-कब होती है शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा
-कब होती है अमावस्या
प्रदीप शाही
भारतीय सनातन धर्म में समय के पूर्ण काल चक्र की जानकारी ऋषियों ने प्रदान की हुई है। सदियों से चल रही भारतीय सभ्यता में देवी-देवताओं का पूजन करने का विधान निर्धारित है। दिनों के अनुसार देवताओं का पूजन करने का विधान है। मौजूदा समय में अधिकतर लोग इस विधान से अवगत नहीं है। इतना ही नहीं शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष की अमावस्या के बारे भी बहुत कम लोग जानते हैं। आईए, आज आपको विस्तार से बताएं कि किन-किन दिनों में किन-किन देवताओं का पूजन किया जाता है।
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किस तारीख को किस देवता का किया जाता है पूजन
इस दिन अग्नि देव देते हैं अपना आशीर्वाद
प्रतिपदा यानिकि एकम पर अग्नि देव का पूजन करने का विधान है। प्रतिपदा के देवता अग्नि हैं। इस तारीख को अग्नि देव को पूजने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस तारीख को पूजन करने हर तरफ वृद्धि ही वृद्धि होती है। जिस तरह से अग्नि देव चारों तरफ प्रकाश फैलाते हैं। उसी तरह से वह अपना पूजन करने वालों पर चारों तरफ से आशीर्वाद देते हैं।
भगवान ब्रह्मा करते हैं सभी विद्याओं में पारंगत
द्वितिया (दूज) पर सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा जी का पूजन करने का विधान है। दूज पर भगवान ब्रह्मा जी की पूजा करने से पूजन करने वाले सभी विद्याओं में पारंगत हो जाता है। यह बेहद शुभ तारीख मानी गई है।
तृतीया पूजन से होता है इंसान धनवान
कुबेर को तृतीया (तीज) का देवता कहा जाता है। इस तारीख को धन के देवता कुबेर का सच्चे मन से पूजन करने से इंसान धनवान बन जाता है। इस दिन कुबेर देव का सच्चे मन से पूजन करना चाहिए।
चतुर्थी पर विघ्न का होता है नाश
चतुर्थी यानिकि चौथ के देवता देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश है। इस तारीख को सिद्धि विनायक भगवान गणेश जी का विधिवत पूजन से करने से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। इसे खला तारीख भी कहा जाता है।
पंचमी पर होता है नागराज का पूजन
पंचमी के दिन नागराज का पूजन करने की परंपरा कायम है। इस तारीख को लक्ष्मीप्रदा भी कहा जाता है। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विषैले सांप के काटने का भय समाप्त हो जाता है। साथ ही गुणवान स्त्री और आज्ञाकारी पुत्र की प्राप्ति होती है।
भगवान कार्तिकेय का होता है छठ को पूजन
भगवान महादेव के पुत्र कार्तिकेय का षष्ठी (छठ) को पूजन करने की विधान है। यह तारीख यशप्रदा यानिकि सब प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाली है। इस तारीख को कार्तिकेय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, लंबी आयु वाला और कीर्ति बढ़ाने वाला बन जाता है।
सप्तमी को होता है चित्रभानु देव का पूजन
सप्तमी (सातम) के दिन चित्रभानु देव का पूजन किया जाता है। यह दिन यह मित्रवत, मित्रा के नाम से जाना जाता है। सप्तमी को चित्रभानु नामक भगवान सूर्यनारायण का पूजन किया जाता है। इनकी पूजा करने से सभी तरह से रक्षा होती है।
अष्टमी पर बंधन से मुक्ति देते हैं भगवान सदाशिव
अष्टमी के दिन देवता रुद्र का पूजन किया जाता है। इस दिन को द्वंदवमयी भी कहा जाता है। इस तिथि को भगवान सदाशिव या रुद्रदेव की पूजा करने से संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे बंधन से भी मुक्ति मिलती है।
नवमी पर होता है माता दुर्गा का पूजन
नवमी (नौमी) को माता दुर्गा का पूजन किया जाता है। यह गिन उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाला दिन माना जाता है। इस तारीख को जग-जननी, त्रिदेव जननी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मां की पूजा करने से इंसान हर क्षेत्र में हमेशा जीत हासिल करता है। साथ इंसान इच्छापूर्वक इस भव-सागर को आसानी से पार करता है।
दशमी पर करते हैं यमराज का पूजन
यमराज को दशमी का देवता कहा जाता है। यह तारीख बेहद शांत मानी गई है। इस तारीख में यमराज की पूजा करने से इंसान के मन से नर्क और मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
एकादशी पर पूजन करने से मिलता है संतान सुख
एकादशी यानि कि 11 तरीख को भगवान श्री विष्णु जी और विश्व देवगणों का पूजन किया जाता है। यह दिन आनंदप्रदा और सुख देने वाला है। इस तारीख को भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करने से संतान सुख, धनःधान्य, संपत्ति और भूमि की प्राप्ति होती है।
द्वादशी है यशप्रदा तारीख
द्वादशी यानि कि बारह तारीख को भगवान श्री विष्णु हरि का पूजन करने की परंपरा है। यह एक यशप्रदा तारीख हैं। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से इंसान सदा विजयी होता है। साथ समस्त संसार में पूज्य हो जाता है।
त्रियोदशी पर होता है भगवान शिव और कामदेव का पूजन
त्रियोदशी यानिकि तेरह तारीख के दिन देवों के देव महादेव और कामदेव का पूजन करने का विधान माना गया है। इस तारीख को विजय देने वाला दिन माना गया है। त्रियोदशी पर भगवान शिव और कामदेव की पूजा करने से इंसान सुशील पत्नी को प्राप्त करती है। साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भगवान शंकर की मिलती है आपार कृपा
भगवान शंकर चतुर्दशी यानिकि चौदस तारीख के देवता हैं। यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तारीख मानी जाती है। इस तारीख पर भगवान शिव की पूजा करने से इंसान सभी सुख, सुविधाएं, ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। साथ ही पुत्र सुख औऱ धन का लाभ होता है।
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चंद्र देव हैं पूर्णिमा के देव
पूर्णिमा यानिकि पूर्णमासी) के देवता चंद्र देव हैं। यह तारीख बेहद सौम्य मानी गई है। इस तारीख को चंद्रदेव की पूजा करने से इंसान का सभी जगह आधिपत्य होने का रास्ता खुलता है। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं। पंचांग अनुसार पूर्णिमा माह की 15वीं और शुक्ल पक्ष की अंतिम तारीख मानी गई। इस दिन चन्द्रमा आकाश में पूर्ण रूप से दिखाई देता है।
अर्यमा है अमावस के देवता
अमावस्या यानिकि अमावस के देवता अर्यमा को माना गया है। अर्यमा पितरों के प्रमुख हैं। इस तारीख को बल प्रदायक भी कहा जाता है। अमावास्या में पितृगणों की पूजा करने से वह सदैव प्रसन्न होते हैं। देवता अर्यमा धन-रक्षा, आयु और बल प्रदान करते हैं। कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं। पंचांग अनुसार अमावस्या माह की 30वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तारीख होती है। इस दिन चन्द्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है। यह भी कहा जाता है कि कृष्ण पक्ष में देवता इन सभी तारीखों में धीरे-धीरे चंद्र देव की सभी कलाओं का पान कर लेते हैं। केवल षोडशी कला ही अक्षय रहती है। क्योंकि उसमें साक्षात सूर्य का वास रहता है। इस तरह इन तारीखों का क्षय और वृद्धि स्वयं सूर्य भगवान करते हैं। ऐसे में सूर्य नारायण ही सबके स्वामी माने जाते हैं।