-सौभाग्य, सकारात्मक उर्जा का प्रतीक हैं सिंदूर
-सिंदूर चढ़ाने से प्रतिमा का होता हैं संरक्षण
यह पूर्ण तौर से सत्य है कि भगवान शिव के रुद्रावतार अजर अमर हनुमान जी इस धरा पर भक्तों के कष्टों का निवारण कर रहे हैं। प्रभु श्री राम के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा से ही उनके अन्नय भक्त श्री हनुमान जी को अष्टसिद्धियों और नवनिधियों का वरदान मिला है। ये वही अष्टसिद्धियां और नव निधियां हैं, जो कलयुग में हनुमान जी के भक्तों के कल्याण का काम करती हैं। वहीं भक्त भी अपने ईष्ट देव हनुमान जी को सौभाग्य, सकारात्मक उर्जा के प्रतीक सिंदूर को चढ़ा कर उनका आशीर्वाद हासिल करते हैं। आखिर क्या वजह है कि हनुमान जी सिंदूर और सिंदूरी चोला चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं।
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माता सीता की आस्था में छिपा है हनुमान जी की प्रसन्नता का राज
धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार के दिन ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसी कारण मंगलवार को हनुमान जी के भक्त अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए इस दिन व्रत रखते हैं। मंगलवार को मंगल ग्रह के निमित्त के लिए विशेष पूजन करने की परंपरा कायम है। माना जाता है कि सिंदूर चढ़ाने से बजरंग बली प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। सौभाग्य और उर्जा का प्रतीक माने जाने वाले वाले सिंदूर चढ़ाने संबंधी एक कथा प्रचलित है। एक बार माता सीता जी अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी। उसी समय हनुमान जी आ गए। उन्होंने माता से पूछा कि आप मस्तक पर यह लाल पदार्थ क्यों लगा रही हैं। तब माता सीता जी ने कहा कि यह सिंदूर है। इसको लगाने प्रभु श्री राम दीर्घायु होते हैं। और मुझसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं। माता के यह वचन सुनते ही हनुमान जी ने सोचा कि यदि चुटकी भर सिंदूर लगाने से मेरे प्रभु श्री राम प्रसन्न हो सकते हैं। यदि मैं अपने समूचे शरीर पर ही सिंदूर लगा लूं, तो मेरे प्रभु राम अधिक दीर्घायू व प्रसन्न हो जाएंगे। वस फिर क्या था हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर पोतकर श्री राम के सामने सभा में प्रस्तुत हो गए। हनुमान जी का इस असीम प्रेम को देखकर भगवान श्री राम बहुत प्रसन्न हुए। अपने आराध्य को प्रसन्न देखकर हनुमान जी को माता सीता जी के वचनों पर दृढ़ विश्वास हो गया। तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा जारी है।
सिंदूर चढ़ाने की विधि
अजर अमर श्री हनुमान की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान करवा कर सभी पूजा सामग्री अर्पित की जानी चाहिए। इसके बाद मन्त्रोच्चारण करते हुए चमेली के तेल संग असीम उर्जा के प्रतीक सिंदूर को मिलाकर प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर लेप करना चाहिए। सबसे खास बात यह है कि इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के समय हनुमान जी मूर्ति के स्पर्श करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है। भक्तों को इस दौरान इस मंत्र (सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूर प्रतिगृह्यताम।।) का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। इन चीजों को मंगलवार को चढ़ाने से हनुमान जी प्रसन्न होकर भक्तों के संकटों को दूर करते हैं।
हनुमान जी पर सिंदूरी चोला चढाने की परंपरा
मंगलवार हो या फिर शनिवार। इन दोनों दिनों में हनुमान जी की प्रतिमा को चोला चढ़ाने की परंपरा रही है। हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को तथा शनि महाराज की साढ़े साती, अढैया, दशा, अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाने की परंपरा जारी है। भक्त चोला चढ़ाते समय एक बात का ध्यान जरुर रखें। चोला इस तरह का होना चाहिए। जिससे हनुमान जी की प्रतिमा उपर से लेकर नीचे तक पूरी तरह ढ़क जाए। हनुमान जी के दायें पैर से माथे पर टीका लगाने से भगवान की विशेष कृपा होती है।
सिंदूर, सिंदूरी चोला चढ़ाने के पीछे हैं वैज्ञानिक तर्क
हनुमान जी सिंदूर व सिंदूरी चोला चढ़ाने से जहां प्रसन्न होते हैं। वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क भी हैं। वैज्ञानिकों अनुसार हनुमान जी को सिंदूर लगाने से प्रतिमा का संरक्षण होता है। इससे प्रतिमा किसी प्रकार से खंडित नहीं होती है। साथ ही प्रतिमा लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले लें संकल्प
हनुमान जी को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद हासिल करने के लिए चोला चढाने का संकल्प लेना चाहिए। हनुमान जी को एक या दो बार चोला नहीं चढाया जाता है। चोला चढ़ाने से पहले लगातार पांच, 11, 21, 51 या फिर 101 चोले का संकल्प लेना चाहिए। ऐसी भी मान्यता है कि 11 या 21 चोला चढ़ाने से हनुमान जी सभी मनोरथों को सिद्ध करते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन दीया जलाने के बाद सिंदूर तिलक जरूर लगाना चाहिए। 40 दिनों तक रोजाना इस उपाय को करना चाहिए।
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हनुमान जी के 12 नामों से की जाती है स्तुति
हिंदू धर्म ग्रंथों में हनुमान जी के 12 नाम प्रमुख बताए हैं। इन नामों से स्तुति करने से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं। रात के समय यदि इन नामों का उच्चारण किया जाए। तो सभी भय समाप्त हो जाते हैं।
हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार हैं।
- हनुमान
- अंजनीसुत
- वायुपुत्र
- महाबल
- रामेष्ट
- फाल्गुनसखा
- पिंगाक्ष
- अमितविक्रम
- उदधिक्रमण
- सीताशोकविनाशन
- लक्षमणप्राणदाता
- दशग्रीवदर्पहा
इस स्तुति को आप चोला चढ़ाने के बाद भी कर सकते हैं जिससे मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है।
कुमार प्रदीप