इस नीति से छोटी और मध्यम चावल मिलों को बड़ा लाभ होगा: भगवंत मान

मुख्यमंत्री ने नई मिलिंग नीति को पारदर्शी और निष्पक्ष बताया

मिल से मंडियों को जोडऩे के लिए कम्प्यूट्रीकृत न बदलने योग्य तकनीक और फेसलैस रैंडेमाईजेशन निरीक्षण की व्यवस्था की

नीति में फ़र्ज़ी खऱीद को रोकने के लिए कई तकनीकें शामिल

मंडी से मिल तक वाहन ट्रेकिंग सिस्टम की व्यवस्था

फर्जी खरीद को रोकने के लिए बिजली के प्रयोग की भी होगी निगरानी

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि राज्य सरकार ने एक बेमिसाल पहल में ऐतिहासिक सुधारों वाली खरीफ की फ़सल मिलिंग नीति-2022-23 पेश की है, जिसका उद्देश्य धान की छटाई के काम में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाना है। यहाँ जारी एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मिलिंग नीति, जिसको कैबिनेट ने गुरूवार को पास किया, ने अन्य राज्यों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) के चावलों की री-साईकलिंग (पुन: खऱीद) को गंभीर ख़तरा माना है और इस खतरे को रोकने के लिए इस नीति में सख़्त मापदंड पेश किए गए हैं।

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उन्होंने कहा कि पहली दफ़ा खऱीद पोर्टल को पंजाब स्टेट पावर कोर्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी.एल.) के बिलिंग पोर्टल के साथ जोड़ दिया गया है, जो खऱीद एजेंसियों को किसी भी एक ख़ास मिल की बिजली यूनिटों की खपत की निगरानी करने और इसकी उस शैलर द्वारा छटाई किए गए एवं बताए गए धान के मापदंडों के साथ तुलना करने के योग्य बनाएगी। भगवंत मान ने कहा कि यह प्रणाली किसी मिल मालिक द्वारा खुली मंडी/पी.डी.एस. द्वारा खरीदे सस्ते धान की फ़सल देने की कमी को ऑटोमैटिक तरीके से सामने लाएगी और उस मिल को ब्लैक लिस्ट कर देगी।

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मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि विभाग ने मंडी से मिल तक धान की फ़सल की ढुलाई वाले सभी ट्रकों के लिए वाहन ट्रेकिंग प्रणाली पेश की है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेट पास की भी व्यवस्था की गई है और यह पास वाहन की जी.पी.एस. लोकेशन और मंडी स्टाफ द्वारा ट्रक की खिंची गई फोटो के आधार पर ही जारी होगा। भगवंत मान ने कहा कि गेट पास जारी करने से पहले ट्रक ऑपरेटर की जी.पी.एस. लोकेशन का भी मंडी की जी.पी.एस. लोकेशन के साथ मेल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन कदमों से अन्य राज्यों से आ रहे पी.डी.एस. चावल की पुन: बिक्री पर सख़्ती से नकेल कसे जाने की संभावना है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि खऱीद स्टाफ की परेशानी को कम करने के लिए मिलों की रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ खऱीद एजेंसियों की अलॉटमैंट के लिए फेसलैस निरीक्षण की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि मिल्लर जब भी अपनी मिल के निरीक्षण के लिए तैयार होगा, वह निरीक्षण करवाने के लिए विभाग के पास ऑनलाइन आवेदन करेगा। भगवंत मान ने कहा कि इसके बाद में किसी भी ख़ास मिल के निरीक्षण के लिए स्टाफ की मानवित ढंग से चुनाव को बिल्कुल ख़त्म कर दिया गया है और आगे से स्टाफ के चुनाव के लिए एक सॉफ्टवेयर के द्वारा रैंडम तरीके से की जाएगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रैंडेमाईजेशन (तरतीब रहित ढंग) चुनाव से यह बात सुनिश्चित बनाएगी कि निरीक्षण स्टाफ सम्बन्धी मिल्लर और खऱीद एजेंसियों के अधिकारियों को जानकारी ना हो। उन्होंने बताया कि सभी निरीक्षण ऑनलाइन किए गए हैं और यह सभी मिल के परिसर के अंदर-अंदर मुकम्मल करने अनिवार्य होंगे, जिसके लिए निरीक्षण स्टाफ की जी.पी.एस. लोकेशन का चावल मिल की जी.पी.एस. लोकेशन के साथ मेल करना जरूरी होगा। भगवंत मान ने कहा कि इसके नतीजे के तौर पर किसी भी मिल मालिक को अब उसके निरीक्षण की रिपोर्टों को अंतिम रूप देने के लिए सरकारी दफ़्तर में नहीं बुलाया जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शिता को सुनिश्चित बनाने और अलग-अलग क्षमता वाले शैलरों को धान की फ़सल अलॉटमैंट में किसी भी अनियमितताओं को रोकने के लिए नीति ने रियायतों और तौर-तरीकों की जटिल प्रणाली को ख़त्म कर दिया है, जिसके द्वारा किसी भी मिल के धान की हिस्सेदारी निर्धारित की जाती थी। उन्होंने कहा कि इसकी जगह अब गिणात्मक सीमा की व्यवस्था ने ले ली है, जिससे अधिक किसी भी मिल को धान की फ़सल नहीं दी जाएगी। भगवंत मान ने आगे कहा कि इस सीमा के अंदर मिल्लर को अब अपनी इच्छा के मुताबिक रिलीज़ ऑर्डरों के लिए आवेदन करने की पूर्ण आज़ादी होगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडियों और चावल मिलों के दरमियान मानवीय सम्बन्ध होने के कारण अक्सर मिल्लरों में असंतुष्टी का कारण बना रहा है, क्योंकि ऐसे संबंधों के लिए भाई-भतीजावाद के दोष लगते थे। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता लाने के लिए चावल मिलों को मंडियों के साथ जोडऩे के लिए समान वितरण और कम से कम दूरी के सिद्धांत पर आधारित पूरी तरह ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के साथ तैयार की गई प्रक्रिया होगी। भगवंत मान ने कहा कि एक बार जोड़ा जाने वाला लिंक पूरे सीजन के दौरान बदला नहीं जा सकेगा।

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मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह पहली बार होगा कि राइस मिल्लरों को कंप्यूटर प्रणाली के द्वारा तय समय में यह दिखाना पड़ेगा कि उनकी मिलों में पड़े धान के निजी तौर पर खऱीदे गए स्टाक और किसी भी समय किसी भी त्रुटि का पता लगने पर ख़ुद-ब-ख़ुद मिल ब्लैक लिस्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे सीजन के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) के चावलों की रीसाइक्लिंग रुकने की भी उम्मीद है। भगवंत मान ने कहा कि विभाग ने चावल विक्रेताओं के द्वारा उनको अलॉट किए गए मुफ़्त धान के मुकाबले मिलिंग की मात्रा का पता लगाने के लिए पिछले सालों का मिलिंग का विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया।

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मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह भी ध्यान में आया है कि थोड़ी सी संख्या में बड़ी मिलें अक्सर बे-मेल ढंग से अधिक मात्रा में धान की मिलिंग करती थीं, जोकि छोटे मिल्लरों के हितों के विरुद्ध था, जबकि छोटे मिल्लरों का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण समूह है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मिलिंग नीति में बड़े मिल्लरों के मुकाबले छोटे मिल्लरों को अधिक अलॉटमैंट के साथ धान के समान वितरण की व्यवस्था की गई है। भगवंत मान ने कहा कि विभाग ट्रांसपोर्ट और लेबर टैंडरों के अलॉटमैंट की प्रक्रिया में भी सुधार लाने की दिशा में काम कर रहा है और इस संबंधी विवरण जल्द ही साझे किए जाएंगे।

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