चंडीगढ़ : पंजाब के लोक निर्माण एवं ऊर्जा मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने ‘राष्ट्रीय इंजीनियर्ज दिवस’ (15 सितम्बर) की पंजाब और देश के समूह इंजीनियरों को बधाई देते हुए कहा कि इंजीनियर भाईचारे की मेहनत के स्वरूप जि़ंदगी सुविधाजनक हुई है और विकास ने रफ़्तार पकड़ी है। उन्होंने कहा कि इंजीनियर्ज द्वारा दी गईं सालों तक बेमिसाल सेवाओं के स्वरूप राज्य और देश अलग-अलग क्षेत्रों में तरक्की के योग्य हो सका है।
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कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह दिन महान भारतीय इंजीनियर, ‘भारत रत्न’ सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की उपलब्धियों को मान्यता देने और सम्मानित करने के लिए भारत के साथ-साथ श्रीलंका और तन्जानिया द्वारा ‘राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दिन इंजीनियर्ज के महान कार्यें को याद करने और उनको सुधार और नवीनता के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है।
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सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद करते हुए मंत्री ने कहा कि इस साल उनकी 161 भी जन्म वर्षगाँठ है, उनका जन्म 15 सितम्बर, 1861 को कर्नाटक के मुदेनहल्ली गाँव में हुआ था। उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस में सिविल इंजीनियरिंग की। वह भारत के सबसे उत्तम सिविल इंजीनियर, डैम निर्माता, अर्थ-शास्त्री, कूटनीतीक बने, जिनको पिछली सदी के प्रमुख राष्ट्र-निर्माताओं में गिना जा सकता है।
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मंत्री ने बताया कि समाज में शानदार योगदान देने के कारण भारत सरकार ने सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को साल 1955 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। उनको किंग जॉर्ज पाँचवे ने ब्रिटिश नाईटहुड से सम्मानित किया था और सम्मानयोग्य उपाधि ‘सर’ से भी नवाजा था। जल स्रोतों के प्रयोग में योगदान के लिए सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद करते हुए मंत्री ने कहा कि उन्होंने देश भर में डैमों के निर्माण और मज़बूती के लिए बेमिसाल योगदान दिया है।
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जि़क्रयोग्य है कि सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को बहुत से क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षा और इंजीनियरिंग में विशेष मान्यता प्राप्त हुई। अनेकों यूनिवर्सिटियों और शिक्षा संस्थाओं के नाम जिनमें, विश्वेश्वरैया टैक्नोलॉजीकल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, सर एम. विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नॉलॉजी बेंगलुरू और विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नॉलॉजी नागपुर, आई.आई.टी.बी.एच.यू. वारानसी आदि, उनकी याद में रखे गए हैं।
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मंत्री ने आगे बताया कि साल 1962 में सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का देहांत हो गया था, परन्तु उनकी उपलब्धियों और योगदान को आज भी याद किया जाता है। उन्होंने समूह इंजीनियरों को इस दिवस के अवसर पर और मेहनत और समर्पण भावना के साथ काम करने की अपील भी की।