चंडीगढ़, 24 सितम्बर:
सरकारी मुलाजिमों के दरमियान भ्रष्टाचार पर नकेल डालने और अन्य ज्य़ादा पारदर्शिता लाने के मकसद से पंजाब कैबिनेट की तरफ से बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के सपने को पूरा करते हुये एक बहु-सदस्यीय सतर्कता आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री ने 2006 में ऐसा ही एक आयोग कायम करन का रास्ता साफ किया था जिसको अकालियों ने 2007 में सत्ता संभालने के बाद भंग कर दिया था।
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सरकारी प्रवक्ता ने कैबिनेट मीटिंग के बाद बताया कि पंजाब राज सतर्कता आयोग आर्डीनैंस, 2020 में आयोग की एक स्वतंत्र संस्था के तौर पर स्थापना का प्रस्ताव है जिससे विजीलैंस ब्यूरो और राज्य सरकार के समूह विभागों के कामकाज पर असरदार ढंग से निगरानी रखी जा सके जो कि एक साफ़ सुथरे और पारदर्शी प्रशासन को यकीनी बनाऐगा। आयोग में एक चेयरमैन और दो मैंबर होंगे जिनका कार्यकाल पाँच साल का होगा।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह, को कानूनी सलाहकार की तरफ से इस आर्डीनैंस का नक्शा तैयार किये जाने के बाद इसमें किसी भी बदलाव के लिए अधिकार दे दिए गए हैं जिससे सभी मुद्दों पर विस्तृत निगरानी करके एक ऐसी पुख़्ता व्यवस्था कायम की जा सके जो इंसाफ़ के तकाज़े पर खरी उतरती हो।
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पंजाब राज सतर्कता आयोग की तरफ से विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से गई जांच और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पास लम्बित पड़ी कार्यवाही की मंज़ूरी वाले मामलों पर निगरानी की जायेगी। सतर्कता आयोग की तरफ से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और विजीलैंस के मामलों में चल रही जांच सम्बन्धी सलाह दी जायेगी। इसको यह भी अधिकार दिए गए हैं कि विजीलैंस ब्यूरो को सौंपी गई जि़म्मेदारी ठीक ढंग से निभाने के लिए निर्देश दें। इसके साथ ही आयोग को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि सरकारी मुलाजिमों के खि़लाफ़ भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट और अन्य अपराधों के अंतर्गत लगाऐ गए आरोपों की जांच के निर्देश दें या ख़ुद जांच करें।
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वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के बाद और विवरण देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि इस आयोग का चेयरपर्सन राज्य के मुख्य सतर्कता कमिशनर होगा जिसकी नियुक्ति उन तीन व्यक्तियों में से जायेगी जोकि या तो हाई कोर्ट के मौजूदा या सेवा मुक्त जज हों या भारत सरकार के सचिव पद और वेतन स्केल के बराबर के अफ़सर हों।
आयोग में बतौर मैंबर दो सतर्कता कमिशनर ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किये जाएंगे जोकि केंद्र या किसी भी राज्य की सिवल सेवा में सर्व भारतीय सेवा निभा रहे या सेवा मुक्त हो चुके हों या केंद्र सरकार या राज्य सरकार में किसी भी सिवल पद पर नियुक्त हों और जिनको सतर्कता, नीति निर्धारण, प्रशासन (पुलिस प्रशासन सहित), वित्त (इंशोरैंस और बैंकिंग कानून सहित) के साथ सम्बन्धित मामला का तजुर्बा और महारत हो और जो व्यक्ति राज्य के वित्त कमिशनर या केंद्र सरकार में अतिरिकत सचिव के पद और वेतन स्केल पर काम कर चुके हों।
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यह नियुक्तियाँ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की सिफारिशों पर की जाएंगी जिसके बाकी सदस्यों में पंजाब विधान सभा के स्पीकर और मंत्रीमंडल के सबसे सीनियर मैंबर (मुख्यमंत्री के बाद) शामिल होंगे।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में एक केंद्रीय सतर्कता आयोग काम कर रहा है जिसकी स्थापना केंद्रीय सतर्कता आयोग एक्ट 2003 के अंतर्गत की गई है जिसमें केंद्र सरकार, किसी भी केंद्रीय एक्ट के अंतर्गत स्थापित किये गये निगमों से संबंधित कुछ ख़ास श्रेणी के सरकारी मुलाजिमों द्वारा भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट, 1988 के अंतर्गत आते अपराधों की जांच की जा सके और इसके अलावा यह सतर्कता आयोग केंद्रीय जांच ब्यूरो के काम काज पर भी निगरानी रखता है परन्तु मौजूदा समय के दौरान राज्य सरकार के अंतर्गत ऐसी कोई संस्था नहीं है।
इसके अलावा कैबिनेट की तरफ से आज साल 2017 के लिए सतर्कता आयोग की सालाना प्रशासनिक रिपोर्ट को भी मंज़ूरी दे दी गई।
-NAV GILL