भगवान शिव की कृपा से ठीक होता है चर्म रोग
मंदिर के जल से सूखे तालाब, बावड़ी व कुंए से निकलता है पानी
भारत में भगवान के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित प्राचीन मंदिर देश के कोने-कोने में मौजूद हैं। प्रत्येक मंदिर का अलग इतिहास है और अलग मान्यताएं हैं। कुछ मंदिरों में होने वाले चमत्कार आज भी रहस्य बने हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में जानकारी देंगें। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जल लेजाकर अगर किसी सूखे कुएं, तालाब या बोरवेल में डाला जाए तो उस स्थान से दोबारा पानी निकलने लगता है।
इसे भी पढ़ें…कलयुग में भगवान शिव का निवास स्थान है…पावन ‘शिवखोड़ी गुफा’
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर
मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर शहर में इंद्रेश्वर महादेव मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यह प्राचीन मंदिर इंदौर शहर के पंढरीनाथ इलाके में स्थित है। खास बात यह है कि इंद्रेश्वर महादेव के नाम पर ही इस शहर का इंदौर पड़ा। इंद्रेश्वर महादेव मंदिर इंदौर का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर तकरीबन चार हजार साल पुराना है। इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार इंद्रदेव को सफेद दाग का रोग हो गया था। जिसके बाद उन्होंने इस स्थान पर तप किया था। कहा जाता है कि देवी अहिल्याबाई ने मंदिर में बिल्व पत्र रखकर अपनी सत्ता और संपत्ति भगवान शंकर को अर्पित कर दी थी। इसके बाद होलकर राज्य का सम्पूर्ण कामकाज भोलेनाथ के आदेशानुसार ही किया जाता था।
इसे भी पढ़ें…इस पांडव कालीन मंदिर में पत्नी संग विराजमान हैं भगवान शनिदेव
मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के साथ कुछ मान्यताएं जुड़ी हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना करने वाले स्वामी इंद्रपुरी को भगवान शिव ने स्वयं स्वप्न में दर्शन दिए थे। और कहा था कि मुझे खान नदी से निकालकर मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कर दी जाए। नदी से निकालने के बाद नदी के किनारे पर ही भगवान शिव को स्थापित कर दिया गया। इसके बाद तुकोजीराव प्रथम ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। कहा जाता है कि राज्य में कोई भी समस्या या आपदा आने पर राजा, इंद्रेश्वर महादेव की शरण में आकर मदद के लिए प्रार्थना किया करते थे। राजा की प्रार्थना पर भगवान शिव राज्य की रक्षा करते थे। मान्यता है कि भगवान शिव के अभिषेक वाला जल चर्म रोग को दूर करता है। शरीर पर सफेद दाग की समस्या से राहत पाने के लिए रोगी भगवान शिव के दर्शन करने के बाद इस पावन जल का इस्तेमाल करते हैं तो चर्म रोग ठीक होने लगता है। एक और मान्यता के अनुसार यह जल अगर किसी भी सूखे तालाब, बावड़ी, बोरवेल व कुंए में डाला जाए तो वहां भी पानी निकलने लगता है। इस लिए दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं और इस मंदिर से पावन जल अपने साथ लेकर जाते हैं। आज भी जब शहर में वर्षा कम होती है या फिर नहीं होती तो जल संकट को दूर करने के लिए शहरवासी भगवान शिव का पूजन करके उनसे प्रार्थना करते हैं। श्रद्धालु भगवान का जलाभिषेक करते हैं।
इसे भी पढ़ें…51 शक्तिपीठों में से एक है… ‘मां माया देवी शक्तिपीठ’
कैसे पहुंचें
इंदौर शहर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए रेल मार्ग से पहुंच सकते हैं। इंदौर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर इंद्रेश्वर महादेव, इंदौर रेलवे स्टेशन से 1.8 किलोमीटर की दूरी पर पंढरीनाथ इलाके में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर तक हवाई मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है। इस पावन स्थान पर महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचते हैं।
धर्मेन्द्र संधू