उस्ताद मुजतबा हुसैन की बांसुरी ने किया फिजा को झंकृत

-प्रो. हुक्म चंद की गजलों ने बांधा समा
पंजाबी विश्व विद्यालय के कला भवन में संगीतमयी शाम का आयोजन यूथ वेलफेयर विभाग के सहयोग से किया गया। संगीतमयी शाम में उस्ताद मुजतबा हुसैन की बांसुरी ने जहां फिजा को झंकृत किया। वहीं प्रोफेसर डॉ. हुक्म चंद मेहता की दिलकश आवाज में गाई गजलों न समां बांध दिया।

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शाम का शुभारंभ उस्ताद मुजतबा हुसैन के बाँसुरी वादन से हुआ। बॉलीवुड की 200 से अधिक फिल्मों बांसुरी की धुन से श्रोताओं को सम्माहित करने वाले उस्ताद मुजतबा हुसैन ने राग यमन में मध्य लय तीनताल एवं द्रुत तीनताल में बंदिश पेश की। जिसमें पं पन्ना लाल घोष एवं खुद की मिश्रित सुंदर रचना प्रस्तुत की। बाँसुरी की तान पर श्रोता झूम उठे। इसके बाद उन्होंने श्रोताओं की फरमाईश पर फिल्मी नग़मे पेश किए। आओगे जब तुम साजन…, दिल दियां गल्लां…, रोज़ा जानेमन… गीतों की रोमांचक प्रस्तुति की।

मुजतबा हुसैन के बाद प्रोफेसर हुक्म चंद मेहता ने मदहोश करने वाली आवाज में गजल किंग गुलाम अली साहिब की ग़ज़लें पेश की। उन्होंने तेरे शहर में…, हमको किस के ग़म ने मारा…, इतना टूटा हूँ के…. शानदार ग़ज़लें पेश की। उक्त प्रस्तुति में तबले पर मधुरेश भट्ट और हारमोनियम पर डॉ. दिनेश रहेजा, गिटार पर डॉ. राजीव माथुर, तानपुरा पर डॉ. पूनम उनियाल ने संगत की। मंच का संचालन सतनाम सिंह ने किया।

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