चंडीगढ़, 19 अगस्तः
राज्य के गन्ना काश्तकारों के हितों की सुरक्षा के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज पिढ़ाई सीजन, 2021-22 के लिए गन्ने की सभी कीमतों के स्टेट ऐगर्रीड प्राइस (ऐस.ए.पी.) में प्रति क्विंटल 15 रुपए का विस्तार करने की मंजूरी दे दी है।
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इस फ़ैसले से गन्नो के भाव में हुए वृद्धि के मुताबिक अग्रिम किस्म की कीमत 310 रुपए से बढ़ कर 325 रुपए, दरमियानी किस्म 300 से 315 रुपए और पिछेती किस्म 295 से बढ़ कर 310 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है।
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ज़िक्रयोग्य है कि आगामी पिढ़ाई सीजन 2021-22 के लिए राज्य भर में 1.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल गन्ने की काश्त अधीन है जिसमें से चीनी मिलों द्वारा लगभग 660 लाख क्विंटल गन्ने की पिढ़ाई की जायेगी। गन्ने की कीमतों में हुए वृद्धि से पंजाब के किसानों को बीते साल की अपेक्षा 230 करोड़ रुपए का और ज्यादा लाभ होगा। इसके इलावा पंजाब के गन्ना काश्तकारों की माँग पर गन्ने की सी.ओ.-0238 किस्म को भी 325 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदा जायेगा।
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गन्ना कंट्रोल बोर्ड की वीडियो कान्फ्रेसिंग के ज़रिये हुई मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा के नेतृत्व में गन्ना विकास बोर्ड का गठन किया है जिसमें राणा शूगरज़ के सी.ऐम.डी. राणा गुरजीत सिंह, पंजाब राज किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़, गन्ना कमिशनर गुरविन्दर सिंह और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के कपूरथला स्थित गन्ना अनुसंधान केंद्र के डायरैक्टर डा. गुलजार सिंह शामिल हैं। यह ग्रुप गन्ने का उत्पादन बढ़ाने और काश्त की आधुनिक विधियों को प्रफुल्लित करने के लिए ढंग -तरीके तलाशेगा जिससे चीनी की रिकवरी में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को गन्ने की काश्त के तहत और क्षेत्रफल लाने के लिए किसानों के साथ मिल कर काम करने के लिए कहा जिससे चीनी मिलों का सामर्थ्य बढ़ाने के इलावा राज्य सरकार के फ़सलीय विभिन्नता को बढ़ावा मिल सके।
विचार-चर्चा में हिस्सा लेते हुये सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने सहकारी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिससे उत्पादन की लागत घटाई जा सके और गन्ना काश्तकार को पैदावार की अधिक कीमतें मिल सकें।
बताने योग्य है कि गन्ना राज्य की प्रमुख फ़सल है जिसके लिए कुल 16 चीनी मिलें हैं जिनमें से 9 सहकारी सैक्टर की हैं। इन मिलों की गन्ना पिढ़ाई का सामर्थ्य प्रति दिन 5600 टन चीनी का है। यदि पूरे सामर्थ्य से चलती हैं तो यह मिलें 125 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल से गन्ने की पिढ़ाई कर सकतीं हैं जबकि इस समय पर गन्ने के तहत 0.93 लाख क्षेत्रफल है। गन्ने की फ़सल से कटाई और प्रोसैसिंग के लिए ग्रामीण इलाकों में रोज़गार के अथाह मौके पैदा होते हैं।
मीटिंग में अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवारी, प्रमुख सचिव वित्त के.ए.पी. सिन्हा, रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं विकास गर्ग, कमिशनर कृषि बलविन्दर सिंह सिद्धू, डायरैक्टर कृषि सुखदेव सिंह सिद्धू, सी.एम.डी. नाहर इंडस्ट्रियल इंटरप्राईज़, अमलोह कमल ओसवाल के इलावा विभिन्न गन्ना उत्पादक एसोसिएशनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
-Nav Gill