-100 एकड़ में स्थापित समूचा मंदिर स्वर्ण से निर्मित
प्रदीप शाही
भारत के कोने-कोने में विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं। हर मंदिर अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है। इन सभी मंदिरों में सदियों पहले भीतर और बाहर उकेरी गई मूर्तियों को देख कर पहली नजर में इंसान हतप्रभ हो जाता है। सदियों पहले निर्मित यह कला साइंस के लिए आज भी एक अजूबे से कम नहीं है। भारत के मंदिर में सोने की प्रतिमाओं का बनाया जाना सामान्य बात है। परंतु समूचे मंदिर को ही सोने का बनाया जाना किसी अजूबे को दर्शाता है। भारत के दक्षिण भारत में स्थापित एक ऐसा मंदिर है। यह मंदिर शुद्ध रुप से सोने से बना हुआ है। यह मंदिर किस राज्य के किस जिले में स्थापित है। आईए, आज आपको इस मंदिर के बारे विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।
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भारत के किस राज्य में स्थापित हैं 15 हजार किलोग्राम से निर्मित स्वर्ण मंदिर
भारत के दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में एक ऐसा अनूठा मंदिर है। जो समूचा स्वर्ण से मंदिर है। जीं हां, यह पूर्ण तौर से सत्य है कि समूचा मंदिर सोने से बना है। तमिलनाडु राज्य के वेल्लोर नगर के पास श्रीपुरम महालक्ष्मी का मंदिर है। जो पूर्ण तौर से सोने से बना है। इस मंदिर के निर्माण में कुल 15 हजार किलोग्राम शुद्ध सोने का प्रयोग हुआ है। यह मंदिर लगभग 100 एकड़ की विशाल भूमि में फैला हुआ है। मंदिर को रात में रोशनी में जगमगाता देखना एक आलौकिक नजारे को जन्म देता है। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में जितना सोना प्रयुक्त हुआ है, उतना विश्व के किसी भी मंदिर में प्रयुक्त नहीं हुआ है। यह विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें इतने सोने का प्रयोग हुआ है। गौर हो अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल में भी मात्र 750 किलोग्राम सोने की एक छतरी लगी हुई है।
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महालक्ष्मी मंदिर में हर कलाकृति है हाथों से निर्मित
महालक्ष्मी मंदिर कई कारणों से अद्भुत है। इस मंदिर के निर्माण में एक युवा साध्वी शक्ति अम्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महालक्ष्मी मंदिर की रचना वृताकार है। मंदिर की दीवारों पर अंदर और बाहर दोनों तरफ सोने की कोटिंग की हुई है। श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर में सोने की लगभग नौ से पंद्रह सोने की परतें बनाई गई हैं। इन सभी परतों को शिलालेखों से सजाया गया है। मंदिर में बने शिलालेख की कला वेदों से ली गई मानी बताई जाती है। सबसे खास बात यह है कि मंदिर के इन सभी शिलालेखों को हाथों से बनाया गया है। जो बेहद दर्शनीय है।
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देश की प्रमुख नदियों के जल से निर्मित है मंदिर का सरोवर
मंदिर के परिसर में बाहर के हिस्से में एक सरोवर भी निर्मित है। इस पावन सरोवर में भारत की सभी मुख्य नदियों के जल को लाकर मिलाया गया था। इस कारण इस मंदिर के सरोवर को सर्व तीर्थम सरोवर के नाम भी जाना जाता है।
मंदिर में एंट्री के लिए है विशेष कानून
श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए मंदिर प्रशासन की ओऱ से विशेष कानून बनाया गया है। जिसका हर भक्त को पालन करना बेहद जरुरी है। इस मंदिर में लाखों की तादाद में भक्त हर साल माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों को एक विशेष ड्रेस कोड का पालन करना पड़ता है। मंदिर में कोई भी भक्त लुंगी, शार्टस, नाइटी, मिडी, बरमूडा पहन कर दाखिल नहीं हो सकता है। मंदिर में सुबह चार बजे से आठ बजे तक अभिषेक होता है। मंदिर सुबह आठ बजे के बाद से लेकर रात आठ बजे तक आम भक्तो के दर्शन के लिए खुला रहता है। श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर रेलवे स्टेशन काटपाडी से सात किमी की दूरी पर बना हुआ है। रात के समय मंदिर में भक्तों की संख्या अधिक होती है। क्योंकि रात के समय सोने से बना पूरा मंदिर रोशनी से जगमगाता है। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त देश के कोने-कोने से आते हैं।
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