-सिख इतिहास के अहम हिस्से संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम -कैप्टन अमरिन्दर सिंह
एस.ए.एस. नगर (मोहाली):
जैसे ही हवलदार ईशर सिंह के शब्द रात के सन्नाटे में गूँजे तो दर्शकों में शामिल बहुत से लोगों की आंखों में से अश्रु बहने लगे। सारागढ़ी की ऐतिहासिक लड़ाई संबंधी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पुस्तक ने इस दृश्य और आवाज़ की विलक्षण एकरूपता को प्रेरित किया था। इसने यह दिखा दिया है कि कैसे इस घटना को शानदार ढंग से भावनात्मक रूप में तबदील किया जा सकता है।
सारागढ़ी की लड़ाई संबंधी दृश्य और आवाज़ का जीता-जागता प्रदर्शन यहां डिजिटल सैट की पृष्ठभूमी में मंगलवार की शाम 50 फुट एलईडी स्करीन पर प्रदर्शित किया गया। इस शो में हवलदार ईशर सिंह ने उन प्रेरणादायक शब्दों को उच्चारण किया जिनके द्वारा ड्यूुटी की महत्ता का जि़क्र किया गया था। इन शब्दों ने ब्रिटिश की भारतीय फ़ौज के 21 सिपाहियों को पश्तून औरकज़ाई कबिलों के विरुद्ध प्रेरणा दी और इन फौजियों ने उन कबिलों के विरुद्ध लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिए। जब हवलदार ईशर सिंह यह शब्द बोल रहा था तो वहाँ बैठे दर्शकों में ज़बरदस्त मौन और सन्नाटा था। ऐसा लगता था कि 12 सितम्बर, 1897 की लड़ाई उनकी अपनी आँखों के सामने दोबारा पेश की जा रही हो। यह जंग 36 सिख से संबंध बहादुर फौजियों ने एक सदी से भी अधिक समय पहले बहादुरी से लड़ी थी।
इस शो के शुरू होने से पहले बोलते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस संबंधी कोशिशों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा इस शो ने युद्ध की भावना को सफलतापूर्वक उभारा है। इसने घटनाओं की एक बार फिर याद दिलाई है जो पिछले अनेकों वर्षों से गुमनामी के नीचे दबी पड़ी थी। अपनी किताब के साथ महत्वपूर्ण घटनाएँ को फिर सामने लाने में अहम भूमिका निभाने वाले कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऐसे शो सिख इतिहास का एक अहम हिस्सा हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि साइट और साउंड शो उस लड़ाई की भावना को प्रचार करने के लिए और मदद कर सकता है जिसमें 21 फौजियों ने अफगान कबिलों की बड़ी शक्तिशाली फ़ौज के साथ टक्कर ली थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सारागढ़ी की जंग को पंजाब के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फ़ैसला किया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह साइट एंड साउंड शो इस लड़ाई संबंधी अपेक्षित जागरूकता पैदा करने में मदद कर सकता है। यह हमारे फ़ौजी इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है और यह नौजवान पीड़ी को प्रेरित करने के लिए अहम भूमिका निभा सकती है।
इस शो के प्रोड्यूसर और सह -लेखक हरबकश लट्टा के अनुसार, ‘‘इस महत्वपूर्ण दिन की घटनाओं को पर्दे के लिए इक_ा करने के लिए उनको आठ महीने लग गए। कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा लिखी किताब ने उनको इस विषय पर अपनी नयी लाईट एंड साउंड शो के लिए प्रेरित किया।’’ उनके अनुसार इसका संकल्प लाईट एंड शो और थियेटर और फि़ल्म के पक्ष से अलग था। केशव भ्राता के साथ मिलकर स्क्रिप्ट लिखने वाली लाटा ने कहा कि सारागढ़ी एंड दा डिफेंस ऑफ की समाना फोरटस -की 36 सिख्ज इनका तीराह कैंपेन 1897 -98 नाम के शीर्षक वाली यह किताब उनके संकल्प की प्राप्ति के लिए सभी ज़रुरी स्रोतों के लिए मुख्य स्रोत बन गई।
एक घंटे के इस शो में 45 कलाकारों /अदाकारों द्वारा कॉरीयोग्राफ किया गया । इसमें मुख्य तौर पर ग्रामीण पंजाबी भाषा की प्रधानता है जो लड़ाई लडऩे वाले फ़ौजी मुख्य तौर पर बोलते थे। पश्तून सिपाही उर्दू बोलते नजऱ आ रहे हैं जबकि शो में ब्रिटिश अंग्रेज़ी और हिंदी के मिश्रण का इस्तेमाल करते हैं।
यह शो की तीसरी स्क्रीनिंग थी। इससे पहला पटियाला में विरासती मेले और फिर अमृतसर के जंगी म्युजियम में शो हो चुका है।
यह शो 9 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है जिसका बड़ा हिस्सा ऐतिहासिक वर्दियां /पहनावे का प्रबंध करने के लिए लग गया। 36 सिख द्वारा लड़ाई में इस्तेमाल की गई तोपों को भी इसमें दिखाया गया है।
इस अवसर पर आर्मी कमांडर (वैस्टर्न कमांड) लैफ्टिनैंट जनरल सुरिंदर सिंह, कोर कमांडर लै. जनरल ए.एस. कलेर, जीओसी फस्ट आर्मड डिविजन मेजर जनरल जे.एस.संधू और सिख रेजीमैंट के मोजूदा कमांडर लैफ्टिनैंट जनरल एस.के. झा के अलावा फौज के अनेकों सेवानिर्वत्त अधिकारी उपस्थित थे।