51 शक्तिपीठों में से एक है… ‘मां माया देवी शक्तिपीठ’

भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल हरिद्वार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हरिद्वार में त्रिदेव भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु व भगवान शिव का वास माना जाता है। देवनगरी हरिद्वार में पावन गंगा भक्तों के पाप धोती है तो वहीं दूसरी ओर हरिद्वार में एक शक्तिपीठ भी है जहां मां भगवती भक्तों के दुख दूर करती है। हरिद्वार में स्थित माया देवी नाम से प्रसिद्ध शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी।

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माया देवी शक्तिपीठ

कथा के अनुसार माता सती के पिता द्वारा यज्ञ के दौरान भगवान शिव का अपमान करने के बाद माता सती ने अग्नि कुंड में छलांग लगा दी थी इसके बाद भगावान शिव माता सती का पावन शरीर उठाकर समूचे ब्रह्मांड का चक्कर लगाने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पावन शरीर के कई हिस्से कर दिए। माता सती के पावन शरीर के अंग जिन स्थानों पर गिरे वह स्थान धरती पर शक्तिपीठ कहलाए। इन शक्तिपीठों की संख्या 51 मानी जाती है। इन्हीं पावन शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है हरिद्वार स्थित माया देवी मंदिर। कथा के अनुसार इस पावन स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी।

इस स्थान को माना जाता है ब्रह्मांड का केंद्र

हरिद्वार में स्थित इस पावन स्थान को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। इसका कारण है कि हरिद्वार में इसी स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी। खास बात यह है कि हरिद्वार की रक्षा के लिए एक अद्भुत त्रिकोण बनता है। यह त्रिकोण हरिद्वार में स्थित तीन मंदिरों के कारण बनता है। इस अदभुत त्रिकोण के दो बिंदु पर्वतों पर स्थित हैं जिनमें मां मनसा देवी और मां चंडी देवी पावन स्थान हैं। इस त्रिकोण का शिखर पहाड़ों से धरती की ओर है। इसी पावन स्थान पर मां माया देवी पिंडी रूप में विराजमान है।

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यहां होते हैं मां काली और मां कामाख्या के दर्शन

मां माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। इसका इतिहास 11वीं शताब्दी से मिलता है। प्राचीन समय से इस स्थान पर देवी मां पिंडी रूप में विराजमान है।  18वीं शताब्दी में मंदिर में माता की अन्य मूर्तियों की स्थापना की गई थी। इस स्थान पर मां माया देवी के साथ ही मां काली और मां कामाख्या के दर्शन भी होते हैं। इस पावन स्थान पर देवी मां माया के बायीं और मां काली और दाहिनी ओर मां कामाख्या साक्षात विराजमान हैं। इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों व माता की पूजा-अर्चना के साथ-साथ तंत्र साधना भी होती है।

माता की आरती में बड़ी संख्या में शामिल होते हैं भक्त

शाम ढलते ही बड़ी संख्या में भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त करने व मां की भव्य आरती में शामिल होने के लिए आना शुरू हो जाते हैं। मां माया देवी की सुबह और शाम को आरती होती है लेकिन शाम की आरती में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। आरती में शामिल होने व माता के आशीर्वाद के लिए देश-विदेश से आए भक्त कई घंटों तक इंतजार करते हैं। ढोल नगाड़ों व घंटे की आवाजों के बीच मां की आरती और श्रृंगार किया जाता है, यह भव्य दृश्य देखते ही बनता है।

भैरव बाबा का मंदिर भी है मौजूद

मां माया देवी मंदिर के साथ ही मौजूद भैरव बाबा मंदिर में भक्त बाबा भैरव के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि भैरव बाबा के दर्शनों व उनकी पूजा-अर्चना के बिना मां माया देवी की पूजा व अराधना पूरी नहीं मानी जाती। इसलिए भक्त माता के दर्शनों के बाद भैरव बाबा के दर्शन भी जरूर करते हैं।

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नवरात्रों में लगता है भक्तों का तांता

मां के नवरात्रों में मां माया देवी मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लग जाता है। नवरात्रों में मां की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि मां माया देवी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। कहते है कि सच्चे व साफ मन से मां की पूजा करने पर पुण्य फल की प्राप्ति होती है और बिगड़े हुए काम भी बनते हैं। इसी विश्वास के चलते हरिद्वार ही नहीं बल्कि देश-विदेश से भी भक्त माता के दरबार में पहुंचते हैं और मन की मुरादें पाते हैं।

धर्मेन्द्र संधू

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