-महाभारत काल में महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच थे इस गांव के राजा
सदियों से सम्मोहन, जादू, काला जादू के बारे पौराणिक ग्रंथों में कई जानकारियां उपलब्ध है। भारत का एक प्राचीन गांव आज भी काला जादू किए जाने के नाम से और काले जदू के गढ़ से प्रसिद्ध है। सबसे खास बात यह है कि इस गांव के हर घर में काला जादू किया जाता है। सबसे खास बात यहा है कि महाभारत काल में महाबली भीम और हिडंबा के बेटे घटोत्कच इस गांव के राजा थे। आईए, आज आपको इस गांव की जानकारी दें कि यह गांव भारत के किस राज्य मे स्थित हैं।
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वह गांव जहां पर घर में होता है काला जादू
काले जादू का नाम आते ही दिमाग में नींबू, मिर्च, सुई, पुतला जैसे कई खौफ समाने लग जाते हैं। भारत के असम राज्य का मायोंग गांव ऐसा है, जिसे काले जादू का गढ़ कहा जाता है। इस गांव के आसपास वाले भी इस गांव में आने से डरते हैं। कहा जाता है कि पूरे विश्व में काले जादू की शुरुआत इसी जगह से हुई थी। गांव मायोंग गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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महाभारत काल से जुड़ा है इस गांव का इतिहास
मायोंग नाम संस्कृत शब्द माया से लिया गया है। महाभारत में भी मायोंग का जिक्र आता है। कहा जाता है कि महाबली भीम का मायावी पुत्र घटोत्कच मायोंग का ही राजा था। वर्ष 1332 में असम पर मोहम्मद शाह बादशाह ने एक बड़ी सेना से चढ़ाई कर दी थी। तब वहां हज़ारों तांत्रिक मौजूद थे। उन्होंने मायोंग को बचाने के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी जिसको पार करते ही सैनिक गायब हो जाते थे।
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गांव में काला जादू सीखने आते हैं लोग
दुनियाभर से काला जादू सीखने और रिसर्च के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग मायोंग आते हैं। मगर आसपास के गांवों के लोग यहां आने से डरते हैं। यहां आने वाले अधिकतर लोग काले जादू से बीमारियों को दूर करने या काला जादू सीखने के लिए आते हैं। इस विधा का गलत ढंग से इस्तेमाल के बारे ज्ञान नहीं दिया जाता है।
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गांव में स्थित दो कुंड पर होती है साधना
गांव में दो कुंड एक अष्टदल कुंड व दूसरा योनि कुंड है। योनि कुंड पर हिंदू और अष्टदल कुंड पर बौद्ध साधना करते हैं। योनि कुंड पर कई मन्त्र लिखे हैं। मान्यता है कि मंत्र शक्ति के कारण ये कुंड हमेशा पानी से भरा रहता है। गांव में 12 वीं शताब्दी की कई हस्तलिखित पांडुलिपियां मौजूद हैं। यह सभी काला जादू के कीमती दस्तावेज हैं। इन पांडुलिपियों की भाषा के जानकारे बेहद कम हैं। गांव में बूढ़े मायोंग नाम का एक स्थान है। जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता है। यहां पर भगवान शिव, माता पार्वती व श्री गणेश की तांत्रिक प्रतिमाएं विद्यमान है। कहां जाता है कि सदियों पहले यहां पर नरबलि भी दी जाती थी।
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काला जादू का प्रयोग केवल भलाई के लिए होता है
मायोंग के लोग काले जादू का उपयोग केवल समाज की भलाई के लिए ही करते है। कई विधाओं से लोगों की बीमारियां ठीक करने और चोरों को पकड़ने के लिए भी किया जाता है। गांव के लोगों का कहना है कि इसे काला जादू कहना गलत है। असल में यह तंत्र की एक विधा है। जिसे भगवान शिव ने अपने भक्तों को दी थी। पुराने समय में एक पुतले का निर्माण कर उस पर प्रयोग कहीं दूर बैठे रोगी के उपचार व परेशानियां दूर की जाती थी। उस पुतले पर रोगी का बाल बांधकर विशेष मंत्रों से उस पुतले को जागृत किया जाता था। उसके बाद रोगी के जिस भी अंग में समस्या होती थी। पुतले के उसी अंग पर सुई को गड़ाकर विशेषज्ञ अपनी सकारात्मक ऊर्जा को वहां तक पहुंचाते थे। ऐसा करने से मरीज की तकलीफ समाप्त हो जाती थी। मौजूदा समय की रेकी और एक्यूप्रेशर इसका मिश्रण है।
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प्रदीप शाही