-विज्ञान ने भी माना सूर्य अर्घ्य बेहद हितकारी
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना गया है। इतना ही नहीं सूर्य को देवता के रुप में भी पूजा जाता है। पूर्व दिशा को सूर्यदेव के उदय का मार्ग माना गया है। जो स्वयं शक्ति और जीवन का प्रतीक माना जाता हैं। सदियों से सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा जारी है। सूर्य को अर्घ्य देने की इस परंपरा को कई वहम की श्रेणी में रखते हैं। जो सत्य से कोसों दूर है। क्योंकि सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा को तो अब विज्ञान ने इंसान के लिए हितकारी स्वीकार कर लिया है। आईए आपको सूर्य अर्घ्य देने के बारे विस्तार से जानकारी प्रदान करें। जानें आखिर कैसे सूर्य अर्घ्य के अचूक उपाय को अपने जीवन का हिस्सा बना किस्मत को चमकाया जा सकता है।
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भगवान श्री राम, दानवीर कर्ण भी करते थे नियमित सूर्य अर्घ्य
भगवान श्री विष्णू के छठे अवतार भगवान श्री राम हर दिन सूर्य की पूजा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते थे। इसके अलावा महाभारत काल में दानवीर कर्ण भी नियमित नदी किनारे पहुंच कर सूर्य की पूजा करते थे। और सूर्य को जल का अर्घ्य देते थे।
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सूर्य के प्रकाश से होती धरती पर दिन की शुरुआत
वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य एक आग का गोला है। सूर्य के प्रकाश से ही इस धरती पर दिन की शुरुआत होती है। सूर्य का प्रकाश सिर्फ मनुष्य के लिए बल्कि सभी जीव जंतुओं और पेड़ पौधों के जीवित रहने में अहम भूमिका निभाता है। सूर्य की ऊर्जा न मिलने से पेड़ पौधे अपने भोजन का निर्माण भी नहीं कर पाएंगे। सूर्य इस धरती से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। सूर्य का प्रकाश धरती पर करीब 8 मिनट और 19 सेकिंड में पहुंचता है।
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सूर्य अर्घ्य से होता है धर्म और स्वास्थ्य लाभ
सूर्य अर्घ्य से आत्म शुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। सूर्य को जल देने से धर्म, स्वास्थय लाभ मिलता है। नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है। जो इंसान को उर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में इसका आपको लाभ मिलता है। इंसान की तरक्की होती है। सूर्य को जल चढ़ाने का सीधा असर हमारे व्यक्तित्व पर पड़ता है। क्योंकि सूर्य सभी ग्रहों का स्वामी है। इसलिए ग्रहों का स्वामी यदि प्रसन्न हो जाए, तो अन्य सभी ग्रह अपने आप कृपा बरसा देते हैं। पुराणों में तो सूर्य की उपासना को सभी रोगों निवारण माना गया है।
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सूर्य को जल के अर्घ्य देने के नियम
सूर्य को जल का अर्घ्य देने के नियम के भी नियम बनाए गए हैं। स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के बर्तन से जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली या लाल चंदन, चावल और लाल पुष्प जरुर मिलाएं। तांबे के लोटे में भरे जल को सूर्य को सात बार अर्पित करना चाहिए। जल चढ़ाते समय दोनों हाथों से लोटे को पकड़ कर रखना चाहिए। लोटे में से निकलती जल की धार से सूर्य की किरणों को जरूर देखना चाहिए। जल का अर्घ्य पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके ही करना चाहिए। जल चढ़ाते समय जमीन पर गिरा हुआ आपके पैरों तक नहीं पहुंचना चाहिए। किसी ऐसी जगह से सूर्य को जल चढ़ाएं। जहां से सूर्य को अर्पित किया गया जल किसी के पैरों में न आए। जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप जरुर करना चाहिए। यदि हो सके तो इस दौरान लाल वस्त्र धारण करें।
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क्या हैं सूर्य को जल चढाने के वैज्ञानिक कारण ?
सूर्य को जल चढ़ाना हमारे शरीर पर सीधा असर डालता है। सुबह उगते सूर्य को जल चढाने का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर बहुत लाभकारी प्रभाव डालता है। सुबह-सुबह की हवा और उगते सूर्य की किरणें हमारी त्वचा पर पड़ती हैं। तो हमारी त्वचा दमक उठती है। और हमारे चेहरे पर तेज दिखाई देता है। साथ ही आंखों की ज्योति को बेहतर बनाती है। पानी के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरणों से जो रंग निकलते हैं । वह हमारे स्वास्थय को बेहतर बनाती है। सूर्य की रोशनी से हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है जो हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करती है। सूर्य की किरणें हमारे शरीर के हानिकारक तत्वों को नष्ट कर देती है। इतना ही नहीं नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।
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अर्घ्य देने के क्या हैं लाभ
ज्योतिष अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है। जिनमें आत्म-विश्वास की कमी होती है। जो लोग भीड़ में घबराते हैं। नकारात्मक सोच रखने वाले, अज्ञात भय की आशंका रखने वाले लोग सुबह सूर्य को जल अर्पित करें। इससे उक्त समस्याओं का समाधान व घर परिवार को मान सम्मान मिलता है। सूर्य को जल देने में रंग विज्ञान भी छिपा है। सूर्य से निकलने वाली किरणें हमारी बॉडी में रंगों का बैलेंस बिगड़ने से कई रोगों का खतरा समाप्त हो जाता है। इससे हमारी बॉडी में रज़िस्टेंस भी बढ़ती है। योग में सूर्य नमस्कार मुद्रा भी इसका एक हिस्सा है। योग मुद्रा में सूर्य नमस्कार करने से हममें एकाग्रता बढ़ती है। रीढ़ की हड्डी में आई समस्याओं सहित कई बीमारियां अपने आप दूर हो जाती हैं। इतना ही यह जल भाव बन कर उड़ता है। तो इससे हम बारिश होने में भी अपना योगदान देते हैंय़ जल, वेपोरेट होकर सही समय पर बारिश में योगदान देता है। छठ मैय्या पूजन के दौरान भी सूर्य देव की पूजा का विधान है।
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प्रदीप शाही