डॉ.धर्मेन्द्र संधू
देव भूमि हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मंदिरों व शक्ति पीठों के बारे में तो सभी जानते हैं। पूरा साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। इसलिए बहुत कम श्रद्धालु ही इन स्थलों के दर्शन कर पाते हैं। एक ऐसा ही धार्मिक स्थल कांगड़ा के नजदीक स्थित है जिसे ‘भराडी देवी मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।
इसे भी देखें…हिमाचल का यह राधा-कृष्ण मंदिर नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा….
भराडी देवी मंदिर
देव भूमि हिमाचल प्रदेश के कोने-कोने में प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जो देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का केन्द्र हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कांगड़ा से धर्मशाला को जाते हुए रास्ते में एक गांव पड़ता है ‘सराह’। इसी गांव में स्थित है ‘मां भराडी देवी’ का प्राचीन मंदिर। मंदिर के पुजारी कुष्ण देव ने बताया कि यह मंदिर तकरीबन 5-6 सौ साल पुराना है और इस मंदिर का संबंध पांडवों के साथ भी है।
इसे भी देखें…NASA के वैज्ञानिकों के लिए खोज का केन्द्र बना भारत का यह चमत्कारी मंदिर
इस मंदिर में मां दुर्गा की नई मूर्ति के साथ ही एक अति प्राचीन मूर्ति के दर्शन भी होते हैं। मंदिर के प्रांगण में मंदिर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने पत्थर से बनी हुई मां दुर्गा के वाहन शेर की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। 1905 में कांगड़ा में आए भयंकर भूकंप ने पूरे जिले में भारी तबाही मचाई थी। इसी भूकंप में इस प्राचीन मंदिर को भी नुकसान पहुंचा था। उस भूकंप के बाद भी यह मंदिर कई सालों तक टेढा ही खड़ा रहा। तकरीबन 100 साल के बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण विशेष रूप से उड़ीसा से आए कारीगरों द्वारा किया गया। भूकंप के दौरान टेढे हुए इस मंदिर को दोबारा बनाते हुए, इसके पुराने पत्थरों पर बकायदा नंबर लगाए गए थे ताकि यह मंदिर अपने पुराने व असल रूप व आकार में ही नज़र आए। कारीगरों की मेहनत रंग लाई और राष्ट्रीय कला एवं संस्कृति धरोहर न्यास की सहायता से पुनः निर्मित मंदिर का लोकार्पण 2012 में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा किया गया। मंदिर परिसर में आज भी प्राचीन मंदिर के खंडित हिस्सों को देखा जा सकता है।
इसे भी देखें…ऐसा रहस्यमयी मंदिर जिसके बंद होने पर भी आती है पूजा व घंटी की आवाज़
मंदिर की देखरेख व पूजा की जिम्मेदारी कुष्ण देव जी निभा रहे हैं। इससे पहले उनके दादा जी व पिता जी यह सेवा निभाते थे।
इसी मंदिर के सामने भगवान कृष्ण को समर्पित मंदिर भी बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर 52 शक्ति पीठों में से एक मां कुनाल पत्थरी का मंदिर भी है जिसे कपालेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती का कपाल गिरा था।
इसे भी देखें…99 प्रतिशत हिन्दू नहीं जानते कि कहां गिरा था माता सती का ‘कपाल’
भराडी देवी मंदिर तक कैसे पहुंचें
पहाड़ों की गोद में बसे कांगड़ा शहर तक बस, रेल व हवाई जहाज से पहुंचा जा सकता है। कांगड़ा से भराडी देवी मंदिर की दूरी 8 किलोमीटर के करीब है। वहीं धर्मशाला से यह मंदिर 5 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर का नज़दीकी हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। कांगड़ा से धर्मशाला जाने वाली बस से या टैक्सी से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। सराह गांव के सरकारी स्कूल व बस स्टाप के साथ ही मौजूद है मां भराडी देवी का प्राचीन मंदिर। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कांगड़ा तक पंजाब के रोपड़ व नंगल से होते हुए बस या टैक्सी के द्वारा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा पठानकोट से भी सीधा सड़क मार्ग कांगड़ा तक जाता है। पठानकोट से एक छोटी रेल गाड़ी कांगड़ा से होते हुए जोगिन्द्र नगर तक जाती है।
इसे भी देखें…इस मंदिर के गर्भगृह में पड़ती है सूर्य की पहली किरण