संगरूर
तस्वीरों में दिखाई दे रहे और मिट्टी के साथ मिट्टी हो रहे यह युवा किस्मत के आगे बेबस हैं। इनकी कहानी सुनने के बाद आप भी समय की सरकारों को एक बार तो जरूर कोसेंगे। कहानी उन दो युवाओं की है जिनके पास बी.ए, एम.ए बी.एड, एम.एड के साथ ही बी.लिब जैसी डिग्रियां हैं लेकिन आज तक उन्हें नौकरी नहीं मिली। मजबूर हो उन्हें ईंटों के भट्ठे पर काम करना पड़ रहा है। पंजाब के संगरूर के गांव शेरों के रहने वाले मक्खन शेरों और प्रितपाल ने बताया कि इतना पढ़ने लिखने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली इसकी जिम्मेदार सरकारें हैं।
प्राइवेट स्कूलों में भी उनका शोषण होता है। चार-पांच हजार रुपये ही दिए जाते हैं। इस लिए उनके माता पिता ईंट बनाने वाले भट्ठे पर ईंटें बनाने का काम करते थे उन्होंने भी अपने गुजारे के लिए यही काम चुना।
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मक्खन शेरों की माँ ने बताया कि अब तो हमारे सपने भी टूटते दिखाई दे रहे हैं।
मक्खन शेरों में एक और प्रतिभा भी है। यह युवक एक अच्छा लेखक भी है। स्थानक वासियों ने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि मक्खन के लिखे हुए गीतों को प्रसिद्ध गायक गाएं। इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
सत्ता में आने से पहले कैप्टन सरकार का बड़ा वादा था घर घर नौकरी लेकिन कुछ ही समय बाद यह वादे व दावे हवा हो गए। आज राज्य का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग खासकर बेरोजगार अध्यापक वर्ग जिसने देश को अच्छे नागरिक देने हैं। खुद हालातों के साथ समझोता करते हुए मुश्किल से अपना गुजारा कर रहा है। जरूरत है सरकारों को ऐसे युवाओं के बारे में सोचने की। और साथ ही प्राईवेट स्कूलों पर कार्रवाई करने की जो पढ़े-लिखे युवाओं का शोषण करते हैं।