यहां पर बजरंग बली अपने पुत्र संग हैं विराजमान….

-देश में दो मंदिरों में होती है पिता पुत्र की एक साथ पूजा
भारत वर्ष में स्थापित उन मंदिरों में जहां बजरंग बली की प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठित हैं। वहां पर हनुमान जी की विभिन्न मुद्राओं में प्रतिमाएं हैं। परंतु भारत में दो मंदिर एेसे भी हैं, जहां पर बजरंग बलीअपने बेटे मकरध्वज के साथ विराजमान है। आप भी हैरान हो रहे होंगे। भगवान श्रीराम के परमभक्त व भगवान शंकर के 11वें रुद्र अवतार श्री हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे। तो उनका पुत्र कैसे हुआ। परंतु यह बिलकुल सत्य है कि वीर हनुमान जी का एक बेटा मकरध्वज भी था। पिता पुत्र के इस छिपे रहस्य से आज आपको अवगत करवाते हैं। कहां पर स्थित हैं उनके यह मंदिर। जहां पर पिता हनुमान व उनके बेटे मकरध्वज की एक साथ पूजा की जाती है।

कहां पर स्थित हैं पिता पुत्र के यह मंदिर
द्वारिका से चार मील की दूरी पर बेट द्वारिका के हनुमान दंडी मंदिर है। इस मंदिर में मकर ध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। जबकि पिता पुत्र का दूसरा मंदिर राजस्थान के ब्यावर में स्थापित है। भारत में केवल यह दो मंदिर ही हैं, जहां पर हनुमान जी की उनके बेटे संग पूजा की जाती है।

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कैसे हुआ हनुमान जी के बेटे का जन्म
श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण के बनवास दौरान लंकापति रावण की ओर से माता सीता को हरण कर लंका स्थित अशोक वाटिका में कैद कर लिया गया था। तब हनुमान जी माता की खोज करने लंका गए। रावण के दरबार में हनुमान को पेश करने पर मेघनाद द्वारा उनकी पूंछ को आग लगा दी जाती है। तब हनुमान जी उस पूंछ से समूची लंका को जला देते हैं। पूंछ की गर्मी को समाप्त करने के लिए समुद्र के जल में प्रवेश करते हैं। इसी दौरान उनके पसीने की एक बूंद पानी में गिरती है। जिसे एक मछली पी लेती है। पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो जाती है। जिससे एक बालक का जन्म हुआ। जो आधा मछली व आधा बानर जैसा था। इस बालक का नाम मकरध्वज रखा गया। रावण के भाई अहिरावण व महिरावण की ओऱ से श्री राम व लक्ष्मण का हरण किए जाने के समय पाताल में हनुमान जी की भेंट अपने बेटे से होती है। तब मकरध्वज अपने पिता की मदज कर भगवान श्री राम, लक्ष्मण को मुक्त करवाते है। मुक्त होने के बाद श्रीराम ने मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति नियुक्त कर उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

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हनुमान दंडी मंदिर का इतिहास
गुजरात में द्वारिका से चार किलोमीटर दूर स्थित हनुमान दंडी मंदिर में मकर ध्वज के साथ में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी, परंतु अब दोनों मूर्तियां एक समान उंची हो गई हैं। ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां पहली बार हनुमानजी अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। मंदिर में प्रवेश करते ही सामने हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा स्थापित है वहीं पास में ही हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित है। इन दोनों प्रतिमाओं की विशेषता यह है कि इन दोनों के हाथों कोई भी शस्त्र नहीं है। यह दोनों प्रतिमाएं आनंदित मुद्रा में है। यह मंदिर कितने साल पुराना है, इस बारे कोई नहीं जानता है।

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राजस्थान के व्यावर स्थित हनुमान जी का मंदिर
राजस्थान के ब्यावर में हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज का भी एक मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज की एक साथ पूजा होती है। जिस स्थान पर यह मंदिर है, वहां मकरध्वज का सिंहासन था। भगवान श्री राम के वरदान की वजह से कलियुग में जागृत देव के रूप में भक्तों के संकट को समाप्त करने के लिए मकरध्वज यहां पर बालाजी के रुप में प्रकट हुए। ब्यावर में स्थित इस मंदिर की मान्यता भी दांडी मंदिर समान है।

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मंगलवार, शनिवार को होती है विशेष पूजन
यहां प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को देशभर से लोग दर्शन करने के लिए आते है। यह स्थान तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है। यहां हनुमान, मकरध्वज, गोरखनाथ, महाकाल भैरव, घंटाकर्ण संबंधी उपासना एवं तंत्र-मंत्र साधना की जाती है। इस मंदिर में किसी समस्या या संकट के निवारण के लिए प्रसाद के साथ अर्जी लगाई जाती है। दरअसल यह दरबार में चढ़ाने का एक प्रसाद है। प्रसाद में नारियल, अगरबत्ती, सिंदूर, तेल, देसी घी का दीपक, चावल, उड़द, मोली रेवड़ी होती है। मकरध्वज बालाजी आने वाले भक्तजन दुकान से अर्जी लेते हैं। उसे बालाजी के दरबार में ले जाकर 21 बार शरीर पर उतारते हैं। मान्यता है कि इससे संकट दूर हो जाता है।

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प्रदीप शाही

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