100 करोड़ के टीकाकरण की उपलब्धि नए भारत के संकल्प और चुनौतियों पर काबू पाने की इसकी इच्छाशक्ति को दर्शाती है

 

आज भारत देश कोविड-19 टीकाकरण अभियान में एक अभूतपूर्व उपलब्धि का जश्न मना रहा है। भारत ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफलतापूर्वक चलाने में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। आठ महीने की छोटी अवधि के भीतर, देश लगभग 70 प्रतिशत पात्र आबादी का कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक के साथ टीकाकरण करने में अपने संकल्प, नवाचार और सहयोग के माध्यम से आई कई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहा है। हमारे राष्ट्र की जटिलता और विविधता को देखते हुए, यह किसी भी तरह से एक छोटी उपलब्धि नहीं है। यह उपलब्धि नए भारत के संकल्प और इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करने का सुनहरा अध्याय है, जिसे कई लोगों ने लगभग असंभव मान लिया था।

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आज का दिन कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में शामिल लाखों स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, अग्रिम मोर्चे के योद्धाओं एवं अन्य गुमनाम नायकों की एक बार फिर सराहना करने और जश्न मनाने का है। उनकी अथक मेहनत के बिना इस यात्रा की कल्पना नहीं की जा सकती थी।

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हम भारत की सफलता का जश्न मनाते हैं, लेकिन यह स्वीकार करना जरूरी है कि इस उपलब्धि के पीछे विशेष योजना, प्रबंधन और केंद्र सरकार के संस्थानों, राज्य सरकारों, स्थानीय सरकारी निकायों और निजी क्षेत्र के विकास भागीदारों के विविध हितधारकों के बीच सहयोग शामिल है।

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2020 में, जैसा कि यह स्पष्ट हो गया कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमारे शस्त्रागार में एकमात्र व्यवहार्य हथियार सुरक्षित और प्रभावी टीके ही हैं, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बहुआयामी और दूरदर्शी नेतृत्व में टीकाकरण अभियान के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया। भारत की ऐतिहासिक रूप से मजबूत वैक्सीन निर्माण क्षमताओं ने सुनिश्चित किया कि देश बड़े पैमाने पर कोविड -19 वैक्सीन खुराकों का उत्पादन करने में सक्षम होगा। जैसे-जैसे हमारे वैज्ञानिकों ने सुरक्षित और प्रभावी टीके विकसित करने की दिशा में काम किया, सरकार ने एक परिचालन संबंधी ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके माध्यम से एक अरब से अधिक लोगों को जल्दी और प्रभावी रूप से टीकाकरण के माध्यम से प्रतिरक्षित किया जा सके। संपूर्ण वयस्क आबादी को प्रतिरक्षित करने में लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियां अपने दायरे से काफी बड़ी थीं जिसके लिए लीक से हटकर सोचने की जरूरत थी।

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दिसंबर 2020 में, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकों से संबंधित लॉजिस्टिक्स, उसके वितरण एवं आपूर्ति को सुव्यवस्थित करने के लिए निम्नलिखित तरीके से परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश निर्धारित किएः

  • राष्ट्रीय, राज्य, जिला और उप-जिला/ब्लॉक स्तरों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी प्रशासनिक तंत्र की स्थापना की जिसमें भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया।
  • विभिन्न सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी विकास भागीदारों की क्षमताओं और योग्यताओं का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय समेकन के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई।
  • टीकाकरण अभियान शुरू होने से पहले, लगभग 1,14,100 टीके लगाने वालों को टीकाकरण स्थलों पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया गया, जिसमें दिशा-निर्देशों के अनुसार लाभार्थी सत्यापन, टीकाकरण, कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक प्रबंधन, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और प्रतिरक्षण (टीके के बाद) प्रतिकूल घटना प्रबंधन (एईएफआई) शामिल हैं। 

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को-विन प्लेटफॉर्म, जिसे अब विश्व स्तर पर सराहा जाता है, ने न केवल वैक्सीन भंडारण और वितरण संबंधी लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि वैक्सीन वितरण प्रबंधन और एईएफआई की निगरानी व प्रबंधन में गति और दक्षता भी सुनिश्चित की है। इसके बाद, को-विन ने भारत की टीकाकरण क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

 

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जहां केंद्र सरकार के संस्थानों ने वैक्सीन विकास और वितरण प्रणाली में नवाचारों के माध्यम से योगदान किया वहीं राज्य और जिला स्तर के संस्थानों ने टीकाकरण का निर्बाध और कुशल कार्यान्वयन सुनिश्चित किया। राज्य स्तर पर, विभिन्न सरकारी विभागों के विशेषज्ञों से मिलकर बड़े पैमाने पर अभियान का प्रबंधन करने के लिए एक संचालन समिति, एक कार्यबल और नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई थी। इसी तरह, जिला स्तर पर जिला कार्यबल, शहरी कार्यबल और जिला नियंत्रण कक्षों का गठन टीकाकरण अभियान की निगरानी के लिए किया गया था।

टीकाकरण अभियान शुरू होने से पहले जनवरी 2021 में दक्षता सुनिश्चित करने, वैक्सीन वितरण तथा वितरण प्रणालियों का परीक्षण करने और इनमें कमियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने के लिए राज्यों द्वारा कई ड्राई रन किए गए थे। ब्लॉक स्तर से केंद्रीय स्तर तक स्थापित फीडबैक तंत्र इस प्रक्रिया में किसी भी कमी का जल्द आकलन करने और उन्हें दूर करने में महत्वपूर्ण रहा है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया है और उनकी प्रतिक्रिया के अनुसार अभियान में सुधार किया है, जिससे देश प्रभावी रूप से टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ा सके।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत के बाद से हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर रहा है कि प्रत्येक नागरिक को वैक्सीन लगाने के लिए हमारे वैक्सीन वितरण तंत्र में जनसांख्यिकीय और भौगोलिक विविधताओं को ध्यान में रखा जाए। हमने समुदायों तक कड़ी मेहनत से टीके की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए नवाचारों के माध्यम से बाधाओं पर काबू पाने की दिशा में अथक प्रयास किए हैं।

हमने निम्न तरीकों से हाशिए पर रहने लोग और समुदायों तक टीकों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम किया है:

◊ देश के दिव्यांगजनों का टीकाकरण करने के लिए घर-घर (डोर-टू-डोर) वैक्सीन डिलीवरी लागू की गई है।

◊ अन्य राज्यों के अलावा, असम, दिल्ली और गोवा ने ट्रांसजेंडर आबादी के बीच कोविड-19 टीकाकरण करना सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया है।

◊ हाल ही में मणिपुर से शुरू की गई भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की प्रायोगिक (पायलट) परियोजना, आई-ड्रोन पहल, ड्रोन के माध्यम से दुर्गम समुदायों तक वैक्सीन की खुराक पहुंचा रही है।

इसके अलावा, टीके देने के लिए पूरे देश में कई अन्य नए तरीके अपनाए गए हैं।

100 करोड़ के टीकाकरण की उपलब्धि न केवल भारत की क्षमता और सामर्थ्य का प्रमाण है, बल्कि विभिन्न संस्थानों, समुदायों और लोगों के बीच सहयोग और समन्वय का एक शानदार उदाहरण भी है। यह हमारी एकजुटता और चुनौतियों से पार पाने के हमारे सामूहिक संकल्प का नया परिचायक है। इस महती उपलब्धि के साथ, हम देश की वयस्क आबादी को पूरी तरह से प्रतिरक्षित करने और महामारी को हराने के एक कदम और करीब हैं।

डॉ. भारती प्रवीण पवार

केंद्रीय राज्य मंत्री, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

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-Nav Gill

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