-पूर्ण तौर से स्वदेशी नहीं है स्टेच्यू आफ लिबर्टी
-स्टेच्यू निर्माण में 15 करोड़ किसानों ने दिया मिट्टी व लोहा
विशव में सबसे उंचे निर्मित अमेरिका के स्टेच्यू आफ लिबर्टी के स्थान पर अब गुजरात में बने स्टेच्यू आफ यूनिटी को विशव का सबसे उंचे स्टेच्यू के रुप में पहचाना जाएगा। अमेरिका के स्टेच्यू आफ लिबर्टी के उंचाई 93 मीटर है। जबकि स्टेच्यू आफ यूनिटी की उंचाई 182 मीटर है। 2900 करोड़ रपये की भारी भरकम राशि में बने स्टेच्यू आफ यूनिटी की कई रोमांचक जानकारियां हमेशा खास रहेंगी। स्टेच्यू आफ यूनिटी के निर्माण में भारत संग चीन का भी अहम योगदान है। एेसे में इस मूर्ति को पूर्ण तौर से स्वदेशी नहीं कहा माना जा सकता है। गौर हो इस मूर्ति के निर्माण में देश के सभी राज्यों के 15 करोड़ किसानों ने मिटट्टी व लोहा प्रदान किया था।
मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि इस मूर्ति के निर्माण में चीन की कंपनी जियान जी टोकिंग का अहम योगदान रहा है। मूर्ति पर लगाई गई सात हजार प्लेट का निर्माण चीन में किया गया। वहां से इन प्लेटस को बना कर भारत लाया गया। जहां पर इनको वेल्डिंग कर जोडा गया।
स्टेच्यू आफ यूनिटी के निर्माण की राष्ट्रीय एकता नामक योजना वर्ष 2011 में बनाई गई थी। जबकि इस योजना को वर्ष 2015 में क्रियान्वित किया गया। पदम भूषण अवार्डी रामवीर सुतार को इस भव्य मूर्ति के निर्माण की जिम्मेवारी सौपी गई। गुजरात के बडौ़दरा शहर में नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर के पास साधु बेट पर 2900 करोड़ रुपये की राशि से बनाई गई विशव की सबसे उंची 182 मीटर भव्य मूर्ति के निर्माण में लगभग 42 माह का लंबा समय लगा। देश के सभी राज्यों के 15 करोड़ किसानों से लिए गए 139 टन मिट्टी व लोहे का इस मूर्ति निर्माण में प्रयोग करने के चलते ही इसे स्टेच्यू आफ यूनिटी का नाम दिया गया है।
मूर्तिकार रामवीर सुतार ने देश की आजादी के बाद लौहपुरुष के नाम से विख्यात 560 देसी रियासतों को भारत का हिस्सा बनाने वाले देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की 1949 में खींची गई एक फोटो के अनुसार 18 मीटर उंची एक डमी मूर्ति को डिजाईन किया गया। इस मूर्ति को सरदार पटेल के देखने वालों को दिखाया गया। इसके बाद इस मूर्ति को मीटर के आकार में बनाया गया। इस मूर्ति को देख कर सरदार पटेल की हू-ब-हू आकृति का अहसास होता था।
182 मीटर उंची भव्य मूर्ति की बेस 25 मीटर है। जिसमें प्रदर्शनी हाल भी बनाया गय़ा है। इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगाई गई हैं। जो 26 लोगों को उंपर तक ले जा सकेंगी। तीन लेयर में बनी इस मूर्ति में सबसे पहले 127 मीटर के दो टॉवर बनाए गए हैं। इसके बाद स्टील और उसके उपर आठ मिलीमीटर का कांस्य लगा हुआ है। इस मूर्ति के निर्माण में 70 हजार मीटि्रक टन सीेमेंट, 2.12 हजार क्यूबिक मीट्रिक टन कंक्रीट, 18 हजार मीट्रिक टन स्टील और 65 हजार स्ट्रक्चरल स्टील का प्रयोग किया गया है।