पूर्व चेयरमैन दिनेश बस्सी द्वारा और अनियमितताएं आईं सामने

पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा रिकार्ड तलब करके पड़ताल जारी
अदालत ने दिनेश बस्सी का दो दिन का विजीलैंस रिमांड दिया
चंडीगढ़: प्लॉट अलॉटमेंट के घपले में पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा गिरफ़्तार किये गये पूर्व चेयरमैन नगर सुधार ट्रस्ट अमृतसर दिनेश बस्सी की नियुक्ति दौरान पद का दुरुपयोग करने संबंधी की गई पड़ताल के दौरान काफ़ी अनियमितताएं सामने आईं हैं जिसमें शहर में विकास कार्यों संबंधी अलॉट टैंडरों, मुकम्मल करवाए गए कामों, अलॉट किये गए वेरका मिल्क बूथों, अलग-अलग व्यक्तियों को जारी किये गए कमर्शियल/ रिहायशी प्लॉट और ट्रस्ट कार्यालय में से अलग-अलग प्लॉटों की ग़ुम हुई फाइलें आदि बारे नगर सुधार ट्रस्ट, अमृतसर के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत होने संबंधी सबूत मिले हैं जिस बारे और गहन जाँच जारी है। दिनेश बस्सी को आज अमृतसर की अदालत में पेश किया गया जहाँ उसका दो दिन का विजीलैंस रिमांड दे दिया गया है।
इस संबंधी जानकारी देते हुए पंजाब विजीलैंस ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने बताया कि जाँच के दौरान अब तक सामने आए तथ्यों के अनुसार मुलजिम दिनेश बस्सी द्वारा बतौर चेयरमैन नगर सुधार ट्रस्ट, अमृतसर होते हुए करीब 300/ 400 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के टैंडर जारी किये, जिनमें काफ़ी अनियमितताएं होने के कारण जांच दौरान करोड़ों का घपला सामने आ सकता है। उन्होंने बताया कि इन अनियमितताओं में इसमें मुख्य तौर पर गुल एसोसिएट्स, जसजीत सिंह मक्कड़ कंट्रैक्टर्ज़, चमन लाल एंड सन्ज़, भारत इलेक्ट्रिकल्ज़, पंजाब बिल्डर्ज़, एस.एस. बिल्डर्ज़ और अजय गिल (अजयपाल सिंह गिल) फर्मों के नाम सामने आ रहे हैं।
प्राथमिक जाँच के दौरान सामने आया है कि साल 2019 से 2021 तक दोषी दिनेश बस्सी द्वारा अमृतसर में मुख्य तौर पर कम्युनिटी हाल न्यू अमृतसर, राम तलाई मंदिर जी.टी. रोड अमृतसर, वेरका में वल्ला नाम का स्टेडियम, न्यू अमृतसर में 07 एकड़ पार्क, जौढ़ा फाटक अमृतसर में अंडर ब्रिज, ट्रक स्टैंड स्कीम और हलका पश्चिमी में सरकारी स्कूल छहरटा को स्मार्ट स्कूल बनाने के काम करवाए गए हैं जिनका रिकार्ड हासिल करके जांच की जायेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि बस्सी द्वारा करीब 37 फर्मों की इनलिस्टमेंट करवाई गई जिस बारे रिकार्ड पढ़ने पर पाया गया कि इन फ़र्मों को रजिस्टर करने संबंधी सरकार द्वारा जारी हिदायतों और नियमों के उलट जाकर ज़रुरी दस्तावेज़ हासिल करे बगैर ही बतौर ठेकदारों को रजिस्टर किया गया है और दिनेश बस्सी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इन ठेकेदारों को करोड़ों रुपए के टेंडर/ काम अलॉट किये गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि दिनेश बस्सी द्वारा अलग-अलग कमर्शियल/ रिहायशी प्लॉटों को नियमों के उलट जाकर ज़रुरी दस्तावेज़ हासिल करे बगैर ही बतौर ठेकदारों को रजिस्टर किया गया है और दिनेश बस्सी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इन ठेकेदारों को करोड़ों रुपए के टेंडर/ काम अलाट किये गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि दिनेश बस्सी द्वारा अलग-अलग कमर्शियल/ रिहायशी प्लॉटों को नियमों के विरुद्ध जाकर ग़ैर कानूनी ढंग से अपने करीबीयों को अलॉट करके अपने पद का अनुचित लाभ दिया है जिसमें कमर्शियल प्लॉट एस.सी.ओ.79, 80, 81 ड्रिस्ट्रिक शॉपिंग कम्पेलक्स और रिहायशी प्लॉट नंबर ई-88, ई-317, रणजीत ऐवीन्यू अमृतसर में हैं। इसके अलावा ड्रिस्ट्रिक शॉपिंग कम्पेलक्स, रणजीत ऐवीन्यू अमृतसर में कमर्शियल प्लॉट नंबर 135-136 के निर्माण को सरकार के नियमों के उलट जाकर ग़ैर कानूनी तरीकेे से करवाया है। ट्रस्ट दफ़्तर अमृतसर की सेल ब्रांच में से कुछ कमर्शियल/ रिहायशी प्लॉटों की फाइलें ग़ुम पाई गई हैं जिनका रिकार्ड ट्रस्ट दफ़्तर अमृतसर से माँगा है जिसकी गहराई के साथ जांच की जायेगी। इसके अलावा दोषी दिनेश बस्सी द्वारा अपने नज़दीकियों/ रिश्तेदारों को वित्तीय फ़ायदा पहुँचाते हुए विभागीय नियमों के उलट जाकर अमृतसर शहर के पोश इलाकों में वेरका मिल्क बूथ अलॉट किये गए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि दिनेश बस्सी, पूर्व चेयरमैन, और उसके साथी विकास खन्ना और राघव शर्मा के खि़लाफ़ शिकायत प्राप्त होने पर पाया गया कि सोहन सिंह पुत्र जस्सा सिंह ने अपने अटार्नी कुलवंत राय के ज़रिये दावा किया था कि साल 1988 में उसे एक प्लॉट न. 204-डी, रणजीत ऐवीन्यू, अमृतसर में अलॉट किया गया था जिसकी बयाना राशि उसके द्वारा तारीख़ 07-01-1988 को रकम 4000/- ट्रस्ट को जमा करवाई थी परन्तु उसे कोई भी अलॉटमेंट जारी नहीं की गई। इस संबंधी उसके द्वारा दायर किये केस माननीय अदालतों द्वारा खारिज किये जा चुके हैं। इन सबको अनदेखा कर अपने पद का दुरुपयोग करके दिनेश बस्सी द्वारा राघव शर्मा और विकास खन्ना के साथ मिलीभगत करके प्लॉट की अलॉटमेंट सुरजीत कौर पुत्री सोहन सिंह को मुखतारे आम विकास खन्ना सरकारी और बाज़ारी रेटों की अपेक्षा कम रेट पर अलॉट की गई और कलेक्टर रेटों से कम रेट पर रजिस्टरी की गई।

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