सच्चाई जो लॉकडाऊन के दौरान आई सभी के सामने

वंदना
लॉक डाउन के चलते सभी अस्पतालों की OPD बन्द है, आपातकालीन वॉर्ड में भीड़ नजर नही आती। कोरोना से सम्बन्धित मरीजों के अलावा कोई भी नए मरीज नही आ रहे हैं | अचानक ही हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज के मामले बहुत कम हो गए हैं। साथ ही सड़कों पर वाहन ना होने से दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं। इतना ही नहीं श्मशान में आनेवाले शवों की संख्या भी कम हो गई है | अचानक ऐसा क्या हो गया है जो अन्य बीमारियों में इतनी गिरावट आ गई ? क्या कोरोना ने सभी अन्य रोगों को नियंत्रित या नष्ट कर दिया है?

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सच तो यह है कि गंभीर रोग ना होने पर भी डॉक्टर उसे जानबूझ कर गंभीर बनाने की कोशिश कर रहे थे। लॉक डाउन के चलते वास्तविकता धीरे धीरे सामने आ रही है|

भारत में जब से कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स, टेस्टिंग लैब्स की बाढ आई, तभी से यह संकट गहराने लगा था। हल्का सा सर्दी, जुकाम और खांसी होने में भी हजारों रुपये के टेस्ट करवाने के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा था। छोटी सी तकलीफ होने पर धड़ल्ले से ऑपरेशन्स किये जा रहे थे। सीरियस
बता कर मरीजों को यूँ ही ICU में रखा जा रहा था। बीमारी से ज्यादा भय उपचार करवाने से लगने लगा था | कोरोना के आते ही यह सब अचानक बन्द हो गया, इंसान सही में बीमार हो भी रहा था या सिर्फ पैसा कमाने के लिए किया जा रहा था ?

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जंक फ़ूड को करें बाय बाय

भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व में सबसे ज्यादा है यह कोरोना के आते ही वापस से साबित हो गया है | भारतीय मसाले इम्युनिटी बूस्ट करते है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कोई बीमारी कुछ नहीं बिगड़ पाती | साफ सुथरा और सादा जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है और यही हमारी संस्कृति है | जिसे आज विश्व मान रहा है |

कोरोना जहा एक ओर महामारी के रूप में आया है वही दूसरी तरफ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी आगे रहा है । कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर अंकुश लग गया है। लोग स्वयं ही बाहर के बजाए घर का खाना पसंद करने लगे हैं। जिससे अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं , साथ ही सोच बदलने लगी है हर व्यक्ति जागृत हो रहा है। शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं, यह समझ में आने लगा है| घर का सफाई से बना खाना खाने से ना सिर्फ बीमारियों से मुक्ति मिलती है बल्कि अनावश्यक खर्चों से भी बहुत हद तक मुक्ति मिल गई है। हम और हमारे बच्चे बिना जंक फूड के भी जिन्दा रह सकते हैं|

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भारतीय संस्कृति और वेद विश्व में सबसे आगे

यूरोपीय देश चाहे कितने भी शिक्षित हों फिर भी भारतीय सभ्यता , संस्कृति और ग्रंथों के आगे फीके नजर आ रहे है | गंगा का जल और आसमान साफ़ नजर आने लगा है ,पशु-पक्षियों की आवाजें भी साफ सुनाई देने लगी हैं| तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों के बच्चों को होने लगा है | बिना उपयोग के विश्व में सोना,चाँदी और तेल का कोई महत्व नहीं रह जाता यह दिखाई देने लगा हैं | पैसे अगर मानवता के काम ना आएं तो उन पैसों का कोई महत्व नहीं रह जाता | भारतीयों में जो मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है वही मानवता और संस्कृति भारत को इस महामारी से लड़ने कि प्रेरणा बानी हैं जिस कारण भारत आज विश्व में फिर से पहले नंबर पर आ गया है | जिसका अनुकरण पूरा विश्व कर रहा हैं |

कुछ सदियों बाद कोई ना कोई महामारी आती है और चली जाती है | आज नहीं तो कल कोरोना पर भी नियंत्रण हो ही जाएगा, पर हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, यदि इसे हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम करें, तो जीवन वास्तव में बहुत ही सुखद एवं सुंदर हो जाएगा। खराब समय को भारतीय ही सबसे बहेतरीन तरीक़े से संभाल सकते हैं इसलिए कोरोना वायरस को हराना है तो अपनी संस्कृति का व सरकार के बनाए नियमों का पालन हर एक को करना होगा |
घर में ही रहें ,सुरक्षित रहें,अपना व अपनों का अच्छे से ध्यान रखें |

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