बढ़ते साईबर क्राइम से निपटने के लिए पंजाब पुलिस द्वारा आई.टी. माहिरों की भर्ती और जि़ला स्तरीय साईबर क्राइम ईकाईयाँ की जाएंगी स्थापित

चंडीगढ़, 25 फरवरी:
बढ़ते साईबर अपराधों से निपटने और साईबर जगत की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) दिनकर गुप्ता ने बुधवार को 200 के करीब साईबर क्राइम और डिजिटल फोरेंसिक माहिरों की भर्ती और सभी जिलों में साईबर क्राइम ईकाईयां स्थापित करने का ऐलान किया।
डी.जी.पी. गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजऱ हम ज़्यादातर अपना जीवन साईबर जगत में ही व्यतीत कर रहे हैं और ऑनलाइन बैंकिंग कर रहे ज्यादतर लोग या फिर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को साईबर क्राइम बारे पता भी नहीं है। डी.जी.पी. ने यह प्रकटाव वैबिनार के द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन जागरूकता मुहिम ‘साईबर सुरक्षा’ के समापन समारोह के दौरान किया।
तीन महीनों की यह साईबर जागरूकता मुहिम पंजाब पुलिस और साईबर पीस फाउंडेशन (सी.पी.एफ) का साझा प्रयास था।

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दिनकर गुप्ता ने कहा कि पंजाब पुलिस नागरिकों विशेषकर महिलाओं और बच्चों, जिनके साईबर क्राइम का शिकार होने की संभावना सबसे अधिक होती है, के लिए सुरक्षित साईबर माहौल को यकीनी बनाने के लिए वचनबद्ध है।
उन्होंने कहा कि जहाँ साईबर क्राइम और डिजिटल फोरेंसिक माहिरों की भर्ती अप्रैल 2021 से शुरू हो जायेगी वहीं जि़ला स्तरीय साईबर क्राइम यूनिटों के अगले 6 से 8 महीनों में स्थापित होने की आशा है। जि़क्रयोग्य है कि मोहाली में पहले ही पंजाब पुलिस का राज्य स्तरीय साईबर क्राइम सैल मौजूद है।
डीजीपी ने कहा कि साईबर अपराध जैसे कि टैलिफोन और वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान चोरी के अपराध (फिशिंग), और मालवेयर की पहचान आदि सम्बन्धी नागरिक को जागरूक करने की जरूरत है और साईबर खतरों की पहचान करने और इन खतरों को टालने के लिए लोगों को पुलिस का सहयोग करने की अपील भी की।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस और सी.पी.एफ ने जागरूकता की अनुपस्थिति के कारण पैदा हुए इस अन्तर को समझने के लिए एक सर्वेक्षण भी किया है और साईबर क्राइम के विरुद्ध लडऩे के लिए सुरक्षा और नये ढंग व्यवहार में लाए हैं।
सी.पी.एफ. के सलाहकार डा. रक्षित टंडन ने सर्वेक्षण संबंधी जानकारी देते हुये बताया कि 8505 व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया जिनमें 3342 पुरुष, 5101 महिलाएं और 72 अन्य व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस साईबर स्टडी के दौरान पता लगा कि लोगों को पता है कि में कंप्यूटर हार्डवेयर (51प्रशित) से डाटा चोरी करने समेत हैकिंग (51प्रतिशत),आनलाइन इम्प्रेशन (39प्रतिशत), और आनलाइन उत्पीडऩ (38प्रतिशत) जबकि 34प्रतिशत प्रतिवादियों ने यह भी बताया कि किसी अन्य के खाते में से गैरकानून्नी लेन-देन करना और जाली खबरें (36प्रतिशत) फैलाना भी साईबर क्राइम का ही एक रूप है।
उन्होंने बताया कि यह सर्वेक्षण, जिसमें ज्यादातर भाग लेने वाले 10 से 20 साल की उम्र के थे और स्कूल जाते वालों, ने माना कि उनमें से लगभग 56प्रतिशत को साईबर क्राइम की रिपोर्ट करने संबंधी पता है और 50प्रतिशत ने कहा कि साईबर क्राइम संबंधी थानों में शिकायत की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत व्यक्ति इस बात से भी अवगत थे कि पंजाब पुलिस के पास विशेष साईबर क्राइम सैल्ल के इलावा क्राइम एंड क्रिमीनल ट्रेकिंग नैटवर्क मौजूद है और 44प्रतिशत रिसपांडैंटस इस बात से अवगत थे कि वह सूचना टैकनॉलॉजी एक्ट, 2000 के अंतर्गत साईबर क्राइम के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
ए.डी.जी.पी. कम्युनिटी अफेअरज डिविजन गुरप्रीत कौर दिओ ने बताया कि इस साईबर जागरूकता मुहिम के अंतर्गत नागरिकों को नये युग की प्रौद्यौगिकी और इसके लाभ -नुकसान को समझाने के लिए अलग-अलग विषयों को कवर करने वाले 26 वैबिनार आयोजित किये गए। जिसमें 22 सीनियर पुलिस अधिकारियों और साईबर पीस फाउंडेशन के 33 माहिर स्पीकरों की तरफ से भाषण भी दिए गए। उन्होंने कहा कि वैबिनार के इलावा ब्रेन ओलम्पिक, स्लोगन स्लैम और पैंट-ए-थोन जैसे मुकाबले भी दर्शकों के लिए आयोजित किये गए।
इस दौरान सी.पी.एफ. के फाऊंडर विनीत कुमार ने बताया कि इस मुहिम के अंतर्गत पिछले 3महीनों में 20 लाख से अधिक इम्पैशन हासिल किये और 3लाख से अधिक लोगों ने मुहिम दौरान वैबिनार देखे। उन्हों ने आगे कहा कि यह वैबिनार फेसबुक पेज ‘पंजाब पुलिस इंडिया’ पर कभी भी देखे जा सकते हैं।
-NAV GILL

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