायज करार दिया।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्रीय मंत्री को उनके साथ विचार-विमर्श के दौरान राज्य सरकार द्वारा उठाए गए दो महत्वपूर्ण मुद्दों संबंधी अवगत करवाया। पहले तो सिकुड़े और चमक गवा चुके गेहूँ के दानों के लिए निर्धारित शर्तों में ढील और दूसरा प्रशासकीय और आढ़तियों को छूट देना जिससे सम्बन्धित केंद्रीय मंत्रालय ने मान लिया। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे बताया कि विचार-विमर्श के बाद उन्होंने राज्य के खाद्य और सिविल सप्लाई विभाग के अधिकारियों को इस संबंधी मंत्रालय के नियमों की पालना करने के निर्देश दिए।
पासवान का उनके मंत्रालय की तरफ से प्रशासनिक और आढ़तियों के रोके गए खर्चों में से 90 प्रतिशत की मंज़ूरी देने का धन्यवाद करते हुये कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि उनको चिंता है कि गेहूँ के मूल्य में कटौती के नियमों में ढील देने के मुद्दे का अभी तक हल नहीं किया गया। उन्होंने आगे कहा कि उनको 28 अप्रैल को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से एक संदेश मिला था जिसमें मंत्रालय ने सिकुड़े और चमक गवा चुके गेहूँ के मूल्य पर भारी कटौती लगा दी थी।
‘यह कटौती पूरी तरह वाजिब नहीं है क्योंकि मार्च के दौरान राज्य में बेमौसमी बारिशें हुई और देश भर में लॉकडाऊन के नतीजे के तौर पर किसान गेहूँ की फ़सल को बचाने के लिए रोकथाम उपाय नहीं कर सके।’