यहां एक साथ होते हैं ईश्वर, संस्कृति व इतिहास के दर्शन

-हरिद्वार में भारत का सबसे अनूठा भारत माता मंदिर
भारत एक धर्म निरपक्ष देश है। यह देवी-देवताओं, ऋषियों-मुनियों, देश भक्तों व समाज सुधारकों की धरती है। यहां प्रत्येक धर्म को समान महत्व दिया जाता है। भारतीय संस्कृति अन्य संस्कृतियों से भिन्न है और विभिन्न संस्कृतियों का सम्मिश्रण भी है। इसका मुख्य कारण भारत पर समय-समय पर हुए आक्रमण हैं। इन आक्रमणों के कारण भारत में लगातार शासक बदलते रहे। इसलिए भारतीय संस्कृति पर अन्य संस्कृतियों का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलता है।

इन आक्रमणों के बावजूद भारत के महान सपूतों ने भारत की शान पर आंच नहीं आने दी चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों ना देनी पड़ी हो। इसी महान भारतीय संस्कृति को दर्शाता एक अनूठा मंदिर ’भारत माता मंदिर’ है। भले ही भारत के कोने-कोन में में विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर बने हुए हैं। जो लोगों की श्रद्धा व आस्था का केन्द्र हैं, लेकिन आज आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो इन मंदिरों से बिल्कुल भिन्न है। यह है हरिद्वार में स्थित आठ मंजिला ’भारत माता मंदिर’ । आइए जानते हैं यह मंदिर क्यों अन्य मंदिरों से भिन्न है।


गंगा किनारे भारतीय संस्कृति को दर्शाता मंदिर
हरिद्वार में गंगा के किनारे बने इस मंदिर का निर्माण 1983 में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि  महाराज द्वारा करवाया गया था। आठ मंज़िला इस मंदिर का उद्घाटन देश की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया। ’भारत माता मंदिर’ को ’मदर इंडिया टेंपल ’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है। इस मंदिर की प्रत्येक मंज़िल भारतीय इतिहास के एक युग को प्रदर्शित करती है। यह मंदिर महान भारतीय संस्कृति की गौरव गाथा ब्यां करता है। इसमें सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक क्षेत्र में अपना योगदान डालने व देश के लिए बलिदान देने वाले संत-महात्माओं, शूरवीरों, देश भक्तों व विदूषी स्त्रियों की मूर्तियां सुशोभित की गई हैं।
पहली मंज़िल पर ’भारत माता’ की मूर्ति स्थापित की गई है। भारत माता प्रत्येक भारतीय जनमानस के मन में समाई हुई है। ’भारत माता की जय’ नारा मानव के मन में देश भक्ति का जज़्बा जगा देता है।

इन्हें भी पढ़ें…. देवी के नाम से जुड़ा है देवभूमि सोलन शहर का नाम
दूसरी मंज़िल ’शूर मंदिर’ पर देश धर्म व समाज के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाले शूरवीर अमर बलिदानियों श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी, महाराणा प्रताप, शिवा जी, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, सुभाषचन्द्र बोस, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव इत्यादि की मूर्तियों रखी गई हैं। इन शूरवीरों ने देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
तीसरी मंज़िल ’मातृ मंदिर’ पर राधा, मीरा, मैत्री, द्रोपदी, अहल्या, सावित्री आदि विदूषी महिलाओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इन विदूषियों की भक्ति भावना, समर्पण भाव व त्याग भावना भारतीय संस्कृति की सबसे प्रमुख विशेषता है।
चैथी मंज़िल ’संत मंदिर’ पर समाज का मार्ग दर्शन करने वाले गौतम बुद्ध, कबीर, तुलसीदास, रहीम की मूर्तियां आज भी समाज को जागृत करती प्रतीत होती हैं। गौतम बुद्ध, कबीर जैसे महानुभव समाज सुधारकों ने भारतीय समाज व भारतीय मानसिकता को धार्मिक आडम्बरों, पाखण्डों व बाह्यचारों से मुक्त करने का बीड़ा उठाते हुए सच्चाई का मार्ग प्रशस्त किया। इनके द्वारा दिए गए संदेश, लिखे गए दोहे आज भी पूर्णतः प्रासंगिक हैं।

इन्हें भी पढ़ें…ॐ, डमरू के नाद का है, भोले बाबा के निवास पर वास
पांचवीं मंज़िल पर भारतीय संस्कृति, धर्म व इतिहास की झांकियां प्रस्तुत की गई हैं। भारतीय संस्कृति आज भी विकास की ओर अग्रसर है। जो संस्कृति गतिशील नहीं होती, जिसमें युग के अनुरूप बदलने की क्षमता नहीं होती, वह हमेशा पिछड़ जाती है। लेकिन इस मंदिर में प्रस्तुत भारतीय संस्कृति, धर्म व इतिहास को प्रस्तुत करती यह झांकियां भारतीय संस्कृति के विकास व गतिशीलता को दर्शाती हैं।
छठी मंज़िल पर ’शक्ति मंदिर’ में शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा, काली, सरस्वती, पार्वती आदि की मूर्तियां सुशोभित हैं। शाक्त सम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को पराशक्ति माना जाता है। मां दुर्गा भगवान शिव की अर्धांगिनी पार्वती का ही एक रूप है। जिसकी उत्पत्ति देवताओं के निवेदन पर दैत्यों का नाश करने के लिए हुई थी। मां दुर्गा का गौरी रूप सबसे शांत व काली रूप सबसे भयंकर रूप है।

इन्हें भी पढ़ें…न्याय के देवता, कर्म फल दाता मंदिर में नहीं खुले आसमां नीचे करते हैं वास
सातवीं मंज़िल पर भगवान विष्णु के 10 रूपों के दर्शन होते हैं। मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि अवतारों के दर्शन एक साथ इस मंज़िल पर होते हैं। यह धारणा है कि जब-जब पृथ्वी पर अन्याय व अधर्म बढ़ता है तब भगवान विष्णु मानव को सही मार्ग दिखाने के लिए अवतार धारण करते हैं।
आठवीं मंज़िल प्राकृतिक सौन्दर्य का बोध करवाती है। यहां से प्रकृति दर्शन करते समय मानव व प्रकृति के सभी भेद समाप्त हो जाते हैं। इस मंज़िल से हिमालय, सप्त सरोवर व हरिद्वार के नैसर्गिक सौन्दर्य के दर्शन मानव व प्रकृति के बीच गहन संबंध स्थापित कर देते हैं।
’भारत माता मंदिर’ संस्कृति, धर्म व अध्यात्म का अदभुत व बेजोड़ नमूना है जो भारतीय एकता व अखंडता को समग्रता से प्रस्तुत करता है। यह मंदिर युवा व भावी पीढ़ी के मन में देश भक्तों, शूरवीरों के बलिदान की छवियों को उभारकर देश भक्ति व देश प्रेम की भावना जगाता है साथ ही ऋषियों, मुनियों, संतों के संदेश व उनके द्वारा दर्शाए मार्ग पर चलकर सच्चाई व अच्छाई इत्यादि गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।

मंदिर तक कैसे पहुंचे
’भारत माता मंदिर’ पहुंचने के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से ’भारत माता मंदिर’ की दूरी तकरीबन 6 किलोमीटर है। साथ ही हरिद्वार से 30 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून एयरपोर्ट भी स्थित है।

LEAVE A REPLY