-श्री कृष्ण जी को मिले श्राप के बाद केवल वज्रनाभ ही बचे थे जीवित
यह पूर्ण तौर से सत्य़ है कि जब कोई दुखद स्थिति में किसी को श्राप देता है, तो वह अवश्य फलित होता है। आज आपको महाभारत काल में श्री कृष्ण को दिए एक एेसे श्राप के बारे बताते हैं, जिस कारण भगवान श्री कृष्ण का समूचा वंश समाप्त हो गया था। परंतु उस श्राप में से भगवान श्री कृष्ण के पड़पौते वज्रनाभ जीवित बचे। वज्रनाभ के नाम पर आज भी मथुरा में बज्रमंडल स्थापित है। आईए, आपको बताएं कि किसने भगवान श्री कृष्ण को क्यों श्राप दिया।
महारानी गांधारी ने दिया था भगवान श्री कृष्ण को श्राप
महाभारत युद्ध में पांडवों औऱ कौरवों के मध्य हुए भीष्ण युद्ध में कौरवों का अंत हुआ। इस समूचे घटनाक्रम के बाद उत्पन्न स्थिति के बाद आहत हुई माता गांधारी से पहली बार जब श्री कृष्ण मुलाकात करने पहुंचे तो गांधारी अपने 100 पुत्रों की मृत्यु के शोक में डूबी हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण के मिलते ही गांधारी ने क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि तुम्हारे कारण जिस प्रकार से मेरे 100 पुत्रों का नाश हुआ हैष उसी प्रकार तुम्हारे वंश का भी आपस में एक-दूसरे संग झगड़ने से नाश हो जाएगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गांधारी से कहा- देवी, मैं आपके दुख को समझ सकता हूं। यदि मेरे वंश के नाश से तुम्हें शांति मिलती है। तो ऐसा ही होगा।
ऋषि दुर्वासा ने भी दिया था यदुवंशियों को श्राप
एक दिन अहंकार के वश में आकर कुछ यदुवंशी बालकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। तब दुर्वासा ऋषि ने भी क्रोधित होकर शाप देते कहा कि तुम्हारे वंश का नाश हो जाए। ऋषि के श्राप के प्रभाव से सभी यदुवंशी भयभीत हो गए। एक दिन कृष्ण की आज्ञा से वे सभी एक यदु पर्व पर आयोजित एक समागम में अति नशीली मदिरा पी ली। नशे के प्रभाव में लड़ने से भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर कुछ लोग ही जीवित बचे रह गए। बचे लोगों ने श्री कृष्ण के कहे अनुसार द्वारिका छोड़ कर हस्तिनापुर की शरण ले ली। वहीं श्री कृष्ण की बसाई द्वारिका भी सागर में डूब गई।
श्री कृष्ण की विषयुक्त तीर लगने से हुई मौत
भगवान कृष्ण अपने कुल का नाश देखकर बहुत दुखी हुए। एक दिन वह वन में एक पीपल के वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में लेटे थे। तभी जरा नामक एक बहेलिए ने भूलवश उन्हें हिरण समझकर विषयुक्त बाण चला दिया। जो उनके पैर के तलुवे में जाकर लगा। भगवान श्री कृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर देह त्याग दी। महाभारत युद्ध के ठीक 36 वर्ष बाद उन्होंने अपनी देह इसी क्षेत्र में त्याग दी थी।
वज्रनाभ ही आपसी युद्ध में बचे थे जीवित
यदुवंशियों की आपसी लड़ाई में जीवित बचे श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारिका के यदुवंश के अंतिम शासक बने। द्वारिका के समुद्र में डूब जाने पर अर्जुन द्वारिका पहुंचे। वज्रनाभ तथा अन्य जीबित बची यादव महिलाओं को हस्तिनापुर ले आए। श्री कृष्ण के पड़पौते वज्रनाभ को अर्जुन ने हस्तिनापुर पहुंच कर मथुरा का राजा घोषित किया। गौर हो वज्रनाभ के नाम से ही मथुरा क्षेत्र को ब्रजमंडल कहा जाता है।
प्रदीप शाही