एस.ए.एस.नगर, 16 मई
एक निजी अस्पताल की तरफ से कोविड के इलाज के लिए अधिक खर्चा लेने और बिलों की अदायगी के बिना मरीज की लाश सौंपने से इंकार करने सम्बन्धी मृतक कोविड-19 मरीज के परिवार की तरफ से लगाए गए दोषों का गंभीर नोटिस लेते हुये डिप्टी कमिशनर श्री गिरीश दियालन ने इस घटना की तुरंत जांच करने के लिए कहा।
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मामले की जांच के लिए स्थानीय एसडीएम, डीएसपी और एसएमओ की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया और इस कमेटी को 24 घंटों के अंदर -अंदर लिखित रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।
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प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, परमजीत सिंह कोविड-19 कारण गंभीर निमोनिया से पीड़ित था। उसे 26 अप्रैल, 2021 को जीरकपुर के लाईफलाईन अस्पताल में दाखिल करवाया गया और इस अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। मरीज के परिवार ने मरीज को मुकट अस्पताल, सैक्टर 34, चंडीगढ़ में ट्रांसफर करने के लिए 10 मई को लाईफलाईन अस्पताल से लामा (डाक्टरी सलाह के विरुद्ध ट्रांसफर) लिया। मुकट अस्पताल की एंबुलेंस मरीज को ले जाने का प्रबंध नहीं कर सकी जिस कारण ट्रांसफर की प्रक्रिया में मरीज की स्थिति बिगड़ती गई और उसको ट्रांसफर नहीं किया जा सका ; इस तरह ऐसी स्थिति के कारण मरीज को उसी अस्पताल में रखा गया और 14 मई को उसकी मौत हो गई।
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मरीज की मौत होने पर मरीज के अटेंडेंट ने अस्पताल के स्टाफ के साथ बहस की जिस कारण हफड़ा-दफड़ी मच गई और इस दौरान हस्पताल की एलईडी टी.वी. टूट गई। उन्होंने सही देखभाल न किये जाने पर कोलाहल डाला और अस्पताल की तरफ से ज्यादा बिल लगाने के इल्जाम लगाए। उन्होंने दोष लगाया कि अस्पताल ने बिलों का भुगतान किये बिना मरीज की लाश देने से इंकार कर दिया।
जब कि अस्पताल का दावा है कि मरीज को कोई घटिया इलाज नहीं दिया गया। मरीज की हालत गंभीर थी और बदकिस्मती से उसकी मौत हो गई। दरअसल, उन्होंने मरीज के परिवार के कहने पर लामा जारी किया और जब दूसरा अस्पताल मरीज को दाखिल न कर सका तो उन्होंने मरीज को दोबारा दाखिल किया। उन्होंने बताया कि बिल सरकार के नियमों अनुसार हैं; 19 दिन वेंटिलेटर पर रहने के लिए निर्धारित रेट लगाए गए जबकि कमरे के लिए 3 लाख रुपए लिये गये हैं।
अस्पताल में हंगामा होने की शिकायत मिलने पर स्थानीय एसएचओ मौके पर पहुँचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और झगड़े पर कंट्रोल करते हुये लाश मरीज के परिवार को सौंप दी और उसी दिन (14.5.21) को बिना किसी देरी के मृतक का संस्कार कर दिया गया।
इसी दौरान, डिप्टी कमिशनर ने कहा, ‘मेरे अधिकार क्षेत्र में अतिरिक्त पैसा ठगने का नतीजा भुगतना पड़ेगा। यह सिर्फ एक जुर्म नहीं है बल्कि नैतिक तौर पर भी स्वीकार्य नहीं है।’ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि कोई भी अस्पताल किसी भी हालात में किसी भी मरीज को या किसी मरीज की लाश को गलत ढंग से अपने पास रख नहीं सकता। यदि अस्पताल बिलों के भुगतान से पहले लाश देने से इंकार करता है तो यह गैर कानूनी है और इस पर कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल की तरफ से दिए बिलों की जांच सिविल सर्जन के द्वारा की जा रही है जिससे यह पता लगाया जा सके कि यह बिल पंजाब सरकार की तरफ से निर्धारित दरों पर लगाए गए हैं या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी तरह की कमी पाये जाने की सूरत में अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।
-Nav Gill