धर्मेन्द्र संधू
जब सर्दी का मौसम दस्तक देता है तो साथ ही कई प्रकार के परिवर्तन भी होते हैं। वातावरण के साथ ही हमारे शरीर में भी कई बदलाव आते हैं। इस दौरान तापमान में हुए बदलाव से सेहत समस्याएं पैदा होना भी स्वाभाविक है। आज हम सर्दी के मौसम में होने वाले कुछ रोगों और समस्याओं व उनसे बचने से उपायों पर चर्चा करेंगे।
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सर्दी के मौसम का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों व बुजुर्गों पर पड़ता है। लेकिन अगर इस मौसम में थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो सेहत संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है। सर्दी के मौसम में तापमान तो कम होता ही है साथ ही वातावरण में कई परिवर्तन होते हैं। सर्दियों में हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाती है और एलर्जी व इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दी के मौसम में होने वाली सेहत समस्याएं और उनसे बचने के उपाय
हो सकती है फ्लू की समस्या
फ्लू की समस्या सर्दियों में बढ़ जाती है। फ्लू संक्रमण फैलाने वाले एक रेस्पिरेटरी वायरस के कारण होने वाली समस्या है जिसे इंफ्लूएंजा भी कहते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण लोग इसकी चपेट में जल्दी आते हैं। इससे बचने के लिए भीड़ वाले स्थानों से दूर रहें। बाहर से आने पर अपने हाथ साबुन से धो लें। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
गले में खराश
सर्दी के मौसम में गले से संबंधित समस्याएं पैदा होना आम बात है। इनमें गले में खराश व खांसी होना प्रमुख है। गले में खराश मुख्य रूप से वारयल इंफेक्शन के कारण होती है। सर्दी में गले की समस्याओं से बचने के लिए ठंडे पानी से परहेज़ करें। जब भी प्यास लगे तो ताज़ा या गुनगुना पानी ही पीएं। घर से कहीं बाहर जाने से पहले आंखों को छोड़कर गर्म कपड़े या स्कॉर्फ से चेहरा पूरी तरह से ढक लें। अगर गले में खराश हो तो गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करने से आराम मिलता है। इसके अलावा आप तुलसी व अदरक डालकर काढ़ा या चाय बनाकर भी पी सकते हैं, इससे गले की समस्याओं में फायदा होता है।
त्वचा संबंधी समस्याएं
सर्दी का सबसे ज्यादा प्रभाव त्वचा पर पड़ता है। सर्दी के कारण त्वचा नमी खो देती है और ड्राई हो जाती है। इस लिए त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए किसी बढ़िया कंपनी का मॉश्चराइजर लगाकर मसाज करें। इसके अलावा आप त्वचा पर नारियल का तेल, कोल्ड क्रीम व बॉडी लोशन भी लगा सकते हैं। साथ ही ज्यादा ठंड में होठ भी फट जाते हैं। इसके लिए रात को सोने से पहले होठों पर दूध की मलाई या देसी घी लगाएं। त्वचा संबंधी समस्याओं से बचने के लिए ज्यादा गर्म पानी के साथ नहाने से परहेज़ करें। घर से बाहर निकलने से पहले मुंह को अच्छी तरह से ढक लें।
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अस्थमा व सांस संबंधी समस्याएं
सर्दियों में सांस से संबंधित समस्याएं बढ़ जाती हैं। खासकर ठंडी हवा के संपर्क में आने से अस्थमा की समस्या और भी बढ़ जाती है। हवा में नमी के साथ ही एलर्जी पैदा करने वाले तत्व भी बढ़ जाते हैं जो सांस की समस्याओं को बढ़ा देते हैं। इससे खांसी-जुकाम के साथ ही छाती में जकड़न हो जाती है और सांस लेने में परेशानी आती है। इन समस्याओं से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलें और मुंह को अच्छी तरह से ढककर रखें। प्यास लगने पर गुनगुना पानी ही पीएं।
हार्ट अटैक की बढ़ जाती है संभावना
दिल के रोगियों को सर्दी के मौसम में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस दौरान दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। ज्यादा सर्दी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है, जिससे दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है। इस लिए दिल के रोगी खुद को गर्म कपड़ों से पूरी तरह ढककर रखें।
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हाइपोथर्मिया की समस्या
सर्दी में कई बार शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ जाता है। इस दौरान शरीर में कपकपी होती है, बार-बार पेशाब आने को होता है और शरीर का तापमान 35 डिग्री से भी कम चला जाता है। इस स्थिति या इन लक्षणों को हाइपोथर्मिया की समस्या कहते हैं। इस समस्या में जरूरत से ज्यादा ठंड महसूस होती है। इससे बचने के लिए गर्म कपड़े पहनकर रखें और गर्म तासीर वाले पदार्थों का सेवन ज्यादा मात्रा में करें। अधिक हालत खराब होने पर डाक्टर से संपर्क करें।
हाथों-पैरों से संबंधित समस्याएं
सर्दी के मौसम में हाथ-पैर जल्दी ठंडे होते हैं। कई बार पैरों की उंगलियों में सूजन आ जाती है। इसके कारण कई बार तो उंगलियां सूजने के बाद नीली पड़ जाती हैं और साथ ही इनमें हल्का दर्द व खारिश भी होती है। इस समस्या से बचने के लिए हाथों में दस्ताने व पैरों में गर्म जुराबें पहनकर रखें। पैरों की उंगलियों में आई सूजन को कम करने के लिए एक टब में गुनगुना पानी डालकर उसमें थोड़ी देर के लिए पैरों को भिगोएं। अधिक फायदे के लिए आप पानी में नमक व फिटकरी भी डाल सकते हैं। इस उपाय से ब्लड सर्कुलेशन सही हो जाता है। इसके अलावा रेत को गर्म करके किसी कपड़े में डालकर हल्की सिकाई भी की जा सकती है।
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जोड़ों का दर्द
ज्यादा ठंड में जोड़ों के दर्द की समस्या और भी बढ़ जाती है। इसका कारण है कि घुटनों, कंधों व बाजुओं तक खून पहुंचाने वाली नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं और ज्यादा दर्द महसूस होता है। साथ ही पुरानी चोट वाले स्थान पर भी अधिक दर्द होता है। दर्द से छुटकारा पाने के लिए गर्म कपड़े पहनकर रखें और घर के अंदर ही हल्की कसरत करें।