शिवलिंग और परमाणु रिएक्टर संरचना में है गहन समानताएं

-शिवलिंग, परमाणु रिएक्टर दोनों से ही होती है उर्जा प्रवाहित

-सभी ज्योतिर्लिंगों, परमाणु रिएक्टर्स के पास पाई जाती है सबसे अधिक रेडियो एक्टिविटी

– बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल में है न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने की क्षमता

भारतीय प्राचीन हिंदू संस्कृति में रचित चारों वेद, पुराण, शास्त्रों के अलावा भारत के कोने-कोने में सदियों पहले निर्मित किए मंदिरों की संरचना आज भी वैज्ञानिकों के अलावा इंजीनियरों के लिए कौतहूल का विषय बने हुए हैं। क्या आप जानते हैं कि धार्मिक आस्था के प्रतीक शिव लिंग और परमाणु रिएक्टर संरचना में गहन समानताएं है। जी हां, यह बिल्कुल सत्य है। शिवलिंग, परमाणु रिएक्टर दोनों से ही एक समान उर्जा प्रवाहित होती है। वैज्ञानिकों ने शोध में यह स्वीकार किया है कि सभी ज्योतिर्लिंगों, परमाणु रिएक्टर्स के पास सबसे अधिक रेडियोएक्टिविटी मिलती है।

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हिंदू संस्कृति में त्रिदेव भगवान श्री ब्रह्रा जी, भगवान श्री विष्णू हरि और देवों के देव महादेव भोले नाथ सहित आदि शक्ति को पूजन किया जाता है। त्रिदेवों में से महादेव भोले शंकर का पूजन इस विश्व में सबसे अधिक किया जाता है। अपने भक्तों के कष्ट का निवारण करने के लिए भगवान शंकर भारत के विभिन्न स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए। शिव लिंग के धार्मिक महत्व के अलावा इसके वैज्ञानिक दृर्ष्टिकोण का भी विशेष महत्व है। शिव को शाश्वत, अनादि, अनंत के रुप में भी जाना जाता है।

शिवलिंग और परमाणु रिएक्टर संरचना में है गहन समानताएं

इस धरा पर शिवलिंग का पूजन सबसे अधिक किए जाने की परंपरा सदियों से जारी है। यदि हम शिवलिंग और मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर परमाणु रिएक्टर पर नजर दौड़ाएं तो इनकी संरचना में गहन समानताएं हैं। भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिजाइन को यदि ध्यान से देखा जाए तो यह  शिव लिंग की तरह ही दिखाई देता है |शिवलिंग और परमाणु रिएक्टर दोनों से ही उर्जा प्रवाहित होती है। जिस तरह शिव के सभी ज्योतिर्लिंग जल भंडारण के पास स्थित हैं। उसी तरह विश्व के सारे न्यूक्लियर प्लांट भी समुद्र के पास ही स्थित हैं।  शिवलिंग की संरचना बेलनाकार है। उसी तरह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर  रिएक्टर की संरचना भी बेलनाकार ही है। परमाणु रिएक्टर को जिस तरह से ठंडा रखने के लिये जल का प्रयोग किया जाता है। उसी तरह शिवलिंग पर भी जल चढ़ाने की परंपरा है। शिव लिंग पर चढाए जाने वाले जल और  न्यूक्लियर रिएक्टर से निकले हुए जल के चार्ज होने के कारण लोगों को दूर रखा जाता है।

बेलपत्र, आक, धतूरा में है परमाणु एनर्जी सोखने की क्षमता

भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठाएं तो भारत सरकार के परमाणु रिएक्टर के अलावा सभी ज्योत्रिलिंगो के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाई जाती है। शिवलिंग को यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह न्यूक्लिअर रिएक्टर्स ही हैं। शिवलिंग और परमाणु रिएक्टर दोनों में ही उर्जा प्रवाहित होती है। इस कारण यह गर्म हो जाते हैं। इनको ठंडा रखने के लिए जल चढ़ाया जाता है। ताकि उसमें से निकलने वाली उर्जा को शांत रखा जा सके। सबसे खास बात यह है कि महादेव के सभी प्रिय पदार्थ बेल पत्र, आक, धतूरा, गुड़हल इन सभी में न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने की क्षमता है। सबसे खास बात यह कि शिवलिंग पर चढ़ाया जल नदी के जल संग मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

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महाविस्फोट का सिद्धांत 1920 में जार्ज लिमाईटरे ने दिया

बिग बैंग (महाविस्फोट) का सिद्धांत सर्वप्रथम जार्ज लिमाईटरे ने 1920 में दिया। सिद्धांत अनुसार 13.7 खरब वर्ष पहले एक अति गर्म और घनी अवस्था से ब्रह्मांड का जन्म हुआ। ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिंदु से हुई थी। उस समय मानव, समय और स्थान जैसी कोई भी वस्तु का कोई अस्तित्व नहीं था। इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा प्रवाहित हुई। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी कि इसके प्रभाव से आज तक ब्रह्रांज फैलता जा रहा है। भौतिकी के नियम अनुसार हाइड्रोजन, हीलियम अस्तित्व में आए। भौतिक तत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी का जन्म हुआ। उस समय ब्रह्माण्ड सृजनी शक्ति के साथ शिव जी ने लिंग रूप में धरती पर निवास किया। वह शक्ति कुछ नहीं परमाणु और अणु शक्ति का रुप थी। जिससे आज एटम बम का निर्माण किया जा रहा है। प्राचीन काल में इससे ही ब्रह्मास्त्र बनते थे।

शिव हैं शाश्वत, अनादि, अनंत

यह सर्वविदित है भगवान शिव की प्रतिमा पर नहीं केवल शिव लिंग पर ही जल व उनके अन्य प्रिय पदार्थ बेल पत्र, आक का पत्ता, धतूरा व गुड़हल चढ़ाने की परंपरा है। पुराणों में लिखित है जब कुछ भी नहीं था तो परम पिता परमत्मा ने खुद को प्रकट कर अपने में एक स्त्री (शक्ति) को अलग से स्थान दिया| स्त्री पुरुष ने स्वयं को तीन अलग-अलग भागों में  त्रिदेव और त्रिशक्ति के तौर पर परिभाषित किया। तब देवों के देव भगवान शिव ब्रह्मांड सृजण शक्ति के साथ एक लिंग में प्रकट हुए। जिसका न कोई आदि था और न ही कोई अंत था। इसी कारण शिवलिंग में सर्वाधिक उजा का समावेष है।
कुमार प्रदीप

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