चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजूआ ने पराली और नाड़ जलाने की दर को और कम करने और पराली प्रबंधन के लिए पंजाब के उच्च अधिकारियों और सभी डिप्टी कमिश्नरों के साथ एक समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर यत्न किये जा रहे हैं और इस मकसद को प्राप्त करने के लिए जिलों के सम्बन्धित अधिकारियों को अपनी कोशिशें और तेज़ कर देनी चाहीए हैं, जिससे पंजाब में पराली जलाने के मामलों में ज़्यादा से ज़्यादा गिरावट लाई जा सके।
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इससे पहले 22 सितम्बर को भी मुख्य सचिव ने मीटिंग की थी और इस मीटिंग के दौरान हरेक जि़ले में पराली प्रबंधन संबंधी हरेक डिप्टी कमिश्नर से मुख्य सचिव ने प्रगति रिपोर्ट ली। उन्होंने कहा कि इस बार पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को हर हाल में रोकने के लिए डी.सीज अपने-अपने जिलों में तेज़ी लाएं। उन्होंने कहा कि पराली और नाड़ जलाने से रोकने के लिए हैप्पी सीडर और ऐसे अन्य यंत्रों/मशीनों की खरीद के लिए किसानों की ज़्यादा से ज़्यादा मदद की जाये।
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मुख्य सचिव ने कहा कि वातावरण ख़ास तौर पर हवा और धरती को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पंजाब सरकार पराली को जलाने की जगह इसके प्रबंधन की तरफ विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान संबंधी समझाया जाये। उन्होंने कहा कि अक्तूबर के मध्य से लेकर नवंबर के मध्य तक पराली जलाने से हर साल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य ख़ासकर बच्चों और बुज़ुर्गों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए किसानों को हर हाल में पराली जलाने की जगह उसके प्रबंधन के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
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मुख्य सचिव को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा पराली न जलाने सम्बन्धी किये जा रहे प्रचार और इससे होने वाले नुकसान संबंधी जागरूक करने के कारण इस साल पराली को आग लगाने की घटनाओं में बड़ी कमी आने की संभावना है। मुख्य सचिव ने कहा कि अलग-अलग माध्यमों ख़ास तौर पर धार्मिक स्थानों से अनाऊंसमैंट करवा कर और एन.जी.ओज के द्वारा किसानों में और जागरूकता फैलायी जाये। उन्होंने कहा कि किसानों को समझाया जाये कि पराली और नाड़ जलाने का निजी और सामाजिक स्तर पर बहुत ज़्यादा नुकसान है।
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मुख्य सचिव ने कहा कि जिन गाँवों में पहले भी नाड़ को आग लगाने के मामले सामने आए हैं, वहाँ प्रशासन ज़्यादा चौकसी इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि किसानों को स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के द्वारा भी समझाया जाये कि पराली को आग लगाने से बच्चों को ‘गंदा और प्रदूषित’ भविष्य मिलेगा। मुख्य सचिव ने डिप्टी कमिश्नरों को हिदायत की कि इस साल पराली जलाने के मामले हर हालत में रोके जाएँ और इस बाबत लापरवाही ना बर्दाश्तयोग होगी।