उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने पी.एस.आई.ई.सी. द्वारा जी.आर.जी. डिवैलपरज़ का पक्ष लेने के दोषों को कोरा झूठ और बेबुनियाद कह कर नकारा

चंडीगढ़, 30 जुलाई:
विरोधी पक्ष द्वारा लगाए गए दोषों को पूरी तरह बेबुनियाद, मनघड़त और कोरा झूठ कह कर नकारते हुये उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने मामले के तथ्यों सम्बन्धी जानकारी की सख़्त कमी होने के कारण विरोधी पक्ष को आड़े हाथों लिया और कहा कि वास्तव में जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिकस लिमटिड को अलाट की गई जायदाद का स्वामित्व और कब्ज़ा, कंपनी के दिवालिया होने के बाद अभी भी आरसिल के पास है।

 

Aaj ka Rashifal || आज का राशिफल || 30 July 2021

बिना किसी बात के इस मुद्दे को उभारने के लिए शिरोमणि अकाली दल और ‘आप ’ के नेताओं पर निशाना साधते हुये अरोड़ा ने कहा कि दोनों पार्टियों की मानसिकता राजनीति में सक्रिय रहने की उनकी बेचैनी को दिखाती है, इसलिए चाहे उनको झूठे और बेबुनियाद तथ्यों का सहारा ही क्यों न लेना पड़े।
यह जि़क्रयोग्य है कि कि प्लाट नंबर ए -32, फेज़ -8, इंडस्ट्रियल एरिया, मोहाली की नीलामी ऐस्टस रीकंस्टरक्कशनज़ कोरर्पोशन आफ इंडिया लिमटिड (आरसिल) द्वारा फरवरी 2020 दौरान एस.ए.आर.एफ.ए.ई.एस.आई. एक्ट, 2002 की धाराओं के अंतर्गत की गई थी। मैसर्ज जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिकस लिमटिड, उक्त प्लाट का अलाटी वित्तीय संस्थाओं का डिफालटर बन गया था जिसके नतीजे के तौर पर कंपनी दिवालिया हो गई, जिसके बाद माननीय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने तारीख़ 26.08.2016 के हुक्म में कंपनी को बंद करने के हुक्म दिए थे और कंपनी की जायदाद को कब्ज़े में लेने के लिये अदालत की तरफ से सरकारी लिकुइडेटर नियुक्त किया गया था।
इसके बाद आरसिल ने उक्त जायदाद को कानून की उचित धाराओं के अधीन अपने कब्ज़े में ले लिया था और सम्पतियों को बेचने के कई यत्न किये।
उन्होंने बताया कि ज़मीन की कीमत का अंदाज़ा लगाने वालों की रिपोर्ट के आधार पर आरसिल की तरफ से दिसंबर 2018 में करवाई गई पहली ई -नीलामी समय ऋणदातावों की सहमति के साथ प्लाट की नीलामी के लिए बोली की कम से कम कीमत 105 करोड़ रुपए रखी गई थी। हालाँकि, इस रिज़र्व कीमत पर कोई बोली नहीं मिली। इसके बाद संभावित बोलीकारों के निराशाजनक प्रतिक्रिया के कारण प्लाट की रिज़र्व कीमत घटा कर 95.50 करोड़ रुपए और फिर 90.50 करोड़ रुपए कर दी गई। उन्होंने आगे बताया कि आरसिल द्वारा फरवरी 2020 में 90.50 करोड़ रुपए की रिज़र्व कीमत पर फिर से ई-नीलामी करवाई गई।
श्री अरोड़ा ने बताया कि इस ई -नीलामी के दौरान उक्त प्लाट को बोली की सबसे अधिक रकम भाव 90.56 करोड़ रुपए पर मैसर्ज जी.आर.जी. डिवैलपरज़ एंड प्रोमोटजऱ् एल.एल.पी. को पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से बेच दिया गया।
मीडिया के एक हिस्से में छपी खबरों के जवाब में मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि नीलामी प्रक्रिया में किसी शक की कोई गुजायश भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस ई -नीलामी में सरकार और पी.एस.आई.ई.सी. की कोई भूमिका नहीं है और यह नीलामी एस.ए.आर.एफ.ए.ई.एस.आई. एक्ट, 2002 की धाराओं के अधीन आर.बी.आई. से रजिस्टर्ड एजेंसी की तरफ से करवाई गई थी।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आरसिल के साथ 14.12.2020 को हुआ समझौता और नीलामी खरीददार का प्रबंध, कोरर्पोशन के पैनल पर प्रसिद्ध सीनियर वकील श्रीमती मुनीशा गांधी की सलाह लेने के बाद पी.एस.आई.ई.सी. की तरफ से किया गया जिससे नाजायज वृद्धि आदि के कारण आरसिल के पास दायर दावे से होने वाले बकाए की वसूली के सम्बन्ध में राज्य सरकार /पी.एस.आई.ई.सी. के हितों को सुरक्षित रखा जा सके।
इसके इलावा, मंत्री ने राज्य सरकार / पीएसआईईसी को कोई वित्तीय नुकसान होने के दोषों को पूरी तरह नकारते हुये इनको राजनीति से प्रेरित बताया क्योंकि जायदाद का स्वामित्व और कब्ज़ा अभी आरसिल के पास है। पीएसआईईसी ने नीलामी खरीददार के हक में जायदाद के तबादले के लिए कोई एनओसी जारी नहीं किया है। वास्तव में अपने वित्तीय हितों की सुरक्षा के लिए पीएसआईईसी ने आरसिल और नीलामी खरीददार को स्पष्ट तौर पर बताया है कि वित्त विभाग, पंजाब सरकार के द्वारा मामले सम्बन्धी फ़ैसले के बाद ही तबादले के लिए एनओसी मुहैया करवाया जायेगा। वित्त विभाग की सलाह के बाद इस मामले में उपयुक्त फ़ैसला लिया जायेगा और माननीय अदालत के आगे तथ्यों समेत स्थिति को पेश किया जायेगा। मौजूदा समय यह मामला माननीय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के विचाराधीन है।
-Nav Gill

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