धर्मेन्द्र संधू
आजकल हर व्यक्ति किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या या रोग से परेशान है। इन रोगों के लिए दवाईयां खाते-खाते हर कोई थक चुका है लेकिन यह लोग ऐसे हैं कि ठीक होने का नाम ही नहीं लेते। कई बार तो किसी एक रोग को ठीक करने के लिए खाई जाने वाली दवाई अक्सर लंबे अरसे के बाद शरीर को एक नया रोग लगा देती है। फिर उसकी दवाईयां भी लेनी पड़ती हैं। इस तरह यह सिलसिला लगातार चलता रहता है। जितना हो सके दवाईयों के सेवन से बचना चाहिए। किसी भी रोग की शुरुआत में जीवन में किए गए कुछ बदलाव इसके घातक परिणामों से बचाव कर सकते हैं। कुछ ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं व रोग हैं जिनका इलाज वास्तु शास्त्र पद्धति यानी घर में वास्तु शास्त्र संबंधी बदलाव करके किया जा सकता है।
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अनिद्रा की समस्या
अगर आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो अपने घर में वास्तु के नियमों का पालन कर इससे मुक्ति पा सकते हैं। आप का सोने का कमरा पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिए। कमरे में हवा के लिए खिड़की जरूर होनी चाहिए। साथ ही सोने के लिए दिशा भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सोते समय सिर उत्तर और पैर दक्षिण में नहीं होने चाहिए। इसका मतलब है कि सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर में होने चाहिए। इसका सीधा संबंध चुंबकीय तरंगों से है क्योंकि यह तरंगें उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हैं, इसलिए अगर आप गलत दिशा में सिर रखकर सोते हैं तो आपको अनिद्रा की समस्या हो सकती है और साथ ही बीम के नीचे कभी नहीं सोना चाहिए।
पेट संबंधी समस्याएं
अगर आप पेट संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो आपको ईशान कोण और ब्रह्म स्थान पर ध्यान देना चाहिए। घर का केंद्र स्थान यानी ब्रह्म स्थान खाली होना चाहिए। उस पर किसी तरह का भारी समान नहीं रखना चाहिए। ईशान कोण में केवल पूजा घर ही बनाना चाहिए।
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इसके अलावा रसोईघर के साथ कभी भी बाथरूम ना बनाएं। खाना खाते वक्त बातें नहीं करनी चाहिए और इस दौरान टेलीविजन नहीं देखना चाहिए। रसोईघर अगर दक्षिण-पूर्व में हो तो उत्तम माना जाता है।
दमा के रोगियों के लिए वास्तु नियम
अगर घर में दमा का रोगी हो तो अपने बैठने वाले कमरे की पश्चिम वाली दीवार पर पेंडुलम वाली सफेद, सुनहरी या पीले रंग की घड़ी लगानी चाहिए।
मधुमेह के रोगियों के लिए
इस रोग से बचने के लिए अपने भूखंड और भवन के बीच के स्थान में कोई स्टोर, लोहे का जाल या बेकार का सामान नहीं रखना चाहिए।
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हृदय रोग के निवारण के लिए वास्तु नियम
घरों में टूटी खिड़कियां, शीशे, आईने नहीं होने चाहिए। अगर ऐसा हो तो उन्हें जल्द ही बदल देना चाहिए। टूटे शीशे और खिड़कियों को कभी अखबार, कागज या कपड़े से ना ढकें। यह भी वास्तु दोष माना जाता है।
जोड़ों के दर्द के लिए
अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो घर के कमरे में दीवारों पर आई दरारों की मुरम्मत करवा लें। दीवारों पर किसी झरने या पहाड़ी का पोस्टर लगाना चाहिए। साथ ही घर में सीढ़ियों का स्थान अगर वास्तु के अनुसार नहीं है तो भी वह आपके जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है।
दिमाग के रोगों के लिए
अगर आप किसी भी प्रकार की दिमागी कमजोरी या दौरे पड़ने की समस्या से ग्रस्त हैं तो उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाए शयन कक्ष में सोएं और घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में सोने से बचें।
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इसके अलावा अपने सोने के कमरे में खाना खाने से परहेज करें सोने के कमरे में कभी भी जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए। वास्तु शास्त्र के इन नियमों को अपनाकर आप अपने जीवन में अनेक समस्याओं से बच सकते हैं। जीवन को सफल और समृद्ध बनाने के लिए भारतीय संस्कृति के नियमों को अपनाएं और एक सफल जीवन व्यतीत करें।