धर्मेन्द्र संधू
भारत में कुछ ऐसे परंपराएं, मान्यताएं व लोक विश्वास प्रचलित हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहते हैं। आज हम कुछ ऐसी ही परंपराओं व विश्वासों के पीछे के असल कारणों पर चर्चा करेंगे जिन्हें आज भी मान्यता दी जाती है और अकसर बुजुर्गों द्वारा कुछ कामों को करने से रोका भी जाता है।
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प्राचीन मान्यताएं व उनके पीछे के कारण
कांच का टूटना माना जाता है अशुभ
लोग कांच टूटने को अशुभ मानते हैं। इस विश्वास के साथ जुड़ा असल कारण है कि प्राचीन समय में लोगों के घरों के आंगन कच्चे होते थे यानि आज की तरह पक्के फर्श नहीं होते थे। इसलिए कांच टूटने को बुरा माना जाता था कि कांच का कोई टुकड़ा मिट्टी में रहकर किसी के पैर में न चुभ जाए। बाद में लोगों ने धीरे-धीरे इसे लोक विश्वास के साथ जोड़ लिया और कांच के टूटने को अशुभ मानने लगे।
रात के समय झाडू ना लगाना
अकसर घरों में सुबह या दिन के समय ही झाड़ू लगाया जाता है। अगर कोई रात के समय झाड़ू लगाए तो उसे रोक दिया जाता है क्योंकि रात को झाड़ू लगाना अशुभ माना जाता है। लोगों का मानना है कि रात को झाड़ू लगाने से घर में समृद्धि व धन की हानि होती है। लेकिन रात को झाड़ू न लगाने के लोक विश्वास के पीछे असल कारण यह है कि पुराने समय में बिजली की सुविधा नहीं थी। इसलिए रोशनी के लिए घरों में दीपक या लालटेन जलाई जाती थी। उस समय में रात को झाड़ू लगाने से मना किया जाता था कि रात के समय अंधेरे में गिरी कोई कीमती चीज झाड़ू के साथ बाहर न चली जाए। लेकिन आज इस मान्यता को घर की संपन्नता व समृद्धि के साथ जोड़कर देखा जाता है और रात को झाड़ू नहीं लगाया जाता।
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सोने की वस्तु का गुम होना
सोना या सोने का बना कोई भी आभूषण गुम होना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर सोने की बनी वस्तु गुम होने पर घर व कारोबार में धन व समृद्धि की हानि होती है। वैसे भी सोना एक कीमती धातु है इसीलिए सोने का गुम होना सही नहीं माना जाता। सोना ही एक ऐसी धातु है जो मुश्किल समय में भी इंसान के काम आती है। सोने को गिरवी रखकर पैसे व धन भी लिया जा सकता है। इस लिए सोने का गुम होना आज भी अशुभ मानते हैं।
गर्भवती महिला का नदी पार ना करना
एक और लोक विश्वास के अनुसार गर्भावस्था के दौरान महिला अगर नदी पार करती है तो उसे अशुभ माना जाता है। इसके पीछे यह कारण है कि पुराने समय में जब गर्भवती महिलाएं किश्ती में बैठ कर नदी पार करती थी तो किश्ती के डगमगाने व डूबने की संभावना बनी रहती थी। ऐसे में गर्भवती महिला व उसके होने वाले बच्चे को नुकसान होने का खतरा रहता था। इसलिए सुरक्षा के चलते गर्भावस्था में महिलाओं को नदी पार नहीं करने दी जाती थी , लेकिन आज भी इस विश्वास व परंपरा का पालन किया जाता है।
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सूतक के पीछे का वैज्ञानिक तर्क
जब किसी परिवार में बच्चा जन्म लेता है तो उस समय सूतक लग जाता है। इस दौरान बच्चे की मां को रसोई इत्यादि के कामों से मना कर दिया जाता है। इसके अलावा जब घर में किसी की मौत होती है तो उस समय लगने वाले सूतक को पातक कहा जाता है। इस परंपरा के पीछे जो तर्क है वह यह है कि इन दोनों ही स्थितियों में कई प्रकार के संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए इस दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है।