भारत देवी-देवताओं व ऋषियों-मुनियों की धरती है। भारत में भगवान के विभिन्न रूपों की अराधना व पूजा की जाती है। भारत के कोने-कोने विभिन्न में देवी- देवताओं के मंदिर स्थित हैं। कुछ मंदिर इतने चमत्कारिक, रहस्यमयी व अदभुत हैं जिनके रहस्यों को सुलझाने में वैज्ञानिक भी आज तक सफल नहीं हो सके। देश भर में भगवान शिव के मंदिर मौजूद हैं। प्रत्येक मंदिर का अपना इतिहास है, अपनी मान्यताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जानकारी देंगे जिसके अनसुलझे रहस्य के बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। एक ऐसा मंदिर जिसमें स्थापित शिवलिंग पर हर 12 सालों में एक बार बिजली गिरती है और शिवलिंग हर बार खंडित हो जाता है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि इसके बाद यह खंडित शिवलिंग फिर से जुड़ जाता है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश में स्थित ‘बिजली महादेव’ मंदिर की।
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‘बिजली महादेव’ मंदिर का इतिहास
‘बिजली महादेव’ मंदिर देव भूमि हिमाचल प्रदेश के कुल्लु में स्थित है। यह मंदिर ब्यास और पार्वती नही के संगम के पास एक उंचे पर्वत पर स्थित है। मान्यता के अनुसार सदियों पहले यहां पर कुलान्त नामक दैत्य रहता था। यह दैत्य ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस स्थान को डुबोना चाहता था। इसलिए उसने एक बड़े अजगर का रूप धारण किया और ब्यास नदी में कुंडली मारकर बैठ गया। भगवान शिव को कुलान्त का यह व्यवहार बेचैन करने लगा। इस स्थान को जलमगन होने से बचाने के लिए भगवान शिव ने कुलान्त के कान में कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गई है। जैसे ही कुलान्त ने पीछे मुड़कर देखा तो भगवान शिव ने उसके सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलान्त मारा गया। कुलान्त के मरते ही उसका विशालकाय शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। कुल्लु घाटी के बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और मंडी के घोघरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है।कुलान्त के नाम से ही इस जगह का नाम पहले कुलूत और बाद में कुल्लु पड़ा।
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क्यों गिरती है शिवलिंग पर बिजली-
पहाड़ी प्रदेश होने के कारण बिजली गिरना यहां पर आम बात थी। इस पर विशिष्ट मुनि ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस स्थान व धरती को बचाने के उद्देश्य से महादेव इस धरती पर पड़ने वाली बिजली को रोकने का कोई समाधान निकालें।
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खंडित होने पर मक्खन से जुड़ जाता है शिवलिंग
कहा जाता है कि 12 सालों में एक बार इस शिवलिंग पर बिजली गिरती है। जिससे यह शिवलिंग खंडित हो जाता है। मंदिर का पुजारी इस खंडित शिवलिंग को मक्खन से जोड़कर फिर से स्थापित कर देता है। और कुछ समय बाद शिवलिंग अपने पुराने स्वरूप में आता है। कहा जाता है कि इस इलाके के लोगों के जान माल की रक्षा के लिए भगवान शिव अपने पर बिजली गिरवाते हैं।
कैसे पहुंचें ‘बिजली महादेव’ मंदिर तक
‘बिजली महादेव’ मंदिर कुल्लु से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुल्लु से चांसरी गांव तक बस या टैकसी से पहुंचा जा सकता है। इस गांव से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ‘बिजली महादेव’ मंदिर। इस गांव से पैदल मंदिर तक चढ़ाई की जाती है। इस स्थान पर पहुंचने पर आप ‘बिजली महादेव’ के अदभुत मंदिर के दर्शन तो कर ही सकते हैं। साथ ही इस मनमोहक स्थान से कुल्लु घाटी को निहारते हुए प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन भी कर सकते हैं।
धर्मेन्द्र संधू