कर्मों का होता है हिसाब-किताब
भारत के पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से जाना है। देव भूमि हिमाचल में कई प्रसिद्ध शक्ति पीठ व मंदिर मौजूद हैं। प्रत्येक मंदिर के साथ कोई ना कोई कहानी जुड़ी है। जिसके बारे में सुनकर लोगों को काफी हैरानी होती है। आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके संबंध में मान्यता है कि हर व्यक्ति को एक बार तो इस मंदिर में आना ही पड़ता है। चाहे वह ज़िंदा आए या मरने के बाद। आप भी यह सुनकर हैरान हो गए होंगे कि मरने के बाद इंसान मंदिर में कैसे जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के भरमौर में स्थित है ‘चौरासी मंदिर’। माना जाता है कि यह मौत के देवता यमराज का इकलौता मंदिर है। कहा जाता है कि अगर ज़िन्दा इंसान इस मंदिर में नहीं आ सकता तो मरने के बाद आत्मा को इस मंदिर में आना पड़ता है। इसी मंदिर में इंसान के पाप-पुण्यों का हिसाब-किताब होता है और उसके बाद ही आत्मा को स्वर्ग व नरक में भेजा जाता है।
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मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण किसने करवाया इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन मंदिर की टूटी हुई सीढ़ियों का दोबारा निर्माण छठी शताब्दी में चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने करवाया था। माना जाता है कि चौरासी सिद्ध यात्रा के दौरान यहां पर रुके थे। एक और कथा के अनुसार राजा साहिल वर्मन के ब्रह्मपुरा जो भरमौर का प्राचीन नाम है के प्रवेश के बाद 84 योगियों ने इस स्थान का दौरा किया। और राजा की सेवा से प्रसन्न होकर राजा को वरदान दिया कि उसके घर में 10 पुत्र पैदा होंगे। कुछ सालों के बाद राजा के घर 10 बेटों व एक बेटी ने जन्म लिया। माना जाता है कि इन चौरासी योगियों को यह मंदिर समर्पित किया गया।चौरासी मंदिर परिसर में छोटे -बड़े 84 मंदिर मौजूद हैं।
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भगवान शिव चैरासी मंदिर में करते हैं विश्राम
लोगों का मानना है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव पाताल लोक से कैलाश की ओर प्रस्थान करते हैं और अपनी इस यात्रा के दौरान चौरासी मंदिर में रुक कर विश्राम करते हैं। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में जुड़ते हैं। इस अवसर पर रात के चारों पहर तक मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा के समय घंटियों की आवाज़ इत्यादि पूरे भरमौर में सुनाई देती है।
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मंदिर में है चित्रगुप्त का कमरा
इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा कहा जाता है। चित्रगुप्त को यमराज का सहयोगी माना जाता है और कहते हैं कि चित्रगुप्त जीवात्मा के कर्मो का पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। मान्यता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा को यमराज के दूतों द्वारा पकड़कर चित्रगुप्त के पास इस कमरे में ले जाया जाता है। चित्रगुप्त द्वारा आत्मा को उसके कर्मों का सारा लेखा-जोखा बताया जाता है तथा बाद में इस कमरे के सामने वाले कमरे में लेजाया जाता है। इस कमरे या कक्ष को यमराज या धर्मराज की कचहरी कहा जाता है।
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मंदिर में है स्वर्ग का दरवाज़ा
मंदिर में सीढ़ियां व एक गुप्त यंत्र स्थापित किया गया है। माना जाता है कि इस यंत्र के द्वारा ही धर्मराज मानव जीवन के कर्मों का हिसाब करते हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने मंदिर में कई बार ऐसी आवाज़ें सुनी हैं जैसे अदालत में बहस हो रही हो। तथा मंदिर में लगी ढाई सीढ़ियों को स्वर्ग के दरवाज़े के रूप में देखा जाता है। हर साल मणिमहेश की यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में नतमस्तक होते हैं।
धर्मेन्द्र संधू