स्वर्ग द्वार कुंभ स्नान करने से है खुलता…

–प्रयागराज में अर्ध कुंभ पर्व का शुभारंभ 15 जनवरी 2019 से
मकर सक्रांति के दिन शुरु होने वाले कुंभ में श्रद्धा पूर्वक किए जाने वाले स्नान मात्र से ही देवता इंसान के लिए स्वर्ग का द्वार खोल देते हैं। वर्ष 2019 में 15 जनवरी से प्रयागराज (इलाहाबाद) में शुरु होने वाले कुंभ को अर्ध कुंभ के तौर पर मनाया जा रहा है। भारत में कुंभ का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक इन चार पावन स्थानों पर किया जाता है।

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कुंभ का असल अर्थ क्या है ?
कुम्भ का शाब्दिक अर्थ है कलश होता है। पंरतु यहां पर कुंभ का असल अर्थ अमृत कलश से हैं। कहा जाता है कि देवासुर संग्राम के बाद देवता व राक्षस दोनों पक्ष ही समुद्र मंथन को राजी हो गए। मंथन के दौरान चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। जिन्हें दोनों पक्षों में परस्पर बांट दिया गया परंतु धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया। तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब भगवान् विष्णु ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर सबको अमृत-पान कराने की बात कही। अमृत कलश का दायित्व इंद्र-पुत्र जयंत को सौप दिया। अमृत-कलश को प्राप्त कर जब जयंत दानवों से अमृत की रक्षा हेतु भागने लगे। इसी कड़ी तहत अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों हरिद्वार, नासिक, उजैन और प्रयागराज पर गिरी। भगवान श्री विष्णु की आज्ञा से सूर्य, चन्द्र, शनि व बृहस्पति भी अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे। उस समय विभिन्न राशियों सिंह, कुंभ व मेष में विचरण के कारण ये सभी कुंभ पर्व के द्योतक बन गये। ग्रहों एवं राशियों की सहभागिता के कारण ही कुंभ पर्व ज्योतिष का पर्व भी बन गया। इंद्र देव के बेटे जयंत को अमृत कलश को स्वर्ग ले जाने में कुल 12 दिन का समय लगा था। माना जाता है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के समान होता है। इसी वजह से उक्त चारों स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर ग्रह-राशियों के विशेष संयोग पर 12 वर्षों में कुंभ पर्व का आयोजन होता है।

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कुंभ पर्व का आयोजन
कुंभ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व दोनों है। ज्योतिष अनुसार बृहस्पति के कुंभ राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर हरिद्वार में गंगा-तट पर कुंभ पर्व का आयोजन होता है। बृहस्पति के मेष राशि चक्र में प्रविष्ट होने तथा सूर्य और चंद्र के मकर राशि में आने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर, बृहस्पति और सूर्य के सिंह राशि में प्रविष्ट होने पर नासिक में गोदावरी तट पर, बृहस्पति के सिंह राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर उज्जैन के शिप्रा तट पर कुंभ पर्व का आयोजन किया जाता है। खगोल गणना के अनुसार कुंभ का आयोजन मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है। जब सूर्य और चंद्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करते हैं।

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प्रयागराज में मनाया जा रहा अर्धकुंभ
15 जनवरी 2019 को प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ को अर्धकुंभ भी कहा जा रहा है। हरिद्वार, नासिक, उजैन और प्रयागराज में हर तीसरे साल कुंभ पर्व लगता है। जबकि 12वें साल में महाकुंभ अपने पहले स्थान पर लगता है। एेसे में प्रयागराज में छह साल के अंतराल पर अर्धकुंभ का आयोजन होता है। कुंभ स्नान को लेकर यह मान्यताए है कि इस दिन स्नान करने से स्वर्ग के दरवाजे खुलते हैं। कुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने वाली आत्माओं को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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महाशिवरात्रि तक मनाया जाएगा अर्धकुंभ पर्व
प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरु होने वाले अर्धकुंभ पर्व का आयोजन महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा। मकर सक्रांति पर पहला शाही स्नान होगाय़ इसके बाद 21 जनवरी को पौष स्नान, चार फरवरी को मैणी अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान, 10 फरवरी को बसंत पंचमी पर तीसरा शाही स्नान होगा। 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा और चार मार्च को महाशिवरात्रि पर प्रयागराज में विशेष आयोजन किया जाएगा।

प्रदीप शाही

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