मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही घंटी घडियाल क्यों लगाया जाता है

-पूजा से पहले इस बजाने से निकलती है सकारात्मक उर्जा

भारतीय संस्कृति में हर रीति रिवाज, हर परंपरा के बेहद सकारात्मक प्रभाव मिलते हैं। कई पंरपराओं को तो विज्ञान ने भी स्वीकारा है। क्या आप जानते हैं कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही घंटी को क्यों लगाया जाता है। क्या घंटी बजाने का मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित भगवान से कोई नाता है। क्या इसका कोई साइंटिफिक असर भी होता है। आईए इस बारे आपको जानकारी प्रदान करते हैं।

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घंटी क्या है ?

माना गया है कि जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ था, तब सर्वप्रथम एक नाद (आवाज) गूंजायमान हुआ। वह आवाज घंटी बजाने पर आती है। घंटी को उसी नाद  का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों में यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है। सृष्टि के शुभारंभ के मौके पर गूंजे नाद के प्रतीक घंटी या घंटे को मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है।कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगी, उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।

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कितने प्रकार की होती हैं घंटियां

घंटियां चार तरह होती हैं। इनमें प्रमुख तौर से  गरूड़ घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और  घंटा होता है।

गरूड़ घंटी : गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है। जो आमतौर से घर में सुबह शाम होने वाली पूजा के दौरान बजाई जाती है।

द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकाई जाती है। इसके आकार बड़े और छोटे दोनों ही तरह के होते हैं।

हाथ घंटी : यह पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं।

घंटा : यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम पांच फुट लंबा और चौड़ा होता है। यह घंटा अष्ट धातु का बनाया जाता है। इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है। इन घंटों को आमतौर पर मंदिर के प्रवेश द्वार के अलावा मंदिर के गुंबद पर लगाने की भी परंपरा है।

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घंटी बजाने से वातावरण होता है शुद्ध

स्कंद पुराण अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं, पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से ईश्वर जागते हैं। और वह आपकी प्रार्थना को सुनते हैं। घंटी हमेशा मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है। जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती है।  नकारात्मक शक्तियां समाप्त होकर समृद्धि के द्वार खोलती है। यही कारण है कि मंदिर में प्रवेश द्वार पर एक या एक से अधिक घंटियां और घंटा लगाने की परंपरा है। घंटी के कारण ही मंदिर व मंदिर के आसपास का वातावरण शुद्ध रहता है। घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत हो जाती है। जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।

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घंटी बजाने के पीछे हैं वैज्ञानिक कारण

मंदिर में घर में हो या किसी धार्मिक स्थल वहां घंटी बजाने के धार्मिक कारण तो हैं ही। परंतु घंटी बजाने के हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी दिखाई देचे हैं।  वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में जो कंपन पैदा होती है। वह वायुमंडल के कारण काफी दूर तक चली जाती है।  इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं। इससे उस क्षेत्र का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

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घंटी बजाने से होते हैं लाभ

घंटी बजाने से निकलने वाली मनमोहक कर्णप्रिय ध्वनि मन, मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से पाप भी नष्ट होते हैं।  सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है। तो एक लय और विशेष ताल के साथ घंटियां बजाई जाती हैं। इससे वहां मौजूद लोगों के मन में शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।

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प्रदीप शाही

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