ज्योति के प्रतीक दीपावली पूजन कर मिलती है मां लक्ष्मी की कृपा

भारतीय संस्कृति में हर पर्व का अपना महत्व है। ज्योति के प्रतीक दीपावली पर यदि पूर्ण विधि विधान से मां लक्ष्मी,. कुबेर जी का पूजन किया जाए। तो हर मनोकामना को पूर्ण किया जा सकता है। दीपावली पर व्यवसायिक व गृह पूजन का विशेष महत्व है। डॉ. एचडी शास्त्री ने दीपावली के पर्व पर मंत्रोंचारण कर मां लक्ष्मी के पूजन के समय की जानकारी प्रदान की। ताकि इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष कृपा को हासिल किया जा सके। डॉ. शास्त्री ने कहा कि व्यवासियक व गृह में मां लक्ष्मी का पूजन शुरु करने से पहले निम्न लिखित मंत्रोचारण कर निर्धारित समय का विशेष ध्यान रखें।

नमस्ते तु महामाये श्रीपीठे सुर पूजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

लक्ष्मी पूजन के व्यवासियक व गृह पूजन शुभ मुहूर्त

व्यवसायिक स्थल पूजन मुहूर्त

प्रातः 6:40am से 8:00am तक लाभ

8:00am से 9:25am तक अमृत

10:45am से 12:05pm तक शुभ

01:55pm से 3:20pm तक कुम्भ लग्न

2:48pm से 5:31pm तक चंचल

5:58pm से 7:55pm बृषभ लग्न

सांय कालीन गृह पूजा शुभ मुहूर्त

5:48pm से 8:15pm तक

दीप दान करने का समय

शाम 5:00pm से 8:15pm

प्रदोष बेला

5:48pm से 7:55pm वृषभ लग्न

मध्य रात्रि (निशीथ) पूजा मुहूर्त

12:48am से 2:50am सिंह लग्न

भवानि त्वं महालक्ष्मी:सर्व काम प्रदायिनी। सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मि नमोस्तु ते।

मां लक्ष्मी और धन्वन्तरि प्रादुर्भाव।

कार्तिककृष्ण की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्रमंथन के दौरान लक्ष्मी और धन्वंतरि का प्रादुर्भाव एक साथ हुआ था।तब से यह तिथि भारतवर्ष में लक्ष्मी दिवस और चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवती लक्ष्मी का प्रादुर्भाव मन्त्र ततश्चाविर्भूत साक्षात्श्री: रमा भगवत्परा । रंजयन्ती दिश:सर्वा: विद्युत् सौदामिनी यथा। भगवती लक्ष्मी के समुद्र से बाहर प्रकट होते ही सभी दिशाएं आलोकिक प्रकाश से भर उठीं । धन्वन्तरि वैद्य हाथ में अमृत कलश लिए भी माता लक्ष्मी के साथ प्रकट हुए। कार्तिक की कृष्ण त्रयोदशी दीप द्वारा आराधना का पर्व है। गो घी के दीप से मां भगवती की आरती आज के दिन अपूर्व महत्व है। कमल के आसन पर लक्ष्मी देवी को बैठा कर कमल के द्वारा उनकी अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि मां लक्ष्मी को कमलासना, कमलालया, कमलप्रिया हैं। ।इंद्र कृत स्तोत्र,अगस्त्य कृत स्तोत्र, लक्ष्मी हृदय स्तोत्र, कनक- धरा स्तोत्र , लक्ष्मी कवच के पाठ से भी धन की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी प्राप्ति हेतु हवन में कमल, बेलफल, गुड़-नारियल-केला, सूखा खीर तथा तिल का प्रयोग किया जाता है। आम्र, बेल,अनार की लकड़ी पर हवन करने से विशेष लाभ होता है। अशोक की लकड़ी पर लक्ष्मी मन्त्र से हवन करने से समृद्धि मिलती है। केला फल-पत्ता, नारियल तथा अनारफल भगवती को प्रिय है। केतकी, मालती, चंपा, जूही, कदम्ब, केसर, मल्लिका, तुलसी माता लक्ष्मी को अति प्रिय है। विष्णु मंदिर में बेलवृक्ष के नीचे बैठकर लक्ष्मी की पूजा करने से तत्काल लाभ मिलता है।

जन कल्याण कामना से भगवती महालक्ष्मी के लघु मन्त्र दिए जा रहे हैं। साधक कम समय में इन मंत्रों से लाभ उठा सकता है

एकाक्षर मन्त्र- “” श्रीं “” (श्रीम् )

चतुरक्षर मन्त्र– एम् श्रीम् ह्रीं कलीम्

दशाक्षर मन्त्र– नमः कमलवासिन्यै स्वाहा

द्वादशाक्षरमन्त्र-एम् ह्रीं श्रीम् क्लीम् सौंजगत्प्रसूत्यैनमः

27 अक्षर मन्त्र– ॐ श्रीम् ह्रीं श्रीम् कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीम् ह्रीं श्रीम् महालक्ष्म्यै नमः

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