चंडीगढ़, 29 जुलाई:
रेश्मी कपड़े की लगातार बढ़ रही माँग को पूरा करने के लिए पंजाब के वन विभाग ने सिल्क समग्र के अधीन कंडी क्षेत्रों में खाली पड़ी वन ज़मीन का प्रयोग करके पंजाब के पठानकोट जिले के धार ब्लाक में रेशम का उत्पादन करने वाले किसानों की जीविका में सुधार के लिए एक प्रोजैक्ट तैयार किया है।
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इस बात का प्रगटावा करते हुये वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि 3.6 करोड़ का प्रोजैक्ट इस क्षेत्र के किसानों के लिए एक वरदान है और इससे राज्य में रेशम उत्पादन के विकास को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
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इस प्रोजैक्ट को सैंट्रल सिल्क बोर्ड, बंगलुरू टेक्स्टाईल मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से 26 जुलाई, 2021 को मंज़ूरी दी गई और इस प्रमुख प्रोजैक्ट के अंतर्गत पठानकोट जिले के धार ब्लाक के पाँच गाँव भाव दुरंग खड़, फंगतोली, बढान, समानू / जंगहाथ और भाभर का चयन किया गया है जहाँ शहतूत के 37500 पौधे लगाए जाएंगे।
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जि़क्रयोग्य है कि शहतूत के पत्तों की बहुत कम उपलब्धता के कारण पंजाब में रेशम उत्पादन के विकास में बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ता है। वन विभाग ने इन गाँवों में से 116 लाभपात्रियों का चयन किया है।
इन लाभपात्रियों को वन विभाग की तरफ केंद्रीय सिल्क बोर्ड और बाग़बानी विभाग के सहयोग से कम्युनिटी रियरिंग हाऊसिज, रियरिंग उपकरणों सम्बन्धी प्रशिक्षण आदि मुहैया करवाया जायेगा।
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श्री वी.बी. कुमार, प्रिंसीपल चीफ़ कंजरवेटर आफ फारेस्ट, पंजाब ने कहा कि यह एक नवीन प्रोजैक्ट है और उम्मीद की जा रही है कि यह न सिर्फ़ पंजाब बल्कि उत्तर पश्चिमी भारत के अन्य क्षेत्रों में, जहाँ वन का बड़ा क्षेत्रफल खाली है और जिसको वन की गतिविधियों में बिना किसी रुकावट के इस्तेमाल किया जा सकता है, में रेशम उत्पादन के विकास को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही इस प्रोजैक्ट के साथ भूमि रहित और सीमांत किसान वन की ज़मीन का प्रयोग करके अपनी आय में विस्तार भी कर सकते हैं।
यह प्रोजैक्ट विशेष तौर पर पठानकोट वन मंडल के धार ब्लाक के कंडी क्षेत्रों में ग्रामीण वन समिति और स्व सहायता ग्रुपों के द्वारा वन की खाली ज़मीन में रेशम उत्पादन करके एग्रो -फोरैस्टरी प्रस्ताव से लोगों के लिए रोज़ी कमाने के अतिरिक्त साधन भी पैदा करेगा। पहले सिल्क कोकून की मार्किटिंग में काफ़ी अंतर था। कंजरवेटर आफ फोरेस्ट श्री संजीव तिवारी ने कहा कि अब विभाग समूचे रेशम उद्योग की सप्लाई चेन को जोडऩे के लिए मोबाइल एप्लीकेशन जैसी डिजिटल टैकनालोजियों की शुरुआत करेगा, जिससे रेशम के काश्तकारों को उनके उत्पादों के लिए बढिय़ा मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी जिससे कोकून की गुणवत्ता को यकीनी बनाया जा सके।
-Nav Gill