समूची मानवता को सिख फलसफे से शिक्षा लेने की ज़रूरत – डॉ. जगबीर सिंह

एस.ए.एस.नगर (मोहाली), 6 मईः
यहाँ के शहीद मेजर हरमिन्दरपाल सिंह (शौर्य चक्र) सरकारी कॉलेज के पोस्ट ग्रैजुएट पंजाबी विभाग द्वारा बीते दिन नौवें पातशाह श्री गुरू तेग़ बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित ‘मानवीय अधिकार और श्री गुरू तेग़ बहादुर जीः यात्राएं एवं शिक्षाएं’ के विषय पर अंतरराष्ट्रीय वैबीनार करवाया गया।
इस अवसर पर सैंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब के चांसलर डॉ. जगबीर सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि गुरू जी की बाणी मोह माया की नींद में डूबे हुए मन को जगाकर उच्चतम आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए अथाह बल प्रदान करती है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि समकाल में हमें सिख फलसफे से मार्गदर्शन लेने की ज़रूरत है।
यू.एस.ए. से अपने कुंजीवत भाषण में डॉ. दलवीर सिंह पन्नू ने गुरू साहिब संबंधी असामी और फ़ारसी भाषाओं में मिले लेखों और अन्य एतिहासिक स्रोतों के हवाले से गुरू जी की शहादत संबंधी तथ्यपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने सिख इतिहास संबंधी वैश्विक स्तर पर अनुसंधान और एतिहासिक स्रोत जुटाने पर भी ज़ोर दिया ताकि सिख इतिहास विश्व स्तर पर पढ़ाया जा सके।

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सैंटर फॉर पंजाबी एवं सिख स्टडीज़, यूनिवर्सिटी ऑफ वालवरहैम्पटन यू.के. के डायरेक्टर डॉ. उपिन्दरजीत कौर तक्खड़ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में यू.के. और अन्य देशों में करवाई जा रही सिख स्टडीज़ बारे विचार पेश करते हुए कहा कि विदेशों में सिख इतिहास का उपलब्ध होना समय की ज़रूरत है। उन्होंने गुरू तेग़ बहादुर जी के फलसफे का विश्व स्तरीय चिंतन करते हुए उस अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जतिन्दर कौर ने अपने भाषण में कहा कि गुरू जी के शहादत ने अमानवीय व्यवहार वाले साम्राज्य के ख़ात्मे का आधार बाँधकर मुग़ल साम्राज्य की धार्मिक कट्टरता को लोगों का दर्शन नहीं बनने दिया।
यू.के. से गुरदास ढडवाल ने गुरू तेग़ बहादुर जी की यात्राओं बारे एक प्रस्तुति द्वारा बहुत महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि गुरू जी के उपदेश हमें सुख-दुख में डटे रहने की प्रेरणा देते हैं। डॉ. राकेश बावा ने अपने विशेष लैक्चर दौरान कहा कि गुरू जी की ईश्वरीय बाणी त्याग और तपस्या से सराबोर है। गुरू जी के पवित्र श्लोक मानव को लोभ लालच में से निकाल कर रुहानियत का मार्ग दिखाते हैं।

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वैबीनार के को-कनवीनर डॉ. अमनदीप कौर ने बोलते हुए कहा कि गुरू जी की अतुल शहादत ने विश्व स्तर पर मानवीय अधिकारों के सिद्धांत को स्थापति बख्शी और सिख अदब को नयी चेतना और दिशा प्रदान की। उन्होंने बताया कि इस वैबीनार में देश-विदेश से 550 डेलीगेटों ने भाग लिया। कनवीनर प्रो. घनशाम सिंह भुल्लर ने गुरू साहिब की महान शहादत संबंधी बोलते हुए कहा कि सिख इतिहास संबंधी हमारी पीढ़ीयों को परिचित करवाना हमारा नैतिक फ़र्ज़ है जिस कारण इस वैबीनार का आयोजन किया गया है। उन्होंने सभी विद्वानों और डेलीगेटों का धन्यवाद किया।
इस वैबीनार के लिए तकनीकी सहयोग माता गुजरी कॉलेज, फतेहगढ़ साहिब द्वारा दिया गया।

-NAV GILL

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