-भगवान ब्रह्मा जी की पुत्रियों से हुआ था श्री गणेश जी का विवाह
प्रदीप शाही
क्या आप जानते हैं कि प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी का भी विवाह हुआ था। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश के ससुर सृष्टि रचयिता भगवान श्री ब्रह्मा जी हैं। आखिर क्यों और कैसे श्री गणेश जी का विवाह भगवान श्री ब्रह्मा जी की मानस पुत्रियों के संग हुआ था। भगवान श्री गणेश जी के दो पुत्रों ने भी जन्म लिया था।
भगवान श्री गणेश कैसे बने प्रथम पूज्य
भगवान श्री गणेश को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र होने के कारण ही नहीं पूजा जाता है। बल्कि श्री गणेश की उनकी विद्धता के कारण, सभी शुभ कार्यों को करने से पहले सभी देवताओं से पहले पूजन करने की परंपरा है। अपने वाहन मूषक पर सवार भगवान श्री गणेश को गणों के देवता कहने के कारण ही गणपति के नाम से पुकारा जाता है। सबसे खास बात यह भी है कि भगवान श्री गणेश जी को केतू के देवता के रुप से पूजा जाता है। गणेश जी की की रचना माता पार्वती ने की थी। श्री गणेश जी का जन्म के समय मुख आम इंसान की तरह से ही था। माता पार्वती ने गणेश की रचना के बाद गणेश को कहा कि वह स्नान करने जा रही हैं। जब तक वह बाहर न आएं। तो भीतर कोई भी दाखिल न होने पाए। इसी दौरान भगवान शिव भीतर जाने लगे। तब गणेश ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिय़ा। तब भोले बाबा ने गुस्से में गणेश की सिर धड़ से अलग कर दिया। पार्वती के दुखी होने पर उसके सिर पर हाथी के बच्चे का सिर लगा दिया था। साथ ही उसे प्रथम पूज्य होने का भी आशीर्वाद दिया।
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भगवान गणेश के विवाह में क्यों आई अड़चनें
हाथी के सिर वाले भगवान श्री गणेश जी के सबसे पहले दो दांत थे। जो उनकी सुंदरता को बढ़ाते थे। परंतु भगवान श्री परशुराम जी के साथ युद्ध होने के काऱण गणेश जी का एक दांत टूट गया। तब वह एकदंत के नाम से भी पूजे जाने लगे। हाथी का सिर और एकदंत होने के कारण उनके विवाह में अड़चनें आने लगी। इस वजह से श्री गणेश जी नाराज रहने लगे।
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आखिर श्री गणेश जी का किससे और कैसे हुआ विवाह
भगवान श्री गणेश जी अपना विवाह न होने के कारण किसी अन्य के विवाह के आय़ोजन में खुश नहीं रहते थे। तब वह और उनका प्रिय वाहन मूषक अन्य देवताओं के विवाह में अड़चने डालने लग गए। विवाह में रुकावटें आने पर सभी देवी देवता परेशान होने लगए। आखिर उन्होंने भगवान शंकर व माता पार्वती से इस समस्या का समाधान करने की प्रार्थना की। तब भोले बाबा व देवी पार्वती ने सभी देवताओं को इस समस्या का समाधान करने के लिए भगवान श्री ब्रह्मा के पास भेजा। उस समय भगवान श्री ब्रह्मा जी योग में लीन थे। तब भगवान श्री ब्रह्मा ने अपनी योग शक्ति से दो कन्याओं रिद्धि और सिद्धि को प्रकट किया। इन दोनों कन्याओं को वह श्री गणेश के पास शिक्षा दिलाने पहुंचे। श्री गणेश उन्हें शिक्षा प्रदान करने लग गए। जब कभी भी किसी की शादी का अवसर आता तो रिद्धि व सिद्धि भगवान श्री गणेश का ध्यान भंग कर देती। इस तरह से देवताओं के विवाह समागम बिना किसी बाधा के सही ढंग से संपन्न होने लग गए। श्री गणेश शीघ्र ही को बात को सभझ गए। जैसे ही श्री गणेश क्रोधित होने लगे तो भगवान श्री ब्रह्मा वहां प्रकट हो गए। उन्होंने कहा कि मुझे इनके लिए कोई योग्य वर नहीं मिल रहा है। क्या आप इनसे विवाह करेंगे। इस तरह से भगवान श्री गणेश संग भगवान श्री ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्रियों रिद्धि औऱ सिद्धि का विवाह कर दिया। विवाह के बाद भगवान श्री गणेश जी को दो पुत्र रत्न शुभ और लाभ प्राप्त हुए।
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