भारत एक बहुभाषी फूलों का गुलदस्ता; एक भाषा एक राष्ट्र का नारा देकर सांप्रदायिक रंग देने वाले लोग देश द्रोही: चन्नी

चंडीगढ़, 21 फरवरी:
भारत कई भाषाओं और संस्कृतियों को संजोए हुए एक सुंदर गुलदस्ता है और जो लोग एक भाषा एक राष्ट्र के नारे का सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं, वे वास्तव में देश द्रोही हैं। यह बात पंजाब के पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों बारे मंत्री श्री चरनजीत सिंह चन्नी ने आज पंजाब कला परिषद की तरफ से ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान संबोधन करते हुए कही।

 

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सांस्कृतिक मामलों बारे मंत्री ने आगे कहा कि कुछ लोग इस गुलदस्ते में से कुछ फूलों को बाहर निकालने की भद्दी चाल चल रहे हैं, जोकि अल्पसंख्यकों के अस्तित्व को सीधा ख़तरा है। उन्होंने यह भी कहा कि अनेकता में एकता ही हमारे देश की असली ताकत है और लोगों को भाषा, धर्म या जाति के नाम पर नहीं बँटा जाना चाहिए।
श्री चन्नी ने यह भी कहा कि हमारी मातृभाषा पंजाबी को प्रफुल्लित करने के लिए राज्य के सभी प्राईवेट स्कूलों में भी पंजाबी 10वीं कक्षा तक अनिवार्य की जानी चाहिए। मंत्री ने कहा कि अदालतों का काम भी पंजाबी भाषा में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार इस दिशा में सक्रियता के साथ काम कर रही है जिससे आम लोग भी सभी केस और फ़ैसले पंजाबी में आसानी से पढ़ और समझ सकें।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार पंजाबी भाषा में पेशेवर, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी शिक्षा विभाग विद्यार्थियों के सिलेबस की किताबों का पंजाबी में अनुवाद करके इस मामले में सबसे अग्रणी बन गया है। श्री चन्नी ने ऐलान किया कि इस साल पंजाब कला परिषद के लिए 2 करोड़ का बजट रखा जायेगा। उन्होंने हर साल ‘पंजाब सांस्कृतिक दिवस’ मनाने का ऐलान भी किया जिसकी तारीख़ जल्द ही तय कर दी जायेगी।
इस मौके पर पंजाब कला परिषद के चेयरमैन और प्रसिद्ध पंजाबी कवि पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर ने कहा कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के संदेश, उपदेशों और बलिदान के मुताबिक हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पंजाबी में बातचीत करने में गौरव महसूस करना चाहिए और विशेष तौर पर प्राईवेट स्कूलों को पंजाबी बोलने वाले बच्चों में हीन भावना पैदा नहीं करनी चाहिए।
इस मौके पर डॉ. राजिन्दर पाल सिंह बराड़, पंजाब स्टेट जगत गुरू नानक देव ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. करमजीत सिंह और डॉ. जलौर सिंह खीवा ने मातृभाषा पंजाबी की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक पक्षों की महत्ता बारे विचार पेश किये। इस मौके पर 120 साल पुराने पंजाबी गीतों की लाईब्रेरी संभाल कर रखने वाले प्रसिद्ध पंजाबी पे्रमी गुरमुख सिंह लाली और 700 से अधिक पंजाबी कवियों और लेखकों की कविताओं और लेखों का संग्रह रखने वाली ‘पंजाबी कविता वैबसाईट’ चला रहे करमजीत सिंह गठवाला को सम्मानित भी किया गया।
इसके अलावा पंजाबी भाषा के प्रचार बारे कुछ किताबें भी जारी की गईं। उभरते गायकों ने पारंपरिक पंजाबी लोक गीत और सूफ़ी गीत पेश किये। मंत्री ने सम्मानित की गई शख़्िसयतों, गीत का प्रस्तुतीकरण करने वाले नौजवानों और उन लेखकों जिनकी किताबें जारी की गईं के लिए नकद इनाम देने का ऐलान भी किया। प्रसिद्ध पंजाबी लेखक निन्दर घुग्याणवी ने आए मेहमानों का स्वागत किया और युवक कल्याण पंजाब यूनिवर्सिटी के डायरैक्टर डॉ. निर्मल जौढ़ा ने धन्यवाद किया।
-Nav Gill

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