भारत में कुछ ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं जो आज भी विज्ञान के लिए पहेली बने हुए हैं। इन मंदिरों में घटित होने वाले चमत्कार लोगों को हैरान करने के साथ-साथ सोचने के लिए मज़बूर कर देते हैं कि यह सब घटित कैसे हो रहा है। इन चमत्कारों के बारे में अकसर हम सुनते हैं। लेकिन आज हम आपको जिस चमत्कार के बारे में बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। अगर किसी से पूछा जाए कि एक छोटे घड़े में कितना पानी आ सकता? तो जवाब होगा एक छोटी बालटी या कुछ लीटर पानी आएगा। लेकिन आज हम आपको एक मंदिर में घटित होने वाले एक ऐसे ही चमत्कार के बारे बताएंगे जहां पर एक छोटे घड़े में लाखों जीटर पानी डाला जाता है फिर भी यह घड़ा नहीं भरता।
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यह चमत्कार होता है राजस्थान के पाली ज़िले में स्थित प्राचीन शीतला माता मंदिर में । इस मंदिर में एक ऐसा गढ्ढा रूपी घड़ा मौजूद है जिसमें अब तक लाखों लीटर पानी डाला जा चुका है लेकिन यह घड़ा नहीं भरा।
800 साल से चल रही है परंपरा
यह परंपरा 800 सालों से निरंतर जारी है। साल में केवल दो बार ही इस अदभुत घड़े को भक्तों के सामने खोला जाता है। कहा जाता है कि अब तक इस घड़े में 50 लाख लीटर के करीब पानी डाला जा चुका है लेकिन यह घड़ा अभी भी नहीं भरा। लोगों का मानना है कि यह सारा पानी एक राक्षस पी जाता है।
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साल में दो बार घड़े से हटाया जाता है पत्थर
साल में दो बार इस मंदिर में मौजूद घड़े से पत्थर हटाया जाता है। एक बार शीतला सप्तमी को और दूसरी बार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को। इस अवसर पर गांव की महिलाएं कलश भर-भर के इस घड़े में पानी डालती हैं लेकिन यह घड़ा नहीं भरता। बाद में मंदिर के पुजारियों द्वारा शीतला माता के चरणों से दूध छुआ कर भोग लगाया जाता है फिर यह घड़ा भरता है। इसके बाद इस घड़े को बंद कर दिया जाता है।
इस चमत्कार से जुड़ी है कथा
मान्यता है कि आज से 800 साल पहले बाबरा नामक राक्षस के आतंक से गांव के लोग भयभीत थे। जब किसी ब्राह्मण के घर में शादी होती थी तो यह राक्षस दूल्हे को मार देता था। इस से तंग आकर ब्राह्मणों ने शीतला माता की पूजा- अर्चना की जिसके बाद माता ने एक ब्राह्मण के सपने में आकर कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तो मैं उस राक्षस को मार दूंगी। शादी के समय माता ने एक छोटी कन्या के रूप में प्रकट होकर राक्षस को मार दिया। इस समय राक्षस ने माता से एक वरदान मांगा कि मुझे प्यास अधिक लगती है और मुझे साल में दो बार पानी पिलाना पड़ेगा। माता ने उस राक्षस की प्रार्थना सुनकर उसे यह वरदान दिया। कहा जाता है कि आज भी जब इस घड़े में पानी डाला जाता है तो सारा पानी वह राक्षस पी जाता है।
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वैज्ञानिक स्तर पर हो चुकी है शोध
इस गढ्ढे रूपी घड़े के बारे में वैज्ञानिक स्तर पर शोध कार्य हो चुका है लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि घड़े में डाला जाने वाला लाखों लीटर यह पानी कहा जाता है।
धर्मेन्द्र संधू